आदिश्री अरुण का महा उपदेश, भाग - 25
(आदिश्री अरुण)
आदिश्री ने आज के महा उपदेश में कहा कि - मनुष्य के जीवन में अनेकों कठिनाईयाँ आती है, एक से बढ़ एक कठिनाइयाँ आती है, जटिल समस्याएँ आती है । मनुष्य सोचता है कि मेरा भविष्य क्या होगा ? क्या मैं भविष्य में अपना इच्छित लक्ष्य प्राप्त कर पाउँगा ? परन्तु एक बात बताइए कि क्या वास्तव में ये कठिनाइयाँ, ये समस्याएँ इतनी जटिल हैं ? क्या इनमें इतनी शक्ति है कि ये आपका मार्ग रोक सके ? क्या इनका उत्तर पाना इतना जटिल है ? नहीं, थोड़ा शांत मन से विचार कीजिए। कई बार उत्तर इतना जटिल नहीं होता जितना कि प्रश्न ।
वास्तव में आपके सारे दुःख का आधार है आशा या उम्मीद या फिर कामना । पति कैसा हो ? जो मेरा जीवन सुख और सुबिधा से भर दे । पत्नी कैसी हो ? जो सदैव मेरे प्रति समर्पित हो । सन्तान कैसा हो ? जो मेरी सेवा करे, मेरा कहना माने । मनुष्य केवल उसी व्यक्ति को ही प्रेम कर पाता है जो उसकी आशा या उम्मीद या फिर कामना को पूर्ण कर पाता है । यही आपके दुःख का आधार है । वास्तव में आशा या उम्मीद या फिर कामना का नियत ही है पूर्ण नहीं होना । क्योंकि आशा या उम्मीद या फिर कामना मनुष्य के मस्तिष्क में जन्म लेती है । यही कारण है कि कोई अन्य व्यक्ति उसके मस्तिष्क में जन्म लेने वाली आशा या उम्मीद या फिर कामना को जान ही नहीं पाता । आशा या उम्मीद या फिर कामना को पूर्ण करने की इच्छा रहने के बाबजूद भी मनुष्य किसी की आशा या उम्मीद या फिर कामना को पूर्ण नहीं कर पाता । पर वहाँ से जन्म लेता है संघर्ष । गीता 3 : 37 में ईश्वर ने कहा कि कामना ही क्रोध है। गीता 2 : 62 में ईश्वर ने कहा कि "कामना में बिघ्न पड़ने से क्रोध उतपन्न होता है" । तब तो संघर्ष निश्चित ही शुरु होना है। सारे सम्बन्ध संघर्ष में परिवर्तित हो जाते हैं । इसलिए यह परम आवश्यक है कि मनुष्य आशा या उम्मीद या फिर कामना को सम्बन्ध का आधार न बनाए और स्वीकार करे केवल सम्बन्ध का आधार प्यार । ऐसा करने से मनुष्य का जीवन सुख और शान्ति से भर जाएगा ।
समय के आरम्भ से ही मनुष्य का एक प्रश्न मनुष्य को को हमेशा से ही पीड़ा देता आया है। मनुष्य अपने सम्बन्धों में अधिकतम सुख और कम से कम दुःख प्राप्त करना चाहता है । मनुष्य के जीवन में सुख और दुःख मनुष्य के सम्बन्धों पर आधारित है । यही कारण है कि आपके सारे सुखों का आधार भी सम्बन्ध है । किन्तु आपको सम्बन्धों में ही अधिकतर दुःख क्यों प्राप्त होते हैं ? सम्बन्धों से ही हमेशा संघर्ष उत्पन्न क्यों हो जाते हैं ? क्या यह बात आपने सोचा है ? जब से कोई व्यक्ति दूसरे के कार्य या फिर उनके विचारों को स्वीकार नहीं करता और उसमें परिवर्तन करने का प्रयत्न करता है तो संघर्ष जन्म लेता है । अर्थात जितना अधिक अस्वीकार उतना ही अधिक संघर्ष । तथा जितना ही अधिक स्वीकार उतना ही अधिक सुख ।
दूसरा कारण - केवल ईश्वर ही मनुष्य से प्रेम करते हैं । संसार ने जीव को कभी भी अपना नहीं माना है । जीव ही अपनी तरफ से संसार से सम्बन्ध जोड़ता है । जीव से यही गलती होती है कि प्रतिक्षण बदलने वाले संसार के सम्बन्ध को नित्य मान लेता है। संसार जिसको अपना नहीं मानता है मनुष्य उसी को अपना मान कर सम्बन्ध जोड़ लेता है और वह चोट खाता है और चोट खाने के बाद वह भगवन के पास आकर रोता है। मनुष्य का संसार के लोगों से यही मना हुआ सम्बन्ध अनर्थ का कारण होता है तथा चिल्लाता है । क्या इस वास्तविकता से आप कभी मुँह मोड़ सकते हैं ? यदि कोई मनुष्य स्वयं अपने विचारों पर अंकुश लगाए, अपने विचारों पर गौर फरमाए और किसी दूसरे व्यक्ति में परिवर्तन करने का प्रयत्न न कर स्वयं अपने भीतर परिवर्तन करने का प्रयास करे तो क्या सम्बन्धों में संतोष प्राप्त करना, सम्बन्धों में मिठास प्राप्त करना कठिन है ?
वास्तव में आपके मन को केवल मनुष्य का सम्बन्ध ही जो आशा, उम्मीद या फिर कामना पर आधारित है केवल वही विचलित कर रहा है, केवल वही आपके मूड को खरब करता है, केवल वही आपके मन को पड़ेशान करता है और केवल वही आपके अन्दर नेचुरल इनर्जी के फ्लो ऑफ़ लव को ब्लॉक कर देता है और आप अनकम्पफर्टेबल महशुश करते हैं । आज आप खुश नहीं हैं । आपके मानसिक समस्याओं का समाधान है कर्म । यदि आप शास्त्रसम्मत कर्म करेंगे तो धीरे - धीरे आपके मन में जटिल प्रश्न और आपके मन की जटिलता दोनों ही समाप्त हो जाएगी ।
हे मनुष्य ! आज आपके पास बहुत अच्छी नौकरी है, आज आपके पास काफी धन है और आप बहुत अच्छे पोष्ट पर हैं फिर भी आप खुस क्यों नहीं हैं ? इसका कारण यह है कि इनर्जी ऑफ़ लव इज गेटिंग ब्लॉक । अब सबाल यह उठता है कि इनर्जी ऑफ़ लव क्यों ब्लॉक हो रहा है ? क्योंकि आपके अन्दर गुस्सा आ रहा है और आप बात - बात पर गुस्सा करते हैं । यदि आपको गुस्सा आ रहा है तो आपका इनर्जी ऑफ़ लव ब्लॉक हो रहा है। अब आपका जो इनर्जी ऑफ़ लव ब्लॉक हो रहा है जिससे इस क्षण अगले व्यक्ति को प्यार नहीं मिल रहा है क्योंकि इनर्जी ऑफ़ लव इज गेटिंग ब्लॉक । इट्स लाइक अ फ्लो ऑफ ब्लड । यदि किसी के हर्ट को ब्लड नहीं पहुंचे यानि कि फ्लो ऑफ ब्लड बन्द हो जाय तो क्या होगा ? हर्ट एटेक हो जाएगा, साँसें बन्द हो जाएगी और वह आदमी मर जाएगा । ठीक उसी तरह आपका इनर्जी ऑफ़ लव इज गेटिंग ब्लॉक इसलिए आज आप अनकम्पफर्टेबल महशुश कर रहे हैं । हे मनुष्य आज आप अनकम्पफर्टेबल इसलिए महशुश कर रहे हैं ? सब कुछ होते हुए भी आप खुश क्यों नहीं हैं ? क्योंकि आपके लव की फ्रीक्वेंसी ऑफ ब्लॉकेज अनकम्पफर्टेबल को बढाती जा रही है । आत्मा की जो नेचुरल इनर्जी है वह है प्यार, हैपिनेस, शांति । जितनी देर आपकी आत्मा नेचुरल इनर्जी में होगा उतनी देर तक वह कम्पफर्टेबल महशुश करेगा और जितनी देर आपकी आत्मा नेचुरल इनर्जी से अलग हटेंगे उतनी देर तक आप अनकम्पफर्टेबल महशुश करेंगे । जब आपकी नेचुरल इनर्जी ब्लॉक होगी उतनी देर तक आपको अच्छा नहीं लगेगा, मन को भी अच्छा नहीं लगेगा और मन के रहने वाले स्थान शरीर को भी अच्छा नहीं लगेगा । जैसे यह पैड़ है यदि इसमें ब्लड सप्लाई रुक जाय, पैड़ में ब्लड जाय ही नहीं तो आपको कैसा लगेगा ? आप महशुश करेंगे कि पैड़ सुन्न होगया । अगर आपके शरीर में नेचुरल इनर्जी वाला ब्लड है लेकिन उसका सप्लाई ठीक नहीं है, उसका फ्लो ठीक नहीं है तब तक वह ठीक तरह से काम नहीं करेगा । इसलिए जब तक आप नेचुरल इनर्जी वाला ब्लड सप्लाई को फिर ठीक नहीं करेंगे तब तक वह ठीक तरह से काम नहीं करेगा। आप हैं, रिश्ते हैं, कैरियर है, बीजनेस है, सब कुछ है लेकिन नेचुरल इनर्जी वाला ब्लड सप्लाई जो है जब वह बन्द होने लगता है तब सारी चीजें होते हुए भी ठीक वर्क नहीं करता है । नुक्सान उनका कम और आपका नुक्सान ज्यादा होने वाला है । यदि आप जब ये कहते हैं कि गुस्सा तो आता ही है, गुस्सा आना तो नेचुरल ही है लेकिन जितनी देर तक आप गुस्सा कर रहे थे उतनी देर तक आप नेचरल इनर्जी ऑफ़ लव के सप्लाई को ब्लॉक कर रहे थे। अगर यदि दिन में एकाध बार हो, तो भी चलो काम चल जाय; अब यदि एक घंटे में एक बार होने लग जाय तो यह बड़ा ही नहीं बहुत बड़ा परिणाम लेकर आएगा । अब यदि गुस्सा हर आधे घंटे पर आने लग जाय तब आपको इसका बौह्त बड़ा कीमत चुकाना पड़ेगा क्योंकि अगर यदि उतनी देर तक नेचुरल इनर्जी वाला ब्लड सप्लाई बन्द होने लगी तो धीरे - धीरे शरीर के सिस्टम कि फ्रीकेन्सी डाउन हो रही है, 5 मिनट का इफेक्ट भी थोड़ा ज्यादा देर चलता है । आप कहते हो ये मेरा मूड था लेकिन वह मूड खरब हो गया और यह खराब मूड लम्बा चल गया उतनी देर में कोई और परिस्थिति आती है फिर वह और भी खराब हो जाता है, तो आप ऐसा कह बैठते हैं कि अब यह मूड ही ऐसा रहता है इनका । धीरे - धीरे ऐसा रहने की आपको आदत पड़ जाती है। ऐसी स्थिति में जब कोई बात भी नहीं होगी तब भी पिछले दिनों की बात को सोच कर आप पड़ेशान हो जायेंगे, कोई भी मैटर नहीं मिलेगा पड़ेशान होने के लिए तो बीते समय की बात को लेकर सोचने लगेंगे और पड़ेशान हो जायेंगे फिर अपना मूड खराब कर लेंगे यहाँ तक कि T. V. देख कर कर पड़ेशान हो जायेंगे, सीरियल अथवा न्यूज़ देख कर भी पड़ेशान हो जायेंगे कि देखो न यह क्या हो गया ? इस तरह उदास हैं तो उदास ही हैं कोई न कोई बात लेकर , दुखी हैं तो दुखी ही हैं कोई न कोई बात लेकर । यानि कि जब ये लम्बा चलता जाएगा, ज्यादा देर तक चलता जाएगा फ्रीक्वेंसी बढती जाएगी तो उतनी देर तक आपका नेचुरल फ्लो ऑफ इनर्जी ब्लॉक हो रहा है । अब सबाल यह उठता है कि आप इसमें क्या कर सकते हैं ? तो अब यदि आपको गुस्से को कम करना है तो आपको ध्यान रखना होगा कि आपका जो नेचुरल फ्लो ऑफ इनर्जी है वह ब्लॉक न हो । आप अन्दर जितना नेचुरल फ्लो ऑफ इनर्जी अधिक होगा उतना अनकम्पफर्टेबल वाला संस्कार कम हो जाएगा । अगर यदि आप सजग रहेंगे तो आपके जीवन में यदि बुरा घटना घटने वाला है या फिर यदि कोई बहुत बड़ा ही घटना घटने वाली है या फिर कोई बहुत बड़ा डिसीजन लेना पडेगा तो आप अपने मन का फोकस उस एक्ट पर रख पाएँगे व्यक्ति विशेष पर नहीं और ये हर एक के साथ करना है । व्यक्ति और व्यक्ति के एक्ट को अलग - अलग करना है । सेपरेट द एक्ट ऑफ पर्सन । चेक यहां करना है कि गुस्सा आरहा है तो नेचुरल इनर्जी ऑफ लव ब्लॉक हो जाएगा। यदि नेचुरल इनर्जी ऑफ लव ब्लॉक हो गया तो आप निश्चित ही अनकम्पफर्टेबल महशुश करेंगे और आपको गुस्सा आएगा ।