Lord Rama's Promise for Kaliyuga
कलियुग के लिए भगवान श्रीराम का वादा
आदिश्री अरुण
कलियुग के लिए भगवान श्री रामजी ने त्रेतायुग में किया था एक वादा।
नवरात्री के शुभ अवसर पर आपको याद दिलाता हूँ कलियुग के लिए "भगवान श्री रामजी का वादा "।
सीता हरण से पहले वेदवती नाम की कन्या ने की थी सीता जी की मदद।
एक दिन भगवान श्री रामजी ने मारीच नाम का राक्षस को बध करने के लिए पंचवटी से बहार गए। उनके साथ उनका छोटा भाई लक्ष्मण भी सीता जी के कहने पर श्री रामजी के पीछे - पीछे चला गया । इसके बाद राक्षराज रावण सीता जी को हर ले जाने के लिए पंचवटी के समीप आया। उस समय पंचवटी में स्थित अग्निहोत्र-गृह में अग्निदेव रावण की वैसी चेष्टा जानकर सीता जी को साथ ले पाताल में चले गए और अपनी पत्नी स्वाहा की देख - रेख में सीता जी को सौंप कर लौट आए । पूर्व काल में कल्याणमयी वेदवती को एक बार उसी राक्षसराज रावण ने स्पर्श कर लिया था, जिससे दुखी होकर उसने प्रज्वलित अग्नि में शरीर को त्याग दिया। उस समय उसी वेदवती को रावण का संहार करने के उद्देश्य से अग्निदेव ने वेदवती को सीता जी के सामान रूप वाली कन्या बना कर पंचवटी में सीताजी के स्थान पर छोड़ दिया। रावण ने उसी वेदवती को सीता समझ लिया और उसको अपहरण कर लंका ले आया।
रावण के मारे जाने पर अग्नि परीक्षा के समय उसी वेदवती ने अग्नि में प्रवेश किया। और अग्निदेव ने सीता जी को सुरक्षित लाकर भगवान श्री रामजी को सौंप दिया। अग्नि देव ने भगवान श्री रामजी से प्रार्थना किया कि - यह वेदवती सीता जी का प्रिय करने वाली है; अतः आप इसे वरदान देकर प्रसन्न करें। अग्नि देव की यह बात सुन कर सीता जी भगवान श्री रामजी से कही - प्रभो ! यह वेदवती सदा मेरी प्रिय कार्य करने वाली है । यह उच्च कोटि की भगवद्भक्त है। अतः आप स्वयं ही इसे अंगीकार करें। तब भगवान श्री रामजी ने सीता जी से कहा - देवी ! कलियुग में मैं तुम्हारे कथनानुसार कार्य करूँगा। तब तक देवताओं से पूजित होकर यह वेदवती ब्रह्म लोक में निवास करे। (स्कन्दपुराण, वैष्णव खंड - भूमिवाराह खंड, शीर्षक " वेंकटाचलनिवासी श्रीहरि और पद्मावती का विवाह", पेज नं o 211 - 212 )