ईश्वर आपको अकेला नहीं छोड़ेंगे /God will never leave you alone
(ईश्वर पुत्र अरुण )ईश्वर आपको अकेला नहीं छोड़ेंगे
आप और ईश्वर/God दोनों की यह इच्छा है कि आप आरामदेह जीवन की बात शेयर करें । लेकिन आप और ईश्वर दोनों कभी भी इस बात पर सहमत नहीं होते कि आपके लिए किस तरह का आरामदेह जीवन सबसे अच्छा है । वास्तव में अभी आप मह्शूश कर रहे हैं कि ईश्वर आपके आरामदेह जीवन के लिए परवाह कर रहे हैं लेकिन इसके लिए उनको कितना दर्द हो रहा है इस बात को आप सचमुच मह्शूश नहीं करते हैं । इसके पीछे जो कारण छिपा है उसको आप जानना नहीं चाहते हैं । आप केवल यह चाहते हैं कि दिक्कत के दिनों में भी आपको आरामदेह जीवन मिले । लेकिन ईश्वर यह चाहते हैं कि आपको केवल पवित्रता का परम सुख मिले क्योंकि आप अपनी पवित्रता का परम सुख के लिए है बनाये गए हैं और ईश्वर जिस काम में आपको लगाएँ उसको प्रसन्नता पूर्वक किया करें । इसलिए जब आप यह अनुभव करेंगे कि समय दर्द भरी परिस्थिति में आपको जीने के लिए मजबूर कर रही है तो ईश्वर उस विषम परिस्थिति में इस प्रयास में लग जाते हैं कि आपको लम्बी अवधि के लिए आराम मिले । ऐसी विषम परिस्थिति में ईश्वर के वादे आपके साथ रहते हैं और वे अपने वादों को निभाना बखूबी से जानते हैं । उन्होंने यह वादा किया कि देखो ! मैं जगत के अंत तक तुम्हारे साथ हूँ ।(धर्मशास्त्र, मत्ती 28 :20) मैं तुझे कभी न छोडूंगा और न तुझे त्यागूंगा । (धर्मशास्त्र, इब्रानियों 13 :5) यदि तुम इतना आरामदायक मह्शूश नहीं कर सकते तो वे उतना कष्टप्रद भी नहीं होंगे । यही वह समय होगा जिस समय तुम्हारा मन करेगा मैं ईश्वर को छोड़ दूँ । लेकिन ईश्वर अपनी तरफ से तुम्हारे लिए ऐसा नहीं सोचेंगे और न तुमको छोड़ेंगे जब तक कि तुम पवित्रतता को नहीं छोड़ देते । पर जैसा तुम्हारा बुलाने वाला पवित्र है ठीक उसी तरह तुम भी अपने सारे चाल चलन में पवित्र बनो । (धर्मशास्त्र, 1 पतरस 1 :15 -16) ईश्वर ने धर्मशास्त्र, लैव्यव्यवस्था 11 : 44 में साफ - साफ लब्जों में कहा कि " मैं तुम्हारा परमेश्वर हूँ ; इस कारण अपने आपको शुद्ध करके पवित्र बने रहो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ ।"
इसलिए मैं तुमसे सच कहता हूँ कि "तू हियाब बाँध और दृढ़ हो, उन से न डर और न भयभीत हो क्योंकि तेरे संग चलने वाला तेरा परमेश्वर है। वह तुमको धोखा नहीं देगा और न छोड़ेगा।" (धर्मशास्त्र, व्यवस्थाविवरण 31 :6 )