Maha Upadesh of Aadishri, Part – 9; आदिश्री का महा उपदेश, भाग - 9


 आदिश्री का महा उपदेश, भाग - 9 

(आदिश्री अरुण)


Maha Upadesh of Aadishri, Part – 9; आदिश्री का महा उपदेश, भाग - 9

सुख और दुःख के चक्र मनुष्य के जीवन में क्यों और कैसे श्युरु हो जाता है ? वास्तविकता यह है कि सुख और दुःख के चक्र अच्छे कर्म और बुरे कर्म के मिश्रण से बनता है। यदि आपने अपने सम्पूर्ण जीवन काल में 70 % अच्छे कर्म किये हैं और 30 % बुरे  कर्म किये हैं तो आपके जीवन में जीवन काल का 70 % अच्छा  या सुख में जीवन बीतेंगे और आपके जीवन में जीवन काल का 30 % दुःखवीमारीचिंता एवं पड़ेशानी में बीतेंगे । यदि आपने अपने जीवन काल में 100 % अच्छे कर्म किये हैं और 00 % बुरे कर्म किये हैं तो आपके जीवन में जीवन काल का 100 % अच्छे से  या सुख में बीतेंगे । आपके जीवन में दुःख,वीमारीचिंता एवं पड़ेशानी आएगी ही नहीं । यदि आपने अपने जीवन में100 %  बुरे  कर्म किये हैं और 00 % अच्छे  कर्म किये हैं तो आपके जीवन में जीवन काल का 100 %  दुःखवीमारीचिंता एवं पड़ेशानी में  बीतेंगेआप कभी भी सुख नहीं भोगेंगे । यदि आप कर्म फल का ही त्याग कर दीजिये तो आप जन्म और मृत्यु के चक्र से छूट जाएँगे । क्योंकि कर्म से ही  जीव शरीर से बांधता है - " कर्मणा जीव वध्यते " । गीता 18 : 12 में ईश्वर ने यह कहा कि " कर्मफल का त्याग न करने वाले मनुष्यों  के कर्मों का तो अच्छाबुरा और मिला हुआ - ऐसा तीन प्रकार का फल मरने के पश्चात् अवश्य होता हैकिन्तु कर्म फल का त्याग कर देने वाले मनुष्यों के कर्मों का फल किसी काल में भी नहीं होता ।



अब प्रश्न यह उठता है कि कर्म कैसे बनता है कर्म बनता है सोच से (Thought से), और सोच (Thought) बनता है सूचना से, Informationसे   

कर्म का स्रोत सोच है (
Thought है )। आप जो बोलते होजो कर्म करते होजो खाते होजो पीते होजो दान देते होजो सुनते हो जो देखते होजो पढ़ते हो - यह सब सोच का ही (Thought का ही ) परिणाम है । आपके  कर्मबोलविचारआचरणव्यवहार और स्वाभाव आपके सोच (Thought) की  क्वालिटी पर निर्भर करता है । जैसा आपका सोच होगाजैसा आपके सोच  की क्वालिटी होगी  वैसा ही आपका आचरण,  कर्मबोलविचारव्यवहार और स्वाभाव होगा  । लोग खराब सोच के ही कारण लड़ते हैं - झगड़ते हैं या कड़वे बोल बोलते हैं या गलत काम करते हैं या छिना - झपटी करते हैं, और अच्छे सोच के ही कारण लोग मीठे बोल बोलते हैंअच्छे काम करते हैंदया करते हैं गरीबों को दान देते हैं । और जैसा आपका कर्म होगा वैसा ही आपके जीवन में सुख और दुःख का चक्र उपस्थित होगा । तो सुख और दुःख का चक्र कहाँ से बना सोच से, (Thoughts से)। पिछले 20 वर्षों से यदि आप टेंसन से डिप्रेशन में पहुंचे हैं तो उसका बहुत बड़ा कार है सूचना, Information. और  सोच किससे बनते हैं सूचना से , Information से । जब हम और आप student life में थे तब  सूचना के  या  Information के स्रोत क्या थे न्यूज पेपरसिनेमा और रेडियो । तब लोगों में प्रेम थालोगों में Honesty थीलोगों में सेवा करने का भाव थालोग माँ - बाप को सम्मान देते थेलोग माँ - बाप को बुढ़ापे में सहारा देते थेलोग माँ - बाप का कहना मानते थे बहु सास - ससुर की सेवा करती थी बहु सास - ससुर की आज्ञा में रहती थीबहु सास - ससुर का इज्जत करती थी । आज के समय में लोगों  का सोच का समीकरण साफ उल्टा है।  आज के समय में बुढ़ापे में बेटा और बहु ही माँ - बाप से अपनी सेवा करवाता है । भले माँ लांगरी क्यों न होबाप जानलेवा वीमारी का शिकार क्यों न हो । बेटा  माँ - बाप के चरित्र पर ही दोष लगता है,  बुढ़ापे में बेटा और बहु से सेवा का तो उम्मीद ही छोड़ दे । ऊँची आवाज में बोलनाबात - बात पर गुस्सा करनाबात - बात पर इरिटेट हो जाना,  माँ - बाप से लड़नामाँ - बाप को दोषी  साबित  करना  इत्यादि को उनका कल्चर (Culture) हो गया है। क्यों ऐसा हुआ क्योंकि आज के समय में सूचना (Information) का स्रोत ही ऐसा है । सूचना के स्रोत से ही सोच (Thoughts) बनते हैं और Thoughts से कर्म बनते हैं । तो आज के समय में सूचना व् Information का स्रोत  क्या है ? T .V , Computer , मोबाईल, Whats app, Web Sight, Google, Internate, Twiter, Face book, अश्लील Cinema , kitty parti , क्लब इत्यादि - इत्यादि ।



आज मोबाईल बहुत जरुरी का साधन हो चुका है ।  लेकिन जरा सोचो कि आपने तो मोबाईल से खराब बातों को Dilit कर दिया लेकिन मोबाइल का जो सूचना व्  जो Information दिमाग ने खा लिया क्या आपने उसको Dilit किया इसी तरह  जो सूचना व्  जो Information दिमाग ने T .V , Computer ,  Whats app, Web Sight, Google, Internate, Twiter, Face book, अश्लील Cinema , kitty parti , क्लब इत्यादि से खा लिया क्या आपने उसको Dilit किया नहीं । तो इसका परिणाम क्या हुआ जो सूचना व् जो Information आपके दिमाग ने खा लिया वही आपके चित पर बैठ गया और जो आपके चित पर बैठ गया वही आपका सोच (आपका Thoughts) बन  गया और जो आपका सोच आपका ,Thoughts बन  गया वही आपका कर्म बन गया । तो आप बताओ कि आपका जीवन कैसा बनेगा खराब या अच्छा बहुत खराब । यही कारण  है कि लोगों के जीवन से सुख - चैनप्रेमशांतिअच्छे संस्कार इत्यादि चले गए। इसके जगह पर क्या आगया ?  वीमारीडिप्रेशनहार्ट एटैक, B .P, मानसिक रोगलड़ाई - झगड़ाकलह - क्लेश, Separation , हिंसाचुगलीईर्ष्या - द्वेषदुश्मनीबेईमानीझूठमार - पीटदंगा - फसाद इत्यादि । बड़ों का Respect  खतमपांच आदमी के बातों को मानना खतमउम्र का लिहाज करना  खतम । तो अब आपका जीवन कैसा होगा दुःख से भरा हुआवीमारी से तो कभी छुटकारा मिलेगा नहीं,   अशांतिपड़ेशानीतकलीफ देने वाली इत्यादि - इत्यादि। 

अब आप बताइये कि आप दुःख से भरा हुआ
पड़ेशानी से भरा हुआ जीवन चाहते हैं या सुखमय जीवन और शांतिमय जीवन ?   यदि सुखमय जीवन चाहते हैं तो आज से 6 महीने के लिए आप उपवास कीजिये, Fasting कीजिये अन्न का Fasting नहींसूचना Information के स्रोत का Fasting। मोबाईल से आप जरुरी का काम कीजिए और फालतू का चीज छोड़ दीजिए। इसी तरह T .V , Computer ,  Whats app, Web Sight, Google, Internate, Twiter, Face book इत्यादि से आप जरुरी का काम कीजिए और फालतू का चीज छोड़ दीजिए। अश्लील Cinema , kitty parti , क्लब इत्यादि से नाता तोर लीजिए ।  इसके जगह पर आप सत्संगपूजाध्यानसंकीर्तन सेवा इत्यादि में रूचि अधिकतम रूप से रुची लीजिए और खाली समय में सभी धर्मशास्त्र जैसे - वेदगीतामहा पुराण बाइबलकुरान एवं गुरुग्रंथ साहिब इत्यादि श्रद्धा एवं निष्ठा से पढ़िए क्योंकि सभी धर्म ग्रन्थ ईश्वर की  ही प्रेरणा से लिखी गई है । यदि आप इस रास्ते पर चलेंगे तो जिस तरह बालक ध्रुव को 6 महीने में ईश्वर का दर्शन प्राप्त हो गया था ठीक उसी तरह आपको भी  6 महीने में सुखमय और  शांतिमय जीवन प्राप्त होजाएगा ।


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