Benefits of Havan or Yagya / हवन या यज्ञ का फल
Ishwar Putra Arun
यह बात जान लो कि अग्नि में डाला हुआ पदार्थ नष्ट नहीं होता । अग्नि का काम स्थूल पदार्थ को सूक्ष्म रूप में परिवर्तित कर देना है । यज्ञ करते हुए अग्नि में घी डालते हैं, वह नष्ट नहीं होता, स्थूल घी, घी के सूक्ष्म परमाणुओं में बदल जाता है , जो घी एक कटोरी में था, परमाणुओं के रूप में वह सारे वातावरण में फैल जाता है ।
सामग्री जैसे - गुग्गल, जायफल, जावित्री, पांच ड्राई फ्रूट, दूध, चाँदी का सिक्का आदि जो कुछ डाला गया था, वह परमाणुओं में टूटकर सारे वायुमण्डल में व्याप्त हो जाता है । मनुष्य को पता नहीं चलता है। या फिर उसे किसी बात का पता चलता है, किसी बात का पता नहीं चलता है। उदाहरण को समझो - स्थूल (साबुत) मिर्च को आप अपने जेब में डालकर घुमते रहें, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा, उसी को यदि ऊखल में रख कर कुटो तो उसकी धमक से छीकें आने लगेंगी, उसी को आग में डाल दें तो सारे घर के लोग दूर-दूर बैठे हुए भी छींक - छींक कर परेशान हो जाएँगे ।
क्यों परेशान हो जाएँगे ? क्योंकि आग का काम स्थूल वस्तु को तोड़ कर सूक्ष्म कर देना है और वस्तु सूक्ष्म होकर परिमित स्थान में कैद न रहकर दूर-दूर फैल ही नहीं जाती है बल्कि वह सूक्ष्म होकर सूर्य तक फैल जाती है और सूर्य के धूप के द्वारा वह मनुष्य तक वापस आकर असर डालती है । वेद में 12 प्रकार के यज्ञ बताए गए हैं इसमें मनुष्य को जिस - जिस चीजों की कमी हो उसको अग्नि में आहुति दे । ऐसा करने से मनुष्य के हर जरुरत की चीज पुरे हो जायेंगे ।
मनु ने कहा है कि - आग में डालने से हवि सूक्ष्म होकर सूर्य तक फैल जाती है -
"अग्नौ हुतं हविः सम्यक् आदित्यम् उपतिष्ठति ।"