7 वां मन्वन्तर का अन्त
आदिश्री अरुण
मैं ज्ञान हूँ। मैं ज्ञानियों का मार्ग और बुद्धिजीवियों की पहचान हूँ । मैं ज्ञान हूँ । हे मानव जाति ! आप मुझे पाने का प्रयास करते हैं और मैं आपको अपना बनाने की शुभ इच्छा रखता हूँ । इसकारण आपका और मेरा निकट सम्बन्ध है । वेद और पुराण कहते हैं कि ज्ञान के द्वारा भगवान को जाना जासकता है। इसी कारण आज मेरे मन में एक विचार जन्म लिया। वेद पुराण में भगवान नारायण के 24 अवतारों की चर्चा की गई है ।
हे मानव जाति ! भगवान् को जानने के इस प्रयास में मैं आपको अपना साथी बनाना चाहता हूँ । आप 7 वां मन्वन्तर के अन्त में जी रहे हैं । आदिश्री की इच्छा के अनुसार आपके और सृष्टि के सम्पूर्ण जीवों के समान काल की गति प्रदान करने वाले आदिश्री ने एक दिन समय और काल की गति को विराम देने और युगों के चक्र अर्थात मन्वन्तर को समाप्त करने के उद्देश्य से अपना हाथ उठाया । इस कारण पृथ्वी कांपने लगी और बार - बार पृथ्वी पर भूकंप आने लगा । त्रिदेवों ने यह स्वीकार कर लिया कि पृथ्वी का कम्पन महा प्रलय का संकेत है। पृथ्वी के इस कम्पन को देख कर चिंतित न हो प्राणी । यह कम्पन 7 वां मन्वन्तर का अन्त और 8 वां मन्वन्तर के प्रारम्भ का संकेत है। हे प्राणी आप तो भली भांति जानते हैं कि आदिश्री की इच्छा से एक निश्चित समय के बाद हर मन्वन्तर का अन्त होता है । पूर्व मनवन्तरों की भांति इस मन्वन्तर का भी अन्त समीप है । इस मन्वन्तर का अन्त करने के लिए आदिश्री को तमोगुण से भगवान शिव रूप में अर्थात प्रलयंकर रूप में प्रकट होना पड़ेगा । अब 7 वां मन्वन्तर के अन्त में जो होने वाला हैं यह निम्नरूप से वर्णित हैं :
(1) अब पृथ्वी पर बार - बार भूकम्प आएगा । अधर्म शक्तियाँ सारी पृथ्वी पर फैल जाएगी । सारे लोगों के रग - रग में अधर्म समा जाएगा । सारे लोग अधर्मी हो जाएँगे। धर्मी लोग कष्ट और संकट में घिर जाएँगे। दानव शक्ति प्रबल हो जाएगी। आदमी, आदमी को मारेंगे अर्थात आतंकवाद सारे संसार में फ़ैल जाएगा। उसकी प्रवृती बिना कारण लोगों को मारने की होगी। चारों ओऱ अधर्म शक्तियाँ तांडव नृत्य करेगी ।
(3 ) इस प्रलय में देव, दानव तथा मानव तीनों नष्ट हो जाएँगे ।
(4) केवल ऋषि और सप्तऋषि अपने ज्ञान और विज्ञान को इस्तमाल करने के कारण इस प्रलय से सुरक्षित रहेंगे । इसके आलावा एक और लोग हैं जो इस प्रलय से सुरक्षित रहेंगे । ये वे लोग हैं जो भगवान कल्कि में श्रद्धा, भक्ति और विश्वास को बरकरार रखेंगे । केवल यही वो लोग हैं जो 8 वें मन्वन्तर में प्रवेश करेंगे ।
(5) महा प्रलय में अभी कुछ वक्त शेष है । इसलिए इस वक्त का आप सदुपयोग करें । पर कैसे ? इस समय का उपयोग ध्यान, नाम संकीर्तन तथा ईश्वर के कार्य करने में किया करें ।