Maha Upadesh of Aadishri, Part - 10; आदिश्री का महा उपदेश, भाग - 10


आदिश्री का महा उपदेश, भाग - 10 

(आदिश्री अरुण)  

Maha Upadesh of Aadishri, Part - 10; आदिश्री का महा उपदेश, भाग - 10

मेरे लिए यह जानना जरुरी है कि आपको मन की शांति चाहिए या पूरे परिवार में शांति चाहिए या गाँव  में शांति चाहिए या  पूरे  देश में शांति चाहिए या फिर पूरे विश्व में शांति चाहिए ? क्या आप सचमुच शान्ति लेने के लिए तैयार हैं ? यदि आपको  सचमुच शान्ति चाहिए तो मुझे जबाब दीजिये कि आप में से वो व्यक्ति कौन - कौन हैं जिनको दिन में कम से कम एक बार गुस्सा आ जाता है ? अब मैं आपकी सोई चेतना को जगाना चाहता हूँ कि यदि आपको  दिन में एक बार भी गुस्सा आगया तो आप मन को, शरीर को, रिश्तों को, प्रकृति को तथा पुरे विश्व  को दूषित कर रहे हैं ।  यदि आप एक बार भी क्रोध को त्याग कर शांति को धारण किया तो आप केवल सिर्फ अपने मन को ही सुकून नहीं दिया, केवल रिश्तों में ही प्यार नहीं दिया, केवल प्रकृति को ही प्रदुषण से मुक्त नहीं किया, बल्कि आप पुरे विश्व को सुन्दर बनाने के लिए सेवा किये ।  तो क्या आप सेवा करने के लिए तैयार हैं ? अब आप हमें यह बताइये कि कौन - कौन आदमी अपने मन को, अपने घर को, अपने परिवार को और पूरे  विश्व को सुन्दर बनाने के लिए तैयार हैं ?


आपने सुना होगा कि जो त्याग करता है वह पूज्यनीय है । तो आप अपने क्रोध का त्याग कर दीजिये । क्रोध तो कोई अच्छी चीज है नहीं जिसके लिए आप सोच - विचार करें ।  गीता 16 :21  में  तो क्रोध को नर्क का द्वार कहा गया है । तो क्रोध कि बुलेट ट्रेन पर बैठ  कर  आप  नर्क क्यों जाना चाहते हैं ? गीता 2 : 63 में ईश्वर ने कहा कि  क्रोध से अत्यन्त मूढ़भाव उत्पन्न हो जाता है । तो फिर आपको क्रोध क्यों अच्छा क्यों लगता है ?


क्रोध  का त्याग, ईर्ष्या का त्याग, अहंकार का त्याग, शांति देना, सुख देना, प्यार देना तो सर्व श्रेष्ट सेवा है। मेरा मानना है कि  यह सेवा कलियुग को सत्य युग बना देगा   

  
छोटी - छोटी बातों में चिरचिरापन, अचानक इरिटेट हो जाना, ऊँची आवाज में बात करना, दूसरे कि गलती निकालना, दूसरे को ताने मारकर अपनी आत्मा को और दूसरे की आत्मा को नीचे गिराना, ये प्रदुषण हैं, ये Pollution  हैं। कई महीने पहले दिल्ली और दिल्ली NCR में आये Pollution से भी ज्यादा खतरनाक Pollution है     


दिल्ली और दिल्ली NCR के Pollution से बचने के लिए आपलोगों ने मास्क पहनने का सुझाव दिया, हेलीकाप्टर से पानी का छिड़काव करने का सलाह दिया परन्तु आप जो ऊँची आवाज में बोलकर, छोटी - छोटी बातों में गुस्सा कर, ताने मार कर और छोटी - छोटी बातों में इरिटेट होकर जो Pollution उत्पन्न कर चुके हैं - इस खतरनाक Pollution से बचने के लिए आपके पास क्या Solution है ?

मेरे पास इस खतरनाक Pollution से बचने के लिए Solution है जो निम्न प्रकार वर्णित है -


(१) आप समबुद्धि रूप योग को अपनाइए । आप समबुद्धि रूप योग में ही रक्षा का उपाय ढूढ़िये ।
(२) आप मान में अपमान में, हानि में लाभ में, सर्दी में गर्मीं में हमेशा सम रहिए ।
(३) मतभेद का करण उपस्थित होने पर किसी के मत को खंडन नम्रता पूर्वक क्षमा प्रार्थना करके ऐसी चतुराई से करो को विरुद्ध मत वालों को बुरा न लगे ।


आप क्रोध को त्याग कर ऐसी वाणी बोलिये कि आपके मन का क्रोध शांत हो जाय और दूसरे को भी शीतल और ठंढक पहुंचे । "ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय । औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय ।।"
मैं आपसे सच कहता हूँ कि क्रोध सबसे बड़ा विषैला, जानलेवा Pollution   है जो आपके रिश्ते, मर्यादा, सुख - शांति, घर - परिवारगाँव - समाज, देश तथा पूरे  विश्व को नष्ट कर रहा है । इस Pollution को रोकिए । मन, रिश्ते, समाज, विश्व, पूरे वातावरण और प्रकृति को और Polluted मत कीजिए। क्रोध का Vibration जब पूरे विश्व में फैलती है तब पूरे विश्व में फैल जाती है । तब घंटी बजती है Nuclear   war की,  घंटी बजती है  Atomic war की जिसमें पूरा विश्व नष्ट हो जाने का खतरा उत्पन्न हो जाता है । इस Pollution को केवल हम और आप रोक सकते हैं । इसके लिए हम और आप सभी को अपनी स्वभाविक स्थिति में वापस आना होगा । Come back to Origin . 


आपकी स्वभाविक स्थिति क्या है ? प्यार, शान्ति, देना, सेवा करना, क्षमा करना,  100 %  ईमानदारी, 100 % Truth इत्यादि । आज आपके वास्तविक सोच की लिस्ट ही बदल चुकी है। आप अपनी स्वभाविक स्थिति में कैसे वापस आएंगे ? इसके लिए आप (१) क्रोध वाली संस्कार को त्याग दें तथा (२) नफरत और  क्रोध में आकर भोजन तैयार करने वाले व्यक्ति का भोजन न करें - क्योंकि जैसा खाए अन्न वैसा होए मन। अगर आप मेरा कहना मानें और हमारे बताये गए बातों को आप अपने व्यवहारिक जीवन में उतारें तो आपके मन में 100 % शांति आएगी, आपके घर में 100 % शांति आएगी, आपके गाँव - समाज, देश तथा पूरे विश्व में 100 % शांति आ जाएगी ।  


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