अनुराधा के प्रश्न और आदि श्री अरुण जी का जबाब


अनुराधा : आदि श्री के चरणों में कोटि - कोटि प्रणाम । मैं हमेशा परमेश्वर की  इच्छाओं के अनुसार चलना चाहती हूँ किन्तु घर के सभी लोग  मुझसे लड़ते हैं । वे कहते हैं कि अपने पति और घरवाले के इच्छाओं के अनुसार चलो। जो घर के बड़े - वुजुर्गों का आशीर्वाद ले लिया समझो उसको सब कुछ मिल गया । जो घर के बड़े - वुजुर्गों का आशीर्वाद ले लिया उसको कभी दुःख आयेगा ही नहीं।  जो अपने पति के  इच्छाओं के अनुसार चलता है उसको जीते - जीते मोक्ष मिल जता है। आदि श्री मैं क्या करूँ ? कृपया मार्गदर्शन कीजिये ।


आदि श्री अरुण : मनुष्य शरीर में जितने भी व्यकित हैं वे सभी काल के पिंजरे में बन्द  हैं। काल एक दिन सभी को निगल लेगा ।बचेगा वही जो काल के पिंजरे से मुक्त हो जाएगा । मनुष्य काल के पिंजरे से मुक्त कब होगा ? जब कोई काल से भी शक्तिशाली व्यक्ति जो काल एडमिनिस्ट्रेशन से बाहर है वह स्वयं  आकर काल के पिंजरे से बाहर निकाल दे । यह काम केवल दो ही व्यक्ति कर सकता है - (१) सत पुरुष और (२) परमेश्वर । सत पुरुष अनामी पुरुष का ही प्रतिबिम्ब है जो काल एडमिनिस्ट्रेशन से बाहर है । काल एडमिनिस्ट्रेशन सोऽहं ब्रह्म (भँवर गुफा) से ही शुरू हो जाता है और पिंड देश (शरीर) तक बरकरार रहता है। सत पुरुष सत लोक में रहते हैं जो काल एडमिनिस्ट्रेशन से बाहर है । अतः जो जीव मनुष्य शारीर में आ गया वह स्वयं काल एडमिनिस्ट्रेशन के अन्दर है और काल के पिंजरे में बन्द है  । वह जीव स्वयं को भी काल के पिंजरे से मुक्त नहीं कर सकता है तो भला दूसरे को  काल के पिंजरे से कैसे मुक्त कर देगा ?  पति के आज्ञा के अनुसार चलना बहुत अच्छी बात है क्योंकि पति पत्नी के सिर का मुकुट होता है । अपने पति का इज्जत करना बहुत ही अच्छी बात है। उसी तरह घर के बड़े - वुजुर्गों का सम्मान करना बहुत ही अच्छी बात है। लेकिन जहाँ बात उठती है मोक्ष की या उद्धार की अथवा दुःख या संकट से बचने की तो इस मामले में तुमको न तो तुम्हारा पति मदद कर सकता है और न घर के बड़े - बुजुर्ग ही मदद कर सकते हैं । इस  मामले में तुमको केवल एक मात्र सत पुरुष या परमेश्वर ही मदद कर सकेंगे। इसलिए अगर कोई तुमसे यह कहता है कि अपने पति और घरवाले के इच्छाओं के अनुसार चलो। जो घर के बड़े - वुजुर्गों का आशीर्वाद ले लिया समझो उसको सब कुछ मिल गया । जो घर के बड़े - वुजुर्गों का आशीर्वाद ले लिया उसको कभी दुःख आयेगा ही नहीं।   जो अपने पति के  इच्छाओं के अनुसार चलता है उसको जीते - जीते मोक्ष मिल जाता है यह बात 100  % गलत है । इस काम के लिए जीव को केवल एक मात्र सत पुरुष या परमेश्वर की  ही इच्छा के अनुसार चलना  चाहिए  ।
जो मनुष्य परमेश्वर की  इच्छाओं के अनुसार चलता है वह हमेशा ही  जीवित रहता है। इस बात को लोग सुनते तो हैं परन्तु अपने  दैनिक जीवन में इसको उतारते नहीं हैं। इसलिए इस अमृत तुल्य बातों को सुनने के बाद भी लोगों को कोई लाभ नहीं मिलता है। आप देखते होंगे कि बहुत सारे परिवार हैं जो  बर्वाद हो गए क्योंकि वे परमेश्वर की  इच्छाओं के अनुसार नहीं चले और अपने घर को सांसारिक नीव पर खड़ा  किये थे। थोड़ा सा प्रेसर पड़ा और वह गिरकर धरासाई हो गया। लेकिन जो व्यक्ति अपना घर परमेश्वर के नाम रूपी चट्टान पर बनाते हैं, उनका घर हमेशा स्थिर और सुरक्षित रहता  है क्योंकि परमेश्वर सारी विपत्तिओं से आपकी रक्षा करते हैं ।

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