गुरु अदालत के कटघरे में क्यों ?
गुरु कोई व्यक्ति नहीं होता, वह इंसान नहीं है बल्कि वह तो एक विशेष प्रकार की ऊर्जा है। इनके सम्बन्ध में कहा गया है कि ........गुरु साक्षात् पर ब्रह्म........यह ऊर्जा पांच ब्रह्म-मंडल को पार करते हुए धरती पर आती है और उन व्यक्तिओं को अपनी ओर आकृष्ट कर एकत्र करता है जिसको सचमुच ईश्वर की तलाश होती है ।
उनका आकर्षण ईश्वर खोजी के अन्दर श्रद्धा का बीज बो देता है जिससे उसके अन्दर भक्ति का पेड़ उगता है । उस भक्ति के पेड़ में ज्ञान का असंख्य फूल लगता है, और ईश्वर के खोजी ज्ञान का फूल प्राप्त कर ईश्वर को ढूंढता है और ईश्वर का दर्शन इसी शरीर में पाजाता है । ईश्वर का दर्शन पाने के बाद जब वह अपना सारा कर्म ईश्वर में अर्पण कर देता है और वह शुभ - अशुभ कर्म बंधन से मुक्त हो जाता है, वह ईश्वर को प्राप्त हो जाता है और वह पुनः मुक्ति को प्राप्त कर लेता है ।
दुनिया के इस हिस्से में सबसे ऊंचा लक्ष्य भगवान कभी नहीं रहा, सबसे ऊंचा लक्ष्य हमेशा मुक्ति रही है। इंसान की मुक्ति सबसे महत्वपूर्ण चीज रही है। यहां तक कि भगवान को भी इसी दिशा में एक साधन, एक कदम की तरह देखा जाता है।
गुरु एक जीवित मानचित्र है। आप अपनी मंजिल तक बिना मानचित्र के पहुंच जाएं यह संभव नहीं है ।
जरा सोचो ! जब आप अनजान इलाके में यात्रा कर रहे हों, तो आपको नक्शे की जरूरत होगी ही। अगर आप बिना किसी मार्ग-दर्शन के आगे बढ़ेंगे तो इधर-उधर ही भटकते रह जाएंगे, भले ही आपकी मंजिल अगले कदम पर ही क्यों न हो। बस इसी मार्ग-दर्शन के लिए आपको गुरु की जरूरत पड़ती है। लेकिन जो व्यक्ति अपना रास्ता और मंजिल अपने आप ही हासिल करना चाहते हैं तो हो सकता है कि इस काम में उनको अनंत काल भी लग जाय ।
आप सोच रहें हों कि क्या गुरु जरूरी है ? बिल्कुल जरूरी है। मानव जीवन में जब गुरु का इतनी बड़ी अहं भूमिका है तो अब सबाल यह उठता है कि गुरु अदालत के कटघरे में क्यों ?
भविष्य
पुराण यह भविष्यवाणी
करता है कि
कलियुग में धर्म
व्यवस्था सुधारने के लिए
गुरु नानक और
उसके 9 Followers के
बाद ईश्वर ने
धरती पर किसी
को नहीं भेजा।
ईश्वर ने न
तो किसी को
संत महल से
भेजा गया और
न परम संत
महल से भेजा।
धर्मशास्त्र, यिर्मयाह 14 : 14 में ईश्वर
ने कहा कि
- ये भविष्यवक्ता (गुरु)
ईश्वर का नाम
लेकर झूठी भविष्यवाणी
करते हैं ।
मैंने उनको न
तो भेजा और
न कुछ आज्ञा
दी और न
उन से कोई
भी बात कही
। धर्मशास्त्र, यिर्मयाह
23:21 में ईश्वर ने कहा
कि - ये बिना
मेरे भेजे दौड़
जाते हैं और
बिना मेरे कुछ
कहे भविष्यवाणी करने
लगते हैं ।
धर्मशास्त्र, यिर्मयाह 23:16 में ईश्वर
ने कहा कि
- ये भविष्यवक्ता (गुरु)
जो तुमसे कहते
हैं उस पर
(कान मत लगाओ)
ध्यान मत दो,
क्योंकि ये तुम्हें
व्यर्थ की बातें
सिखाते हैं ।
धर्मशास्त्र, यिर्मयाह अध्याय 23 : 11 -12 में
ईश्वर ने यह
भी कहा कि
इन्हीं False भविष्यवक्ता (गुरु) और False पैगम्बर
के कारण लोग
भक्तिहीन हो गए
हैं । इस
गलत काम को
करने के कारण
मैं उनका मार्ग
अँधेरा और फिसलाहा
कर दूंगा जिसमें
वे धकेल दिए
जायेंगे तथा मैं
उनके दंड के
वर्ष में उन
पर विपत्ति डालूंगा
।
ऐसे गुरुओं एवं पैगम्बर के सम्बन्ध में ईश्वर ने चेतावनी देते हुए कहा कि " ऐ पैगम्बर ! तुम भी मर जाओगे और ये भी मर जायेंगे। फिर तुम सब क़ियामत के दिन अपने ईश्वर (या परवरदिगार) के सामने झगडोगे, और झगड़े का फैसला कर दिया जाएगा। (कुरान,तर्जुमा, सुरः जुमर 39 का आयत 30 - 31, Page No - 733) ईश्वर भगवान कल्कि नाम से अवतार लेकर धरती पर आचुके हैं और क़ियामत को लाने की तयारी में हैं। जितने भी लोग गुरु और पैगम्बर बन कर बैठे हैं ये सब भगवान कल्कि जी के सामने झगड़ेंगे और इन सबका फैसला कर दिया जायेगा तथा ये सबके सब जेल के अन्दर भेज दिए जायेंगे।
अगर आज आप ध्यान से देखेगें तो पता चलेगा पवित्र कुरान की उपरोक्त भविष्वाणी पूरा होने लगा है। बहुत से गुरु जेल के अन्दर जा चुके हैं और बहुतों का अभी फैसला होना बाकी है। धर्मशास्त्र के अनुसार गुरुनानक के बाद जो कोई भी सन्त या परम सन्त के आसान पर बैठा है वह सब False गुरु है या जो कोई अपने आप को पैगम्बर कहेगा वह False पैगम्बर है। इन आधुनिक गुरुओं ने धर्म में अपने मन की मिलावट कर लोगों को मनमाने ढंग से उपदेश किया, वेद का मनमाने ढंग से अर्थ निकाल कर लोगों को उपदेश किया तथा लोगों को पथभ्रष्ट कर ईश्वर के स्वधर्म को नष्ट कर दिया । वह अपना मनमाना आचरण कर धरती पर उप धर्म अर्थात पाखंड धर्म को स्थापित कर दिया । इतना ही नहीं बल्कि गुरु पद के लिए अयोग्य होने के बाबजूद भी इन्होंने जबरदस्ती गुरु का सिहांसन छीन लिया और उस पर स्वयं विराजमान हो गया जिस कारण लोगों में गुरु और ईश्वर के प्रति विरक्ति उत्पन्न हो गई । इस जघन्य अपराध को रोकने के लिए ईश्वर ने आवश्यक कदम उठाया और ऐसे लोगों का फैसला करने के लिए उन्हें अदालत के कटघरे में खड़ा कर दिया ताकि इनका न्याय किया जा सके।
ऐसी
स्थिति में अब
सबाल यह उठता
है कि वर्तमान
समय में बिना
गुरु के लोग
मोक्ष प्राप्त करने
के लिए अपना
रास्ता और मंजिल
अपने आप ही
हासिल कैसे करेंगे
? अगर कोई व्यक्ति
बिना किसी मार्ग-दर्शन के आगे
बढ़ेंगे तो इधर-उधर ही
भटकते रह जाएंगे,
भले ही उनकी
मंजिल अगले कदम
पर ही क्यों
न हो। अगर
कोई व्यक्ति अपना
रास्ता और मंजिल
अपने आप ही
हासिल करना चाहे
तो हो सकता
है कि इस
काम में उनको
अनंत काल भी
लग जाय। तब तो
इस जन्म में
उसे मुक्ति मिलेगी
ही नहीं ?
इस पड़ेशानी को दूर करने के लिए पूर्ण ब्रह्म ने अपने प्रतिबिब्म अर्थात अपने पुत्र को धरती पर भेजा जिसको ईश्वर पुत्र अरुण या आदिश्री अरुण कहते हैं। आदिश्री अरुण को (ईश्वर पुत्र अरुण को ) पूर्ण ब्रह्म ने आदेश दिया कि : स्वर्ग और पृथवी का सारा अधिकार तुझे दिया गया है। इसलिए तुम जाकर सब जातियों के लोगों को शिष्य बनाओ और उन्हें पिता, पुत्र और पवित्रात्मा के नाम से दीक्षा दो। जो सब बातें मैंने तुमको आज्ञा के रूप में दिया है, उन्हें लोगों को मानना सिखाओ। और देखो ! मैं जगत के अंत तक सदैव तुम्हारे साथ हूँ। (धर्मशास्त्र, मत्ति 28 : 18 - 20 )
पूर्ण ब्रह्म ने आदिश्री अरुण को छोड़कर किसी दूसरे को अपना बेटा बना कर नहीं भेजा बल्कि वह तो पूर्णब्रह्म का प्रतिबिब्म है, पहिलौठा है, पूर्णब्रह्म के सदृश है, क्षीरदकोसाई विष्णु है । अगर ईश्वर (खुदा) किसी को अपना बेटा बनाना चाहता तो अपनी महलूक में से जिसको चाहता चुन लेता। (कुरान, तर्जुमा, 39 सुरः जुमर 59 का आयत 4, Page No - 729) परन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि पूर्णब्रह्म के प्रतिबिब्म का स्थान दूसरा कोई भी नहीं ले सकता है । ऋषि, मुनि, योगी तथा दार्शनिक इनको नहीं जान सकते । इनका आध्यात्मिक स्वरुप व महिमा लोगों के समझ के बाहर है । ये सबके नियन्ता हैं । मोक्ष, सच्चाई, अनन्त जीवन और ज्ञान इन्हीं में है ।
जीवन तथा चेतना का प्राचीन राज्य इन्हीं में है। इनसे अलग रहकर आपका कोई अस्तित्व नहीं है । इनसे अलग जीवन नहीं है । यदि आप इनसे अलग हो जाएँगे तो पेड़ से अलग किए गए डाल की तरह सुख जाएँगे और लोग आपको आग में जला देंगे । इनके बिना आप कुछ भी नहीं कर सकते हैं । ये दाखलता हैं; आप और हम सब डाल हैं । जो इनमें बना रहेगा वह बहुत फल लाएगा । जो इनसे अलग हो जाएगा वह टूटे डाल की तरह सुख जाएगा और भीलनी उसे आग में जला देगी ।