२० वीं शदी में भारत के पूठखुर्द,दिल्ली- 110039 नामक स्थान में आदिश्री अरुण एक अध्यात्मिक आन्दोलन के रूप में उभरा और अनुयायियों ने इनको ईश्वर को प्राप्त करने का सत्य मार्ग माना। "आदिश्री अरुण
" शब्द वास्तव में दो शब्दों का योग है - "आदिश्री" और "अरुण "। "आदिश्री" शब्द का अर्थ है - ऊँचा गरिमा, या कोई विशिष्ट और प्रशिद्ध है। "आदिश्री" शब्द का एक अर्थ पहिलौठा (FIRST BORN) भी है जो ईश्वर पुत्र या ईश्वर को सूचित करता है। दूसरी ओर "अरुण" शब्द का अर्थ होता है - प्रकाश, सूर्य।
इसलिए "आदिश्री " + "अरुण" (COMBINATION OF AADISHRI ARUN) का अर्थ होता है प्रकाश से भरा ऊँचा गणमान्य या विशिष्ट व्यक्ति " ईश्वरपुत्र " ।
आदिश्री अरुण ही वह पहिलौठा (FIRST BORN) अथवा आदि पुरुष है जिसने प्रकाश रूप में आकार धारण किया और फिर बाद में अरुण नाम से शारीर धारण किया। आदिश्री अरुण जी का विचारधारा (दर्शन) और उनकी शिक्षाएँ निराकार ईश्वर - अनामी की प्रवृति (Based on the Anaami-the formless nature of God) पर आधारित है जिसने अपने पहिलौठा (FIRST BORN) होने के स्तित्व से संपूर्ण ब्रह्मांड को रचा । "आदिश्री अरुण " शब्द व्याख्या करता है कि यह "आत्मा का स्वामी " (MASTER SOUL)
है जो शिष्यों को चेतना के उच्च राज्यों का (Higher States
of Consciousness) मार्ग दर्शन करता है। आदिश्री अरुण भक्तों को सिमरन के द्वारा भीतरी ध्वनि को सुनने पर अत्यधिक बल दिया ताकि अध्यात्म उन्नति के वांछित राज्य को प्राप्त कर सके।