Removal of Sorrow / दुःख का निवारण

       Removal of Sorrow / दुःख का निवारण 

                          आदिश्री अरुण

Removal of Sorrow

आपका इंटेंशन स्वार्थ का नहीं बल्कि प्यार का होना चाहिए । आपका डिमाण्ड का फाउंडेशन Faith, Love, और प्रार्थना पर होना चाहिए लेकिन दुःख की बात यह है कि आप भगवान को भी अपने जैसा समझने लगे हैं वे भगवान को लिफाफा दिखाते हैं और उनसे कहते हैं कि हे भगवान ! यदि हमारा यह काम हो जायेगा तो मैं आपको सोना का मुकुट पहनाउंगा आपको चादर चढ़ाऊंगा  



यदि मेरा अमुक काम हो जायेगा तो मैं आपके नाम का प्रसाद बाटुंगा । भगवान के बारे में लोग यह सोचते हैं कि  भगवान को जब थोड़ा इन्सेन्टिभ मिलेगा तब वो काम करेंगे । क्या आपका यह सोच आपको गलत नहीं लगता है ? आप भगवान से कहते हैं कि मेरा अमुक काम हो जाए तो मैं प्रसाद चढ़ाऊंगा जबकि वे प्रसाद का डिमांड करते नहीं हैं । अगर आपका काम नहीं होता है तो आप भगवान को प्रसाद नहीं चढ़ाते हैं । इसका मतलब क्या हुआ ? यह भगवान से प्यार नहीं बल्कि बिजनेस-डील है । अगर यदि आपका ऐसा सोच है तो आपके दुःख का निवारण कैसे होगा ? आपके दुखों का निवारण तब होगा जब आपका प्यार ईश्वर के साथ अनकण्डीशनल प्यार होगा, जब आपका इंटेंशन स्वार्थ का नहीं हो, आपके डिमाण्ड का फाउंडेशन Faith, Love, और प्रार्थना पर हो तो निश्चित ही आपके दुखों का निवारण हो जायेगा ।

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