भगवान कल्कि के नाम की घोषणा
ईश्वर पुत्र अरुण
DECLARATION OF THE NAME OF KALKI
सभी धर्मशास्त्रों में यह भविष्यवाणी किया गया है कि कलियुग में उद्धार पाने के लिए श्री हरि का नाम ही एक मात्र उपाय है । पद्म पुराण, पातालखण्ड, शीर्षक " नाम कीर्तन की महिमा......." पेज नं ० 565 में पार्वती जी के पूछे जाने पर महादेव जी ने जबाब दिया कि कलियुग में केवल हरि नाम ही संसार समुद्र से पार लगाने वाला है ।
श्रीमद्भागवतम महा पुराण 12;3:52 में यह भविष्यवाणी किया गया है कि जो फल सत्य युग में ध्यान करने से प्राप्त होता है, त्रेता में बड़े - बड़े यज्ञों के द्वारा उनकी आराधना करने से प्राप्त होता है तथा द्वापर में विधिपूर्वक उनकी पूजा-सेवा करने से जो फल प्राप्त होता है वही फल कलियुग में केवल श्री हरि के नाम के संकीर्तन करने से प्राप्त होजाता है। लेकिन कलियुग में श्री हरि का नाम क्या होगा यह बात धरती पर रहने वाले बड़े - बड़े साधु, संत, महात्मा और तपस्वी को नहीं मालूम है तो फिर साधारण मनुष्य को किस प्रकार मालूम हो सकता है ? तब प्रश्न यह उठता है कि कलियुग में लोगों का उद्धार कैसे होगा ?
ईश्वर पुत्र अरुण जी ने देखा कि धर्म में पूरी तरह पाखंडता आचुकी है, लोग धर्म के नाम पर लोगों को मिसगाईड करने लगे हैं, बड़े - बड़े साधु - संत अपने चाल चलन को बिगार लिए हैं तथा चरित्रहीन हो चुके हैं और अपना आनंदमय जीवन पाने के लिए धर्म के नाम पर लोगों को मिसगाईड करके केवल धन-संग्रह में ही लग चुके हैं । अब इस धरती पर श्री हरि के नाम को बताने वाला कोई नहीं है । धरती पर ऐसी स्थिति आजाने के कारण लोगों के कल्याण के लिए, दैविक प्रेरणा से, दैविक योजना में, ईश्वर पुत्र अरुण जी ने दिनांक १ अप्रैल २००७ को, रोहिणी सेक्टर - ५ के (रिठाला मेट्रो स्टेशन के नजदीक) सामुदायिक भवन में सभा बुलाकर भगवान कल्कि जी के नाम का घोषणा किए ताकि सम्पूर्ण मानव जाति का उद्धार हो।
श्रीमद्भागवतम महा पुराण 12;3:52 में यह भविष्यवाणी किया गया है कि जो फल सत्य युग में ध्यान करने से प्राप्त होता है, त्रेता में बड़े - बड़े यज्ञों के द्वारा उनकी आराधना करने से प्राप्त होता है तथा द्वापर में विधिपूर्वक उनकी पूजा-सेवा करने से जो फल प्राप्त होता है वही फल कलियुग में केवल श्री हरि के नाम के संकीर्तन करने से प्राप्त होजाता है। लेकिन कलियुग में श्री हरि का नाम क्या होगा यह बात धरती पर रहने वाले बड़े - बड़े साधु, संत, महात्मा और तपस्वी को नहीं मालूम है तो फिर साधारण मनुष्य को किस प्रकार मालूम हो सकता है ? तब प्रश्न यह उठता है कि कलियुग में लोगों का उद्धार कैसे होगा ?
ईश्वर पुत्र अरुण जी ने देखा कि धर्म में पूरी तरह पाखंडता आचुकी है, लोग धर्म के नाम पर लोगों को मिसगाईड करने लगे हैं, बड़े - बड़े साधु - संत अपने चाल चलन को बिगार लिए हैं तथा चरित्रहीन हो चुके हैं और अपना आनंदमय जीवन पाने के लिए धर्म के नाम पर लोगों को मिसगाईड करके केवल धन-संग्रह में ही लग चुके हैं । अब इस धरती पर श्री हरि के नाम को बताने वाला कोई नहीं है । धरती पर ऐसी स्थिति आजाने के कारण लोगों के कल्याण के लिए, दैविक प्रेरणा से, दैविक योजना में, ईश्वर पुत्र अरुण जी ने दिनांक १ अप्रैल २००७ को, रोहिणी सेक्टर - ५ के (रिठाला मेट्रो स्टेशन के नजदीक) सामुदायिक भवन में सभा बुलाकर भगवान कल्कि जी के नाम का घोषणा किए ताकि सम्पूर्ण मानव जाति का उद्धार हो।