पिता का सच
(आदिश्री अरुण)
वर्तमान समय में बच्चे एवं बच्चियाँ अपने जीवन में पिता के स्थान को डिलीट कर दिया है । वे इस बात को भूल चुके हैं कि दुनिया में केवल एक पिता ही ऐसा इंसान है जो चाहता है कि मेरा बच्चा मुझसे भी ज्यादा कामयाब हो । पिता के प्यार को , पिता के भावनाओं को, पिता के त्याग को, बच्चों को सर्वोच्च शिखर पर पहुँचाने की पिता के लगन को भुलाकर वह पूर्ण रूप से दुनिया के चमक - दमक में खो चुका है । उसने अपने आपको हठ पूर्वक आसक्ति के नीव पर खड़ा कर लिया है और वह हमेशा - हमेशा के लिए विषयाशक्ति में डूब चुका है । बच्चों के प्रति पिता के गुणों पर यदि नजर डालें तो आप गिनती भूल जाएँगे । वास्तविकता तो यह है कि पिता एक नीम के पेड़ के समान होता है जिसके पत्ते भले ही कड़वे हों पर वह छाया हमेशा ठंढी ही देता है ।