Ask in Faith
विश्वास करके ईश्वर से मांगें
आदिश्री अरुण
Ask in Faith
ईश्वर
से कुछ भी
माँगने से पहले
आपके अन्दर 100 % विश्वास
का होना जरुरी
है । इसके बाद किसी भी बात की चिंता मत करो तथा आप अपना Dimand प्रार्थना और विनती के द्वारा ईश्वर के सामने रखो। इसके
बाद ईश्वर को
देखो ।
मैंने ये नहीं
कहा कि सोचो
। मैंने ये
कहा कि देखो
। सोचने और
देखने में बहुत
फर्क है ।
अब प्रश्न यह
उठता है कि
ईश्वर से कभी
मिला नहीं, ईश्वर
को कभी देखा
नहीं, ईश्वर का
रूप कैसा है
मैंने जाना नहीं
।
साउथ इंडिया
के मंदिर में
गया तो वहाँ
मैंने ईश्वर का
मूर्ति देखा ।
वह कैसा था
? साउथ इंडियन के जैसा
था । मैं
वेस्ट बंगाल के
मंदिर में गया
तो वहाँ मैंने
ईश्वर का मूर्ति
देखा । वह
कैसा था ? बंगाली
जैसा था ।
मैं असाम के
मंदिर में गया
तो वहाँ मैंने
ईश्वर का मूर्ति
देखा । वह
कैसा था ? असामी
के जैसा था
। मैं बिहार
और U.P. के मंदिर
में गया तो
वहाँ मैंने ईश्वर
का मूर्ति देखा
। वह कैसा
था ? बिहार और
U.P. के जैसा था
। मैं तो
कंफ्यूज हो गया
कि सच मुच
ईश्वर का रूप
कैसा है ? अब
ईश्वर का रूप
देखूं कैसे ? इसी
confusion को दूर करने
के लिए ईश्वर पुत्र को
आपके सामने आने
की जरुरत पड़ी
।
पहले
ये बताओ कि
आपने कभी अपने
वास्तविक स्वरुप को देखा
है ? बोलो ? अगर
देखा है तो
बताओ कि आपका
वास्तविक स्वरुप कैसा है
? नहीं पता है
तो सुनो ।
आपका वास्तविक स्वरुप प्रकाश
का एक बून्द
है । ONE DROP OF
LIGHT; गीता 15:7 में ईश्वर
ने क्या कहा
? ईश्वर ने कहा
कि " इस देह
में यह जीवात्मा
मेरा ही सनातन
अंश है। " इसका
मतलब क्या हुआ
? यदि आप प्रकाश
का एक बून्द
हो, यदि आप
ONE DROP
OF LIGHT हो
तो ईश्वर प्रकाश
सागर हैं ।
तो ईश्वर का
स्वरुप कैसा है
? अथाह प्रकाश सागर के
जैसा । तो
ईश्वर के रूप
को देखना हो
तो क्या देखूं
? अथाह प्रकाश का सागर
।
अब
सबाल यह उठता
है कि देखने
से क्या होगा
? मुझको तो ईश्वर
से जरुरी का
चीज माँगना है। इस
बात को समझने
के लिए मैंने
दो ग्रुप बनाया
और उन पर
एक्सपेरिमेंट किया ।
मैंने कैसे एक्सपेरिमेंट
किया और उसका
कैसे study किया
?
मैंने
एक ग्रुप के लोगों से कहा कि हर रोज तीन घंटा गिटार पर एक ही भजन बजाओ - ओ पालन हारे
..... । दूसरे ग्रुप से कहा कि हर रोज तीन
घंटा कल्पना में गिटार पर एक ही भजन बजाओ - ओ पालन हारे ..... । अर्थात आपको मन में बुद्धि का उपयोग करके कल्पना
करके गिटार बजाना है इस तरह कि हाथ में गिटार पकड़े हुए हैं और अंगुलियां गिटार पर ध्वनि
उत्पन्न कर रही है - ओ पालन हारे ..... ।
मेरी
बात ध्यान से सुनो - मैंने एक ग्रुप को हर रोज तीन घंटा गिटार पर एक ही भजन - ओ पालन हारे ..... बजाने के लिए कहा और दूसरे
ग्रुप से कहा कि हर रोज तीन घंटा मन में बुद्धि का उपयोग करके कल्पना करके गिटार पर
एक ही भजन - ओ पालन हारे ..... बजाने के लिए
कहा । हर रोज 7 दिनों तक दोनों ग्रुप के लोगों के ब्रेन का EEG करवा करके दोनों के
Brain Pattern को देखा तो क्या रिजल्ट देखा ? दोनों ग्रुप के लोगों का Brain
Pattern लगभग - लगभग एक ही जैसा था । एक वास्तविक में गिटार बजा रहा है और दूसरा कल्पना
करके गिटार बजा रहा है । उसका मन चिंतन कर रहा है और बुद्धि उसका चित्र निर्माण करती
है । इससे क्या निष्कर्ष निकला ? वास्तविक में Physical रूप से गिटार बजाने पर जो आत्मा
अनुभव करती है ठीक वही अनुभव कल्पना करके गिटार बजाने पर करती है । अर्थात जो आत्मा अनुभव करती है वो मैसेज ब्रेन को भी चला जाता
है और body को भी चला जाता है । अर्थात The Brain Pattern and body can not be a different set. जब आप मन और बुद्धि का उपयोग करके
पूर्ण विश्वास के साथ ईश्वर के स्वरुप इस तरह देखेंगे कि प्रकाश बून्द अर्थात आप प्रकाश
सागर के अन्दर है अर्थात ईश्वर के अन्दर है (you are inside the God) तब यह कल्पना
हकीकत में बदल जायेगा । इसी फ़ायदा के लिए तो लोग धारणा किया करते हैं । ठीक इसी तरह
जब आप मन और बुद्धि का उपयोग करके पूर्ण विश्वास के साथ ईश्वर के स्वरुप इस तरह देखेंगे
कि ईश्वर आपके जरुरत के चीजों को दे रहे हैं
या फिर ईश्वर आपको पड़ेशानी से बहार निकल रहें हैं तो कल्पना वास्तविकता (Reality) में
बदल जाएगी । ऐसा कम से कम आप 15 दिनों तक करें; बल्कि दिन में तीन बार करें और रात
में सोने से पहले तथा ब्रह्म मुहूर्त में जरूर करें ।
तथास्तु
! अर्थात ऐसा ही हो !