भगवान कल्कि के शरण में मोक्ष कैसे प्राप्त करें ?
आदिश्री अरुण
स्कन्द पुराण के अनुसार 27 बार कलियुग जब बीत जाएगा तब 28 वां कलियुग में कलियुग के 3, 600 (तीन हजार छौ सौ) वर्ष बीतने के बाद मगध देश में हेमसदन से अंजनी के गर्भ से भगवान विष्णु के अंशावतार स्वयं भगवान बुद्ध प्रकट होंगे । तत्पश्चात कलियुग के 4, 400 वर्ष बीतने के बाद चंद्रवंश में प्रमिति का प्रादुर्भाव होगा । काल के प्रभाव से जब प्रजा अत्यंत पीड़ित होने लगेगी, भयंकर अधर्म का आश्रय ले कर जब प्रजा शठतापूर्ण बर्ताव करने लगेगी, वैदिक और स्मार्त धर्म नष्ट हो जाएगी, सभी लोग धार्मिक और मर्यादा का उल्लंघन करने लगेंगे, लोग नाटे कद के होने लगेंगे, लोग अपना देश छोड़ कर नदी और समुद्र के तट पर (नदी और समुद्र के तट पर वसे शहर में ) निवास करने लगेंगे तथा
(1) कलियुग में वेद को जानने वाले कोई नहीं होंगे । धर्म बताने वाला वेद मार्ग नष्ट हो जायेंगे । ब्राह्मण वेद बेचेंगे । पाखंडी लोग अपने नए - नए मत चला कर मनमाने ढंग से वेद का तात्पर्य निकालने लगेंगे ।
(2) कलियुग में पाखंडियों के कारण लोगों का चित्त भटक जाएगा । इस कारण लोग अपने कर्म और भावनाओं के द्वारा ईश्वर की पूजा से विमुख हो जायेंगे ।
(3) कलियुग में लोग भगवान नारायण की पूजा नहीं
करेंगे ।
(4) लोगों का भाग्य तो बहुत मन्द होगा परन्तु मन में कामनाएँ बहुत ही अधिक होगी ।
(5) लोग माता - पिता, भाई - बन्धु और मित्रों को छोड़ कर केवल अपनी साली और सालों की सलाह लेने लगेंगे । जिनसे वैवाहिक सम्बन्ध है उन्हीं को अपना संबंधी माना जाएगा ।
(6) लोग हमेशा रोग ग्रस्त रहेंगे । रोगों से तो उनको छुटकारा मिलेगा ही नहीं । ऐसे - ऐसे रोग फैलेंगे कि उसका इलाज संभव न हो सकेगा ।
(7) लोग नाटे कद के होने लगेंगे । वे नाना प्रकार के कुकर्मों से जीविका चलने लगेंगे। स्त्रियों का आकार बहुत ही छोटा हो जायेगा। वह बहुत कठोर वचन बोलने वाली होगी तथा पति को अपने वश में रखेगी। स्त्रियां अपने पति के कहना में नहीं रहेगी ।
(8) गौएँ बकरियों की तरह छोटी - छोटी और कम दूध देने वाली हो जाएगी । जौ, गेहूँ, धान आदि के पौधे छोटे - छोटे होने लगेंगे ।
(9) लोगों की आयु 20 से 30 वर्ष की हो जाएगी।
(10) लोगो नकारात्मक सोच वाला हो जायेंगे । वे धर्म का सेवन केवल यश के लिए करेंगे ।
(11) जो लोग घूस देने और धन खर्च करने में असमर्थ होंगे उन्हें अदालत में न्याय नहीं मिलेगा ।
(12) जो जितना अधिक दम्भ पाखंड करेगा वह उतना ही बड़ा पंडित समझा जायेगा । जो जितना ढिठाई से बात करेगा वह उतना ही सच्चा समझा जायेगा ।
(13) सन्यासी धन के लोभी हो जायेंगे । अर्थात वे अर्थ पिचास हो जायेंगे।
(14) राजे - महाराजे लुटेरों के सामान हो जायेंगे ।
(15) राजा कहलाने वाले लोग प्रजा की साडी कमाई हड़प कर उन्हें चूसने लगेंगे । वे कर - पे - कर लगाते चले जायेंगे जिससे प्रजा का जीवन बड़ा ही कठिन और दुखद हो जाएगा ।
(16) बिना अमावस्या के ही सूर्य ग्रहण होगा । चंद्र और तारों की चमक कम हो जाएगी ।
(17) कभी वर्षा होगी तो कभी सूखा पड़ेगी, कभी मोती धार वाली वर्षा होगी तो कभी बढ़ आजायेगी, कभी कड़ाके की सर्दी पड़ेगी तो कभी पाला पड़ेगा, कभी आंधी चलेगी तो कभी गर्मी पड़ेगी । धरती का तापक्रम काफी बढ़ जाएगा।
(18) लोगों में अराजकता फैल जाएगी।
(19) गृहाथों के घर अतिथि सत्कार या वेद ध्वनि बन्द हो जायेंगे ।
तब सम्पूर्ण जगत के स्वामी साक्षात् भगवान विष्णु शम्भल ग्राम में विष्णुयशा के पुत्र होकर अवतार लेंगे ।
आप सभी जानते हैं कि बुद्धा अवतार हो चुका और हो चुका राजा प्रमिति का प्रादुर्भाव । प्रजा भयंकर अधर्म का आश्रय ले कर जब प्रजा शठतापूर्ण व्यवहार कर रही है, वैदिक और स्मार्त धर्म नष्ट हो चुकी है, सभी लोग धार्मिक और मर्यादा का उल्लंघन करने लगे हैं, लोग नाटे कद के होने लगेंगे, लोग अपना देश छोड़ कर नदी और समुद्र के तट पर ( नदी और समुद्र के तट पर वसे शहर में ) निवास करने लगे हैं और 19 सौं शर्त पूरा होते दिख रहे हैं तो ऐसी स्थिति में तो कैसे नहीं होगा कल्कि अवतार ?
धर्मग्रन्थ के अनुसार भगवान कल्कि उत्तर भारत के शम्भल ग्राम में श्रेष्ठ ब्राह्मण (Group of Brahman) विष्णुयश के घर अवतार लेंगे । उत्तर भारत में दो शम्भल ग्राम है - एक मुरादाबाद में तथा दूसरा मथुरा और वृन्दावन के बोर्डर पर (गौड़ी मठ के पास) । मुरादाबाद शम्भल में 98 % मुस्लिम हैं तथा 2 % में अन्य जातियाँ निवास करती है तथा यहाँ बहुत कम ही ब्रह्मण परिवार हैं। यहाँ के अधिकतर लोग इस्लाम धर्म को मानने वाले हैं और भगवान कृष्ण पूजा करने वाले लोग नहीं के बराबर हैं । अतः इस शम्भल में Group of Brahman की कल्पना ही नहीं किया जासकता है । मथुरा और वृन्दावन के बोर्डर पर (गौड़ी मठ के पास) जो शम्भल है वहाँ पार ब्रह्मणों की संख्या बहुत ही अधिक लोग हैं तथा यहाँ के अधिकतर लोग भगवान कृष्ण की पूजा करने वाले हैं । अतः यही शम्भल भगवान कल्कि जी का अवतार स्थान है। संक्षिप्त भविष्यपुराण 4;5:27-28 ; प्रतिसर्ग पर्व, चुतुर्थ खंड पेज नो 331 के अनुसार भगवान श्री विष्णु ने कहा कि मैं देवताओं के हित और दैत्यों के विनाश के लिए कलियुग में अवतार लूंगा और कलियुग में भूतल पर स्थित सूक्ष्म रमणीय दिव्य वृन्दावन में रहस्यमय एकांत - क्रीड़ा करूँगा। घोर कलियुग में सभी श्रुतियाँ गोपी के रूप में आकर रासमंडल में मेरे साथ रासक्रीड़ा करेगी। कलियुग के अंत में राधा जी के प्रार्थना को स्वीकार करके मैं रहस्यमयी क्रीड़ा को समाप्त कर के कल्कि के रूप में अवतीर्ण होऊंगा । तो ऐसी स्थिति में भगवान् कल्कि उस शम्भल ग्राम में अवतार लेकर आगए जो मथुरा और वृन्दावन के बोर्डर पर स्थित है । भगवान् कल्कि कभी भी मुरादाबाद के शम्भल में अवतार नहीं ले सकते क्योंकि वहाँ ब्राह्मणों की जनसंख्या नगण्य है अर्थात नहीं के बराबर है ।
सभी धर्मशास्त्र केवल यही भविष्यवाणी करताहै कि कलियुग में केवल श्रीहरि के नाम के सुमिरन तथा संकीर्तन से लोग भाव से हो जाएंगे तो कलियुग में श्रीहरि का नाम जानिए और उनके नाम का सुमिरन तथा संकीर्तन किजिये; कहाँ दौड़ लगा रहे हैं आप ? यदि आप भगवान कल्कि के शरण में आकर अनन्य प्रेम, बिना शर्त के प्रेम और कामना रहित प्रेम से उनके नाम का सुमिरन तथा संकीर्तन करेंगे तो आप तुरत मोक्ष को प्राप्त करेंगे ।
जिस पृथ्वी पर आप रहते हैं वहाँ 3/4 भाग जल और 1/4 भाग भूमि है । यह भूमि सात भागों में विभाजित है । पृथ्वी के मध्य में मेरु पर्वत स्थित है और मेरु पर्वत के दक्षिण में है जम्बू द्वीप और इस जम्बू द्वीप के दक्षिण भाग में स्थित है भारत खण्ड ।
अत्रापि भारतं श्रेष्टं जम्बूद्वीपे माह मुने ।
यतो ही कर्म भूरेखा ह्यतोsन्य भोग भूमयः।।
यात्रा जन्म सहस्त्राणं सहस्त्रैरपि सत्तमा ।
कदाचिल्लभते जन्तुर्मानष्यंपूण्य संचयाता ।।
यह शास्त्रसम्मत है कि इस सम्पूर्ण धरा पर भारत खण्ड कि कर्म भूमि है और शेष पृथ्वी भोग भूमि है । भोग भूमि पर किए गए कर्मों का संचय या क्षय नहीं होता तब मात्रा भोग भोगने से ही जीव का उद्धार किस प्रकार होगा ? जीवात्मा का जन्म किस भूमि पर हो यह उसके कर्मों के आधार पर निर्णय लिया जाता है । कर्म भूमि, भारत के कर्मभूमि पर आपका जन्म आपके सौभाग्य का गुणगान कर रही है । ऐसी अवस्था में कर्म करके आप कर्म बंधन से छूट सकते हैं अर्थात जन्म बंधन से छूटकर मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं ।
अतः सम्प्राप्यते स्वर्गो मुक्तिमरमा त्प्रयान्ति वै ।
तिर्यवाक्त्वं नरकं चापि यान्त्यतः पुरुषा मुने ।।
इतः स्वर्गश्च मोक्षश्च मध्यं चान्तश्य गम्यते।
न खल्वन्यत्रा मर्त्यानं कर्म भूमौ विधियते ।।
जो भगवान कल्कि की बातें मानता है, जो भगवान कल्कि का आज्ञाकारी है, केवल वही भगवान कल्कि की दृष्टि में अच्छा है । जो भगवान कल्कि की दृष्टि में अच्छा है केवल उसी को वे ज्ञान और आनंद देते हैं । मनुष्य ज्ञान को प्राप्त करके मोक्ष को प्राप्त कर लेते हैं और आनन्द को प्राप्त करने से सांसारिक वस्तु की व्याकुलता स्वतः मिट जाती है ।