2016 में बैशाख माह शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि 18 मई को है। अतः 18 मई 2016 को कल्कि जयन्ती आप भी मनाइए। प्रभु कल्कि आपके जीवन में खुशियाँ और आनंद ला देंगे। कल्कि नाम का संकीर्तन कीजिये तो आपका उद्धार हो जाएगा । बैशाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी समस्त पाप राशि का विनाश करने वाली है।
बैशाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी
तिथि में मनुष्य जो कुछ पूण्य करता
है , वह अक्षय फल देने वाला होता है ।
जो बैसाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी के कोमल दलों से भगवान विष्णु की पूजा करता है वह
समूचे कुल का उद्धार करके वैकुण्ठ लोक
का अधिपति होता है।
बैसाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को जो मनुष्य दूध, दही, शक़्कर, घी और शुद्ध मधु - इन पांच द्रव्यों से भगवान् विष्णु की प्रसन्नता के लिए उनकी पूजा करता है तथा जो पञ्चामृत से भक्ति पूर्वक श्री हरि को स्नान कराता है, वह सम्पूर्ण कुल का उद्धार करके भगवान् विष्णु के लोक में प्रतिष्ठित होता है । जो मनुष्य इस तिथि को सायंकाल में भगवान् विष्णु की प्रसन्नता के लिए शर्वत देता है, वह अपने पुराने पाप को शीघ्र ही त्याग देता है। (स्कन्द पुराण, वैष्णव खण्ड - वैशाख मास-महात्म्य, शीर्षक "वैशाख की अक्षय तृतीया और द्वादशी की महत्ता, पेज न ० 384)
बैशाख मास की शुक्ल पक्ष में तीन तिथियाँ हैं - एकादशी तिथि, द्वादशी तिथि तथा तृतीया तिथि; ये बहुत ही शुभ कारक हैं । पूर्व काल में बैसाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को शुभ अमृत प्रकट हुआ था । द्वादशी को भगवान् विष्णु ने उसकी रक्षा की थी । त्रयोदशी को उन श्री हरि ने देवताओं को सुधापान कराया था। चतुर्दशी को देवविरोधि दैत्यों का संहार किया और पूर्णिमा के दिन समस्त देवताओं को उनका साम्राज्य प्राप्त हो गया । इसलिए देवताओं ने संतुष्ट होकर इन तीन तिथियों को वर दिया - बैसाख मास की ये तीन तिथियाँ मनुष्यों के पाप को नाश करने वाली तथा उन्हें पूत्र - पौत्रादि फल देने वाली हों । जो मनुष्य इस अन्तिम तिथियों में लगातार तीन दिन गीता पाठ करता है उसे प्रति दिन अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है । जो उक्त तीन दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करता है उसके पूण्य फल का वर्णन करने में भू लोक तथा स्वर्ग लोक में कोई भी समर्थ्य नहीं है ।
जो बैसाख मास के अंतिम तीन दिनों में भागवतशास्त्र का श्रवण करता है वह जल से कमल के पत्ते की भाँति कभी पापों से लिप्त नहीं होता। (स्कन्द पुराण, वैष्णव खण्ड - वैशाख मास-महात्म्य, शीर्षक "वैशाख की अंतिम तीन तिथियों की महत्ता , पेज न ० 386 -387)