2 मई 1985 को भगवान कल्कि ने लिया अवतार
आदिश्री अरुण
श्रीमद्भागवतम महापुराण 12;2:18 में महर्षि वेद व्यास जी ने भविष्यवाणी किया कि
"शम्भल ग्राम में विष्णु यश नाम के एक श्रेष्ट ब्राह्मण होंगे । उनका ह्रदय बड़ा उदार एवं भगवद्भक्ति से पूर्ण होगा । उन्हीं के घर भगवान् कल्कि अवतार ग्रहण करेंगे ।"
कल्कि पुराण, प्रथम अंश, द्वितीय अध्याय, श्लोक 15 ने भविष्यवाणी किया कि "वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की
द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अवतार लिया ।"
द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अवतार लिया ।"
Kalki Comes in 1985 पुस्तक के तृतीय अध्याय में यह भविष्यवाणी किया गया है कि वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को सन 1985 में भगवान विष्णु ने उत्तर भारत के शम्भल ग्राम में अवतार लिया ।
मुरादा बाद के शम्भल ग्राम में भगवान कल्कि कभी अवतार नहीं लेंगे। इसके मुख्य कारण हैं ब्राह्मण जनसंख्या का नगण्य होना या लगभग लगभग शून्य होना । जबकि विष्णुयश जी श्रेष्ट ब्राह्मण होंगे; अर्थात ब्राह्मणों में श्रेष्ट होंगे । लेकिन जहाँ दो - चार ब्राह्मण परिवार ही हो वहां ब्राह्मणों में श्रेष्ट वाली शर्त लागू ही नहीं होता है । अतः मुरादा बाद के शम्भल ग्राम भगवन कल्कि का अवतार स्थल नहीं हो सकता है।
शम्भल ग्राम का अर्थ : शम्भु Shambhu – Brahm (those who knows Brahm / Brahm knowing people) is called Brahman + ल or ले (of) + ग्राम Grama (Community/Village/Group of people living at a certain Place) = शम्भल ग्राम Shambhal Grama (Village / Place / City of Brahman / Group of Brahman ब्रह्मणों का समूह) A place where group of Brahman is living / जहाँ ब्राह्मणों का समूह निवास करता है, उसे शम्भल ग्राम कहते हैं।
धर्मग्रन्थ के अनुसार भगवान कल्कि उत्तर भारत के शम्भल ग्राम में श्रेष्ठ ब्राह्मण (Group of Brahman) विष्णुयश के घर अवतार लेंगे । उत्तर भारत में दो शम्भल ग्राम है - एक मुरादाबाद में तथा दूसरा मथुरा और वृन्दावन के बोर्डर पर (गौड़ी मठ के पास) । मुरादाबाद शम्भल में 98 % मुस्लिम हैं तथा 2 % में अन्य जातियाँ निवास करती है तथा यहाँ बहुत कम ही ब्रह्मण परिवार हैं। यहाँ के अधिकतर लोग इस्लाम धर्म को मानने वाले हैं और भगवान कृष्ण पूजा करने वाले लोग नहीं के बराबर हैं । अतः इस शम्भल में Group of Brahman की कल्पना ही नहीं किया जासकता है । मथुरा और वृन्दावन के बोर्डर पर (गौड़ी मठ के पास) जो शम्भल है वहाँ पार ब्रह्मणों की संख्या बहुत ही अधिक लोग हैं तथा यहाँ के अधिकतर लोग भगवान कृष्ण की पूजा करने वाले हैं । अतः यही शम्भल भगवान कल्कि जी का अवतार स्थान है। संक्षिप्त भविष्यपुराण 4;5:27-28 ; प्रतिसर्ग पर्व, चुतुर्थ खंड पेज नो 331 के अनुसार भगवान श्री विष्णु ने कहा कि मैं देवताओं के हित और दैत्यों के विनाश के लिए कलियुग में अवतार लूंगा और कलियुग में भूतल पर स्थित सूक्ष्म रमणीय दिव्य वृन्दावन में रहस्यमय एकांत - क्रीड़ा करूँगा। घोर कलियुग में सभी श्रुतियाँ गोपी के रूप में आकर रासमंडल में मेरे साथ रासक्रीड़ा करेगी। कलियुग के अंत में राधा जी के प्रार्थना को स्वीकार करके मैं रहस्यमयी क्रीड़ा को समाप्त कर के कल्कि के रूप में अवतीर्ण होऊंगा । तो ऐसी स्थिति में भगवान् कल्कि उस शम्भल ग्राम में अवतार लेकर आगए जो मथुरा और वृन्दावन के बोर्डर पर स्थित है । वे मुरादाबाद के शम्भल में अवतार नहीं ले सकते क्योंकि वहाँ ब्राह्मणों की जनसंख्या नगण्य है अर्थात नहीं के बराबर है ।