सत्य युग कब आएगा ?
दिनांक 14
Oct 1989 को मैंने Lord Ministry का भार अपने कंधे पर लिया था । उस समय मैं 28 वर्ष का था । 14 Oct 2017 को 28
वर्ष पूरे हो जायेंगे । उस वक्त के समय और आज के समय में बहुत बड़ा गैप है। उन दिनों भगवन कल्कि जी लोगों के लिए नया भगवान थे, स्वधर्म नया धर्म था और अपने देवी देवताओं को छोड़ कर कोई भी भगवान कल्कि जी को भगवान मानने के लिए तैयार नहीं था । समाज में जो गुरु लोग थे वे राम - कृष्ण की कथा सुना - सुना कर लोगों की भीड़ इकठ्ठा करने में लगे थे और करोड़ों के धन इकट्ठा करने में जल्दीवाजी कर रहे थे । ऐसे विषम परिस्थिति में लोगों के मन में कल्कि नाम का बीज अंकुरित कर देना कठिन ही नहीं बल्कि असंभव काम था । यहाँ से शुरू होती है मेरी यात्रा ।
कुछ समय बाद कुछ लोग हमारे पास आए और उन आत्माओं को मैंने और आपकी श्रीमाता जी ने राज कुमार और राज कुमारियों की तरह संभाल कर रखा। उनके दुःख - दर्द, आर्थिक संकट, सामाजिक पड़ेशानी, पारिवारिक संकट को मिटाने के लिए दिव्य शक्ति का प्रयोग किया जिससे उनको शांति मिली और बाद में उनको गीता तथा ब्रह्म ज्ञान का उपदेश किया । 28 वर्ष बाद आज लोगों के मन में कल्कि नाम एक क्रांति की तरह फ़ैल चुकी है । आज You Tube पर, Face Book पर, Blog पर, Twitar पर, Google पर कल्कि भगवान के अनगिनत Video हैं और अनगिनत Information हैं । तो लोगों में कल्कि नाम का बीज बोने से लेकर कल्कि नाम का क्रांति लाने में ईश्वर पुत्र को कितना मिहनत करना पड़ा है उसको आप शायद अंदाज भी नहीं लगा सकते ।
जो हिन्दू हैं उनसे मैंने धर्म की बात किया तो उसने कहा कि मेरा अपना धर्म हिन्दू है और इस्लम्म, क्रिश्चन, सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म इत्यादि पराया धर्म है । जो मुस्लमान हैं उनसे मैंने धर्म की बात किया तो उसने कहा कि मेरा अपना धर्म इस्लाम है और हिन्दू , क्रिश्चन, सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म इत्यादि पराया धर्म है । जो क्रिश्चन हैं उनसे मैंने धर्म की बात किया तो उसने कहा कि मेरा अपना धर्म क्रिश्चनिटी है और हिन्दू , इस्लाम , सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म इत्यादि पराया धर्म है । मैंने क्या देखा कि सबों ने औसत धर्म अर्थात अधर्म अर्थात पराया धर्म को अपना लिया है और जो वास्तविक धर्म है, जो स्वधर्म है उसको छोड़ दिया है । पराया धर्म में तो लोग पाप ही करेंगे क्योंकि केवल वास्तविक धर्म में या स्वधर्म में ही लोगों से पाप नहीं होता है । गीता 18:47 उल्टा कर देखो । आप अपने आपको स्वधर्म में स्थित करने से आप धर्मी बनेंगे । आपको पराया धर्म छोड़ कर स्वधर्म में स्थित होना है । लेकिन आप पराया धर्म में ही स्थित रहे, आप औसत धर्म में ही स्थित रहे, आप अधर्म में ही स्थित रहे। इसलिए आप धर्मी नहीं बने इसलिए आपलोगों में परिवर्तन नहीं हुआ। इसलिए आज तक आपके द्वारा चोरी, बेईमानी, धोखाधड़ी और अनेकों जघन्य अपराध हो रहे हैं । कुछ लोगों ने पूछा - भगवान कल्कि जी को धरती पर आए 32 वर्ष बीत गए, ईश्वर पुत्र को धरती पर आये 56 वर्ष बीत गए, अब तक लोगों में परिवर्तन क्यों नहीं हुआ ? लोगों में परिवर्तन इसलिए नहीं हुआ क्योंकि आप धर्मी नहीं बने । लोगों में परिवर्तन इसलिए नहीं हुआ क्योंकि आप स्वधर्म में स्थित नहीं हुए ।
आपका मन क्या चाहता है ? आपको सभी लोग प्यार से बोले, आप पर सभी लोगों की दया बरसे, आपसे सब कोई 100 % सच बोले । इसका मतलब क्या हुआ ? आपका वास्तविक स्वभाव है - प्यार, दया, 100 % सच्चाई इत्यादि तो आपका स्वभाविक धर्म या स्वधर्म क्या हुआ ? प्यार, दया, 100 % सच्चाई इत्यादि । आप किस्में स्थित हो 100 % झूठ में, आप के अंदर सच्चाई कहाँ है ? आपके अंदर प्यार कहाँ है ? आपके अन्दर क्रोध है, गुस्सा है; आपका चाल चलन कैसा है ? लड़ाई - झगड़ा करना, कड़वे बोल बोलना, आपमें निर्दयता है, मार पिटाई करने की आदत है, आपके अन्दर दया कहाँ है ? आपके अन्दर छल कपट है, ईर्ष्या - द्वेष है, दुश्मनी है, बेईमानी करके छीन लेने वाली वृति है, आपके अन्दर देने वाली वृति है ? तो सत्य युग किसका Wait कर रहा है ?
भगवान कल्कि जी ने दया करके आपको अवसर दिया है ताकि आप अभी भी अपने आप को स्वधर्म में स्थित कर लो । ज्योतिष गणना के अनुसार 26 जुलाई 2014 को 3:11 P.M. बजे को सत्य युग उस समय प्रारम्भ हो गया जिस समय चन्द्रमा, सूर्य और वृहस्पति एक ही समय एक ही साथ पुष्य नक्षत्र में, एक राशि (कर्क राशि) में प्रवेश किया । (श्रीमद्भागवतम
महा पुराण 12 ; 2 :24 ;विष्णु
पुराण, चतुर्थ अंश (Part – 4th), अध्याय 24, श्लोक
– 102, पेज नम्बर
– 302 ; महाभारत, वन पर्व, शीर्षक "कलि धर्म और कल्कि अवतार" पेज नम्बर
– 311)
अब लोगों के सामने दो प्रश्न है (1) सत्य युग का प्रमुख और पहला लक्षण है 100 % (Honesty) ईमानदारी
तो लोगों के व्यवहार और उनके सोच एवं उनके चालचलन में परिवर्तन क्यों नहीं हुआ ?
(2) कलियुग
ख़त्म क्यों नहीं हुआ और लोग सत्य युग में प्रवेश क्यों नहीं किए ?
इसके पीछे पहली सच्चाई यह है कि "लोग यह मानते हैं कि सत्य युग आएगा, धरती पर धर्म की स्थापना होगी, धरती पर धर्म चारों चरण में आजाएगा तब हम और आप धर्मी हो जाएँगे; लोगों में 100 % (Honesty) ईमानदारी आजाएगी; लोगों के व्यवहार, उनके सोच एवं उनके चालचलन में परिवर्तन हो जाएगा । हमने कहा वाह ! लोगों की तो लॉटरी लग जाएँगे, सभी लोग धर्मी हो जाएँगे, धरती पर सत्य युग आ जाएगा।
दूसरी सच्चाई यह है कि - लोग पराया धर्म को छोड़ कर अपने आप को स्वधर्म में स्थित करेंगे और तब धरती पर धर्म की स्थापना हो जाएगी, धरती पर धर्म चारो चरण में आजाएगा, तब हम और आप धर्मी होजाएंगे और हम सब सत्य युग में प्रवेश कर जाएँगे ।
दोनों में कौन सी बात सत्य है ? लोग अपने आप धर्मी हो जाएँगे या लोग पराया धर्म को छोड़ कर अपने आपको स्वधर्म में स्थित करेंगे ?
देखो "सत्य युग लाना और सत्य युग आना" - दोनों में बहुत फर्क है । फिर से सोचो - एक है नया फ्लेट बनने वाला है और आपको वहां जाकर रहना है । दुसरा है आपको एक - एक ईंट रख कर एक नया फ्लेट बनाना है और उसमें जा कर रहना है । दोनों में बहुत फर्क है । सच्चाई क्या है ? एक नया फ्लेट अपने आप कैसे बनेगा जब तक कि आप उसे बनाओगे नहीं - बोलो । एक नया फ्लेट में रहने के लिए आपको एक - एक ईंट रख कर बनाना पडेगा या फिर बिल्डर को रूपये देकर फ्लेट बनवाना पड़ेगा तभी नए फ्लेट में रह सकोगे ।
सच्चाई क्या है ? फ्लेट में रहने के लिए फ्लेट अपने आप बन जाएगा या फिर खुद एक - एक ईंट रख कर अथवा बिल्डर को रुपये दे कर फ्लेट बनाना पडेगा ? जबाब क्या है - खुद एक - एक ईंट रख कर अथवा बिल्डर को रुपये दे कर फ्लेट बनाना पडेगा तभी आप एक नए फ्लेट में रह पाएंगे । ठीक उसी प्रकार जब आप पराया धर्म को छोड़ कर अपने आप को स्वधर्म में स्थित करेंगे तब धरती पर धर्म की स्थापना हो जाएगी, धरती पर धर्म चारो चरण में आजाएगा और तब हम और आप धर्मी होजाएंगे और सत्य युग आजाएगा ।
अब आप बताओ सत्य युग को आना है या सत्य युग को लाना है ? जबाब क्या है - सत्य युग को लाना है । सत्य युग को लाए बिना सत्य युग नहीं आएगा ।
सत्य युग कब आएगा ? जब हम और आप सत्य युग को लाना चाहेंगे । कलि युग और सत्य युगके बीच में अभी बहुत गैप है । कलि युग का धर्म क्या है ? क्रोध, गुस्सा, झूठ, असत्य, लड़ाई - झगड़ा, केवल लेने वाली वृति, देने वाली वृति नहीं, असंतोष, व्याकुलता । सत्य युग का धर्म क्या है ? 100 % Honesty, संतोष, देने वाली वृति, दयालुता, क्रोध नहीं, लड़ाई नहीं, झगड़ा नहीं, व्याकुलता नहीं । तो बताओ कलि युग और सत्य युग के बीच कितना बड़ा गैप है ? सत्य युग तभी आएगा जब आप और हम इस गैप को मिटा देंगे ।
दूसरा प्रश्न है - धर्म की स्थापना कब होगी ? लोग धर्मी कब होंगे ?
धरती पर धर्म चारो चरण में कब आएगा ? जब आप अपने आपको स्वाभाविक धर्म में स्थित कर लोगे, जब आप अपने आपको निज धर्म में स्थित कर लोगे ।
अब तुम बताओ क्या करना है और तुम क्या चाहते हो ? धर्म की स्थापना तो करनी ही है और धरती पर सत्य युग तो लाना ही है । इसके लिए पुरुषार्थ तो तुम्हें ही करना है पर सबाल यह उठता है कि आप पुरुषार्थ करोगे कैसे ? आप
बदलोगे कैसे ? आप पराया धर्म को छोड़कर स्वधर्म को अपनाओगे कैसे ? लेकिन एक बार कठोर बन कर सर्जरी तो करना ही पडेगा, आर या पार का फैसला तो करना ही पडेगा ।
आज फिर मैं आपको चेतावनी दे रहा हूँ
। भगवान को अवतार लेने का क्या प्रयोजन होता है ? (1) साधु पुरुषों का उद्धार करना, (2) पापकर्म करने वालों का विनाश करना (3) धर्म की अच्छी तरह से स्थापना करना ।
गीता
4:8 में ईश्वर ने क्या कहा ? साधु पुरुषों का उद्धार करने के लिए, पापकर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की अच्छी तरह से स्थापना करने के लिए मैं युग - युग में प्रकट हुआ करता हूँ ।
श्रीमद्भागवतम
महा पुराण 12 ; 2 :19 - 21 के अनुसार भगवान कल्कि जी के अवतार लेने का क्या प्रयोजन है ? (1) देव दत्त नमक शीघ्रगामी घोड़े पर दुष्टों को तलवार के घात उतार कर ठीक करेंगे (2) वे अपने शीघ्रगामी घोड़े से पृथ्वी पर सर्वत्र विचरण करेंगे और राजा के वेश में छिप कर रहने वाले कोटि - कोटि डाकुओं का संहार करेंगे (3) भगवान कल्कि सब डाकुओं अर्थात अधर्मियों का संहार करके सत्य युग को लाएंगे ।
महाभारत, वन पर्व, शीर्षक "कलि धर्म और कल्कि अवतार " पेज नंबर 311 के अनुसार भगवान कल्कि जी के अवतार लेने का क्या प्रयोजन है ? भगवान कल्कि ब्राह्मणों की सेना को साथ लेकर संसार में सर्वत्र फैले हुए म्लेच्छों का नाश कर डालेंगे । भगवान कल्कि विजय प्राप्त कर सत्य युग का प्रवर्तक कहलाएँगे ।
कल्कि पुराण तथा अन्य धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान कल्कि जी के अवतार लेने का क्या प्रयोजन है ? भगवान कल्कि म्लेच्छ, दुष्ट, पापी, अधर्मी, यवन तथा उपधर्म को मानने वालों का नाश करेंगे ।
कल्कि
पुराण 1,2:8 में ईश्वर ने कहा कि - " हे ब्रह्मा जी, मैं फिर से सत्य युग को लाकर,
पहले की तरह धर्म की स्थापना करके, कली रूपी सर्प (अधर्मियों) का नाश कर अपने लोक यानि
वैकुंठम को वापस आऊंगा ।
कल्कि पुराण तथा अन्य धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान कल्कि म्लेच्छ, दुष्ट, पापी, अधर्मी, यवन तथा उपधर्म को मानने वालों का नाश करेंगे ।
इतना तो तय होगया कि यदि आप नहीं बदलोगे तो आप या तो दुःख के भट्ठी में पड़ोगे या फिर भगवान कल्कि जी के द्वारा नष्ट कर दिए जाओगे
यह भी तय हो गया कि आप सत्य युग में जा कर धर्मी नहीं बन सकते बल्कि धर्मी बन कर ही सत्य युग में जा सकते हैं । आपके परिवर्तन से सत्य युग आएगा; सत्य युग को आने से आप में परिवर्तन नहीं आएगा । आत्मा जो संस्कार लेगी; शरीर छोड़ेगी; तो जो आत्मा जब नया शरीर लेगी, उस नया शरीर में उसके संस्कार कौन से होंगे ? जो पहले शरीर में संस्कार छोड़े थे । सिर्फ शरीर चेंज होगा संस्कार वही के वही रहेंगे । यदि अभी सत्य युग आ भी गया और आपने अभी नया शरीर ले लिया तो आप कौन सा संस्कार लेकर आएंगे ? जो संस्कार अभी आपके अन्दर है । जरा सोचो - यदि आप अभी धर्मी नहीं हैं, अभी आप पराये धर्म में हैं नया शरीर ले लिया तो धर्मी कैसे हो सकते हैं ? आप नया शरीर में पराया धर्म से अलग कैसे रह सकते हैं ? इसलिए मैं आप से कहता हूँ कि यदि आज शरीर छोडो तो क्या आप सत्य युग में प्रवेश करने के लिए तैयार हो ? नहीं । जो संस्कार अभी आपने छोड़ा है वही अगले में मिलेगा । तो क्या अभी आपके अन्दर सत्य युग वाले संस्कार हैं ? अगर नहीं हैं तो सत्य युग में कैसे प्रवेश करेंगे ? तब तो आप भगवान कल्कि जी के द्वारा नष्ट कर दिए जायेंगे । तो इसी शरीर में आपको सत्य युग वाला संस्कार लाना है तभी आप सत्य युग में प्रवेश करेंगे ।
आज दुनिया में एक ऐसे श्रेणी के लोग हैं जो अपने आपको संत कहते हैं, जो अपने आपको धर्मगुरु कहते हैं या गुरु देव कहते हैं उनका बाहरी देह तो सत्य युग जैसा है लेकिन संस्कार कलियुग जैसा है, संस्कार उपधर्म वाला है, संस्कार औसत धर्म वाला है । तो क्या वे सत्य युग में प्रवेश करेंगे ? नहीं, वे तो बस मरने ही वाले हैं ।
दूसरे श्रेणी में वेलोग हैं जिनका बाहरी शरीर कलियुग जैसा है और संस्कार भी कलियुग वाला है, अधर्म वाला है, औसत धर्म वाला है तो क्या वे लोग सत्य युग में प्रवेश करेंगे ? नहीं, वे तो बस मरने ही वाले हैं ।
तीसरे श्रेणी में
हम और आप हैं जिसका बाहरी देह तो कलियुग जैसा है परन्तु संस्कार सत्य युग वाला है, संस्कार स्वधर्म वाला है ? तो क्या हम और आप सत्य युग में प्रवेश करेंगे ? हाँ, सत्य युग
में अवश्य ही प्रवेश करेंगे ।
यह बात तो तय हो गया कि - यदि अभी तुरत युग परिवर्तन हुआ तो न तो पहले श्रेणी वाला संत, महात्मा और धर्मगुरु बचेंगे और न दूसरे श्रेणी वाला लोग बचेंगे । वे तो बस मरने ही वाले हैं ।
हम सभी 7 वें मनवन्तर के 28वें कलियुग के समाप्ति के बाद के समय में जी रहे हैं । 28 वें मनवन्तर में प्रवेश करना समय की मांग है । पहले मनवन्तर की तरह 28 वें मनवन्तर में प्रवेश होने से पहले धरती पर विनाश उपस्थित होना निश्चित ही है । इसमें न तो देव बचेंगे, न दानव और न मानव । सब कुछ नष्ट हो जाएँगे और बचेंगे केवल ऋषि, सप्तऋषि और भगवान कल्कि में पूर्ण श्रद्धा, भक्ति और विश्वास रखने वाले लोग ।