आदिश्री के 9 महा उपदेश
(आदिश्री अरुण)
(1) ईश्वर की शांति उस व्यक्ति के अंदर मौजूद होती है
(क) जिनके मन और आत्मा में एकता हो
(ख) जो क्रोध और इच्छा से मुक्त हो
(ग) जो खुद की आत्मा को सही ढंग से जानता हो
(2) सभी अच्छे काम को छोड़ कर पूर्ण रूप से ईश्वर में अपने आप को समर्पित कर दो
ईश्वर तुम्हें सभी पापों से मुक्त कर देंगे ।
(3) जो व्यक्ति प्रेम पूर्वक ईश्वर की आराधना करते हैं वे ईश्वर के भीतर रहते
हैं और ईश्वर उनके जीवन में आते हैं ।
(4) यदि तुम अपने आपको ज्ञानी समझते
हो तो केवल ईश्वर को छोड़ किसी और पर निर्भर न रहो ।
(5) सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता कहीं भी नहीं है, न तो इस लोक में है और न ही परलोक में ही है ।
(6) जिसको कर्म के प्रतिफल की कोई
इच्छा ही नहीं हो तो उसको कर्म कभी बांधता ही नहीं है ।
(7) हे मनुष्य ! हम दोनों ने कई जन्म लिए हैं बस फर्क इतना है कि हमें तो याद है पर तुम्हें याद नहीं ।
(8) हे मनुष्य ! मैं माया को अपने आधीन करके प्रकट होता हूँ और तुम कर्मफल के
आधीन होकर जन्म लेते हो ।
(9) हे मनुष्य ! मैं कर्मों के फल में लिप्त नहीं होता इसलिए मेरा जन्म और
मृत्यु नहीं होता परन्तु तुम कर्मों के फल
में लिप्त हो जाते हो इसलिए तुम जन्म भी लेते हो
और मरते भी हो ।