वक्त आपके हाथ में है
आदिश्री अरुण
जिस पृथ्वी पर आप रहते हैं वहाँ 3/4 भाग जल और 1/4 भाग भूमि है । यह भूमि सात भागों में विभाजित है । पृथ्वी के मध्य में मेरु पर्वत स्थित है और मेरु पर्वत के दक्षिण में है जम्बू द्वीप और इस जम्बू द्वीप के दक्षिण भाग में स्थित है भारत खण्ड ।
अत्रापि भारतं श्रेष्टं जम्बूद्वीपे माह मुने ।
यतो ही कर्म भूरेखा ह्यतोsन्य भोग भूमयः।।
यात्रा जन्म सहस्त्राणं सहस्त्रैरपि सत्तमा ।
कदाचिल्लभते जन्तुर्मानष्यंपूण्य संचयाता ।।
यह शास्त्रसम्मत है कि इस सम्पूर्ण धरा पर भारत खण्ड कि कर्म भूमि है और शेष पृथ्वी भोग भूमि है । भोग भूमि पर किए गए कर्मों का संचय या क्षय नहीं होता तब मात्रा भोग भोगने से ही जीव का उद्धार किस प्रकार होगा ? जीवात्मा का जन्म किस भूमि पर हो यह उसके कर्मों के आधार पर निर्णय लिया जाता है । कर्म भूमि, भारत के कर्मभूमि पर आपका जन्म आपके सौभाग्य का गुणगान कर रही है । ऐसी अवस्था में कर्म करके आप कर्म बंधन से छूट सकते हैं अर्थात जन्म बंधन से छूटकर मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं ।
अतः सम्प्राप्यते स्वर्गो मुक्तिमरमा त्प्रयान्ति वै ।
तिर्यवाक्त्वं नरकं चापि यान्त्यतः पुरुषा मुने ।।
इतः स्वर्गश्च मोक्षश्च मध्यं चान्तश्य गम्यते।
न खल्वन्यत्रा मर्त्यानं कर्म भूमौ विधियते ।।
जो भगवान कल्कि कि बातें मानता है, जो भगवान कल्कि का आज्ञाकारी है, केवल वही भगवान कल्कि की दृष्टि में अच्छा है । जो भगवान कल्कि की दृष्टि में अच्छा है केवल उसी को वे ज्ञान और आनंद देते हैं । मनुष्य ज्ञान को प्राप्त करके मोक्ष को प्राप्त कर लेते हैं और आनन्द को प्राप्त करने से सांसारिक वस्तु की व्याकुलता स्वतः मिट जाती है ।