How to love with God ?

ईश्वर से कैसे प्यार करें ?


ईश्वर पुत्र अरुण 


How to love God ?

लोग भिन्न - भिन्न तरह से ईश्वर से प्यार करने की कोशिश करते हैं लेकिन अक्सर उनके द्वारा किया गया  प्रयास सही नहीं होता है क्योंकि वे लोगों के द्वारा भ्रमित होते हैं और इसी कारण वे अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाते हैं । कुछ लोग यह सोचते हैं कि ईश्वर से प्यार करने का मतलब है हर हमेशा पूजा करते रहना चाहिए । कुछ लोग यह सोचते हैं कि ईश्वर से प्यार करने का मतलब है हम घंटों धर्मशास्त्र पढ़ते रहें ।  कुछ लोग यह सोचते हैं कि ईश्वर से प्यार करने का मतलब है हम अपने जीवन में कोई गलत काम न करें बल्कि हमेशा सही काम करें । वास्तव में ऐसे लोग पूर्णतया अज्ञान के जाल में फसे हुए हैं । उनका आध्यात्मिकता उनके जरुरी और सही पर ही खिसक कर लटक गया है। बहुत से लोगों का यह यह मानना है कि बहुत कठिन अनुशासन में रह कर ही ईश्वर को खुश किया जासकता है। उनके पास एक लंबा लिस्ट होते हैं जिसको करना ही करना है। और कुछ ऐसे लिस्ट होते हैं जो ईश्वर से प्यार करने के लिए आवश्यक है परन्तु वे कर नहीं सकते । वे ऐसा व्यवहार करते हैं कि जैसे ईश्वर एक रोगी हैं और उनके ऊपर एक अस्वस्थ बच्चे के समान सावधानी बरतना है । इस तरह लोगों को ईश्वर के प्रति प्यार जताने का तरीका प्रचलित है ।  
वास्तव में ईश्वर से प्यार करना कठिन नहीं है ।  कोई भी आदमी उनसे प्यार कर सकता है ।  यह इतना आसान है कि एक बच्चा भी उनसे प्यार कर सकता है ।  ईश्वर ने धर्मशास्त्र में लिखवाया कि जब तक तुम बच्चे कि तरह पवित्र न बन जाओ तब तक ईश्वर के साम्राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते । ईश्वर से प्यार कैसे करें यह सिखने के लिए तुम्हें स्पेशल स्कूल जाने की जरुरत नहीं है ।  इसके लिए तुमको अलग से मंदिर बनाने की जरुरत नहीं है । आप अपने ईश्वर के प्रेमी भक्तों के द्वारा ईश्वर के प्रति जो प्यार है उसको भेज सकते हैं ।  जैसे ईश्वर ने बहुत से लोगों को बनाया और उनके अन्दर अपनी आत्मा को डाल दिया ।  अगर तुम दूसरे लोगों से प्रेम किया तो निश्चित रूप से तुम्हारा प्यार ईश्वर के पास पहुँच गया । अगर यदि तुम और अधिक लोगों से प्यार किया तो तुम्हारा अधिक प्यार ईश्वर के पास पहुँचा जिसके चलते अधिक तेजी से तुम्हारी बीमारी या तुम्हारी पड़ेशानी खत्म हो जाती है।
जो प्यार तुम दूसरे को दिए वह तुम्हारे ह्रदय में  उत्पन्न नहीं हुआ । ईश्वर ने उस प्यार को वहाँ रखा और जब तुम इसे दूसरे को भेजते हो तो ईश्वर इसके स्थान पर तुम्हारे लिए बहुत चीज देते हैं । जब ईश्वर अपना प्यार तुम्हारे द्वारा भेजते हैं तो वे तुमसे मिलने के लिए नहीं आते हैं । वे तुम्हारे ह्रदय रूपी कप को तब तक भरते हैं जबतक कि वह लबालब (overflow) भर नहीं जाता । वे तुम्हारे ह्रदय रूपी कप को तब तक भरते हैं जबतक कि तुम्हारा मन और ह्रदय पवित्र नहीं हो जाता । और इसके बाद तब वे और अधिक भर देते हैं जिसके चलते तुम्हारी  भावनात्मक समस्या खत्म हो जाती  है । ईश्वर अपना सब काम प्यार की शक्ति  के द्वारा ही करते हैं परन्तु वे  इस सत्य को चारों तरफ  लोगों के बीच  पहुँचाने के लिए तुमको इस्तेमाल करते हैं। 

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