कैसे प्राप्त करें असली जीवन ?
ईश्वर पुत्र अरुण
कैसे प्राप्त करें असली जीवन -
अधिकतर मनुष्य संसार के आधीन हैं और संसार में माया अत्यधिक प्रबल है। माया के प्रेम अनेक किस्मों के हैं लेकिन यह सारे अंत में नष्ट हो जाने वाले हैं । यदि कोई मनुष्य वृक्ष की छाया के साथ प्रेम करे, तो परिणाम यह होगा कि एक समय वह छाया नष्ट हो जाएगी और वह मनुष्य पश्चाताप में डूब जाएगा। गोचर जगत नश्वर है । इस जगत से यह अँधा मनुष्य अपनत्व का रिस्ता जोड़ रखा है। जो भी मनुष्य किसी यात्री से सम्बन्ध जोड़ लेता है अंत में उसके हाथ कुछ भी नहीं आता है ।
प्रभु के नाम का प्रेम ही सुख देने वाला है । यह प्रेम केवल उसी मनुष्य को प्राप्त होता है जिसे प्रभु कृपा करके स्वयं अपनी ओर लगाता है । इस बात को मत भूलिए कि वह प्रभु , वह परब्रह्म जो माया से परे है, जो मन वाणी से परे है, वह भूत काल में भी अगम था और भविष्य में भी अगम रहेगा । दूसरी बात - रथ, हाथी, घोड़े, तथा कपड़े साथ - साथ रहने वाले नहीं हैं । इस सारी माया में प्रेम पूर्वक लिप्त देख कर अंतःह्रदय में बैठा आत्मा हँसता है पर वह जीव इस सत्य को नहीं जनता है कि माया से प्रेम करना व्यर्थ है । विश्वासघात, मोह,तथा अहंकार ये सब मन की व्यर्थ लहरें हैं । अपने आप पर अभिमान करना भी झूठा नशा है । सदा स्थिर रहने वाला केवल एक मात्र प्रभु की भक्ति ही है जो गुरुदेव का शरण लेकर की जाय । प्रभु के शरण होकर ही, सदा प्रभु का नाम जप कर ही मनुष्य असली जीवन जीता है ।