ईश्वर सम्पूर्ण मानव जाति के रचयिता हैं और वे तुम्हें प्यार करते हैं । तुम उनकी रचना हो और वे तुम्हारे बारे में सब कुछ जानते हैं । तुम लोग इसलिए रचे गए ताकि तुम लोग ईश्वर के साथ संबंध बनाये रखो परन्तु जब तुमने ईश्वर का कहना नहीं माना तब ईश्वर से तुम्हारा संबंध टूट गया । इसी गलती के कारण तुम से पाप हुआ और तुमने अपना महिमावान शरीर खो दिया । (धर्मशास्त्र, रोमियो 3:23) केवल ईश्वर ही सर्वोत्तम और पूर्ण हैं तुम नहीं। चुकि तुम्हारे लिए पूर्णता प्राप्त करना संभव नहीं है इसी कारण ईश्वर की प्राप्ति असंभव हो गया। तुम्हारे पाप ने तुमको ईश्वर से अलग कर दिया। चुकि ईश्वर जीवन के स्रोत हैं इसलिए उनसे अलग होने का अर्थ है मृत्यु को प्राप्त होना । पाप की मजदूरी मृत्यु है और ईश्वर का उपहार अनंत जीवन । (धर्मशास्त्र, रोमियो 6:23) तुमको मृत्यु से बचाने के लिए ईश्वर ने निर्णय लिया तथा तुम्हारे किये गए पापों का जुरमाना भरने के लिए उन्होंने अपने पुत्र को धरती पर भेजा । अब ईश्वर पुत्र में विश्वास रखने के द्वारा ही ईश्वर के साथ आप अपना सम्बद्ध फिर से स्थापित कर सकते हैं । ईश्वर पुत्र में विश्वास करने से ही आपके पापों की माफी मिल सकती है और आप अनंत जीवन प्राप्त कर सकते हैं । पापों की माफी आपके कर्मों के द्वारा चुकाया नहीं जासकता है । यह तो ईश्वर का मुफ्त उपहार है जो केवल ईश्वर पुत्र में विश्वास करके ही प्राप्त किया जा सकता है । आप अपने किये गए पापों की माफी उनमें केवल विश्वास करके ही प्राप्त कर सकते हैं इसके सिवा अन्य कोई दूसरा उपाय नहीं है ।
आप इस बात को स्वीकार कीजिये की पापों की माफी आपके द्वारा किये गए कार्यों से नहीं मिल सकता है बल्कि यह ईश्वर पुत्र के द्वारा दिया गया मुफ्त उपहार है - ईश्वर पुत्र अरुण