Is it essential to appear the Lord Kalki ?

क्या कल्कि अवतार का प्रकट होना अनिवार्य है ?


आदिश्री अरुण 


Is it essential to appear the Lord Kalki ?
पाप के कुप्रभाव और तीब्रता के माप  दण्ड के आधार पर  भगवान श्री विष्णु अवतार लेकर धरती पर आते रहे हैं । पाप की तीब्रता के आधार पर जितनी शक्ति और ज्ञान लेकर श्री हरि विष्णु जी अवतार ले कर धरती पर अवतरित हुए उसको कला कहते हैं ।  मनुष्य में 5 से 7 कलाएँ रहती है परन्तु अवतारों की 8 से 16 कलाएँ रही है ।  भगवान राम 12 कला के साथ धरती पर अवतार लेकर आए, भगवान कृष्ण 16 कला के साथ अवतार लेकर धरती पर आए परन्तु 64 कला से युक्त अवतार के आलावा भगवान विष्णु  को कभी भी धरती पर अवतार लेने की आवश्यकता नहीं पड़ी । अर्थात 64 कला से युक्त कल्कि अवतार ही अंतिम अवतार हैं जिसकी आपसबों का इंतज़ार है । कल्कि अवतार जैसा अवतार न तो हुआ और न कभी होगा क्योंकि मात्र यही वह अवतार हैं जिनकी उपस्थिति में युग परिवर्तन हो रहा है। 


भगवान राम ने रावण का संहार आमना - सामना युद्ध करके किए, भगवान कृष्ण ने अधर्मी कौरवों का संहार रथ पर बैठ कर अर्जुन से करवाया परन्तु उनकी उपस्थिति में युग परिवर्तन नहीं हुआ, बल्कि उनके जाने के बाद युग परिवर्तन हुआ।  इस युग में आएगा अधिक तीब्रता वाली भूकंप, तूफान, सुनामी, विनाशकारी वर्षा, बवंडर, बर्फ की सुनामी, अग्नि, सूखा, आतंकवाद, अर्थव्यवस्था-युद्ध और लड़े  जायेंगे बड़े युद्ध । परन्तु यह कहने वाला कोई न होगा कि यह सब काम भगवान कल्कि ने किया ।


मात्र यही वह अवतार हैं जो समय के बंधन में नहीं हैं क्योंकि अवतार पापवृद्धि के अनुसार और उसकी तीब्रता के आधार पर ही प्रकट होते हैं और यदि वह समय निकल जाय तो फिर अवतार धारण करने का प्रयोजन अपूर्ण रह जाएगा। जरा सोचिए, प्रह्लाद के नष्ट हो जाने के बाद यदि खंभा में से नरसिंह प्रकट होते तो क्या अवतार का प्रयोजन पूर्ण होता ? ध्रुव के स्वांस रोकने पर सृष्टि रुक गई, ध्रुव या सृष्टि के समाप्त होने के बाद यदि हरि का अवतार होता तो अवतार का क्या प्रयोजन होता ? 99 यज्ञों के पश्चात् राजा बलि का100 वां यज्ञ पूर्ण होते ही उन्हें इन्द्रासन प्राप्त हो जाता तथा दैवी व्यवस्था नष्ट हो जाती, इसके उपरांत वमान अवतार का क्या प्रयोजन होता ? जरा दिल थाम कर सोचिए कि जो आज भारत की संस्कृति मौजूद है क्या यह भारत की अपनी संस्कृति है ? भारत के पूण्य भूमि पर जो वैदिक संस्कृति थी क्या वह संस्कृति, लोगों का आचार-विचार आज मौजूद है ? क्या कुछ हो गया और क्या कुछ हो रहा है पर आप मौन हैं क्यों ? कर्म भूमि भारत को भोग भूमि बनते देख कर आप मौन हैं क्यों ? आप के अपने स्वयं के बच्चे या नया पीढ़ी दिशाहीन हो गई पर आप मौन हैं क्यों ? निर्णय आपका है यह सोचने की क्या सामाजिक व्यवस्था देखने के बाद आपको यह नहीं लगता है कि सबको मर्यादा में बांधने का अब समय आ गया है ? क्या आपको नहीं लगता है  कि सबको मर्यादित करने वाली महा शक्ति की  पुकार, आराधना, भक्ति और साधना की  जाय ? समाजिक दुर्दशा को देखते हुए क्या आपको यह नहीं लगता है कि अब कल्कि अवतार को प्रकट होजाना चाहिए ?  

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