How to Get Real Peace
वास्तविक शांति कैसे
प्राप्त करें ?
(Aadishri Arun)
मैंने सुना है कि आप
वास्तविक शांति चाहते हैं । एक आदमी जिसका
नाम अजय मेहता है वे मुझसे मिले और उन्होंने सीधा - सीधा मुझसे कहा कि मुझको शांति चाहिए, क्या आप दे सकते हैं ? इसलिए आज मैं आपके सामने आया हूँ
आपसे बात करने और मैं आपसे प्रोमिस करता हूँ कि हाँ मैं आपको शांति दूंगा । लेकिन मैं यह जानना चाहता हूँ कि आपको मन की
शांति चाहिए या पूरे परिवार में शांति चाहिए या गाँउ और पूरे देश में शांति चाहिए
या फिर पूरे विश्व में शांति चाहिए ? क्या आप सचमुच शान्ति लेने के लिए तैयार हैं ? यदि आपको सचमुच शान्ति चाहिए तो मुझे जबाब दीजिये कि आप
में से वो व्यक्ति कौन - कौन हैं जिनको दिन में कम से कम एक बार गुस्सा आ जाता है ? अब मैं आपकी सोई
चेतना को जगाना चाहता हूँ कि यदि आपको दिन
में एक बार भी गुस्सा आगया तो आपकी ये हरकत मन को, शरीर को, रिश्तों को, प्रकृति को तथा पूरे विश्व
को दूषित कर रहा है । यदि आप एक
बार भी क्रोध को त्याग कर शांति को धारण कर लीजिये तो आपने केवल सिर्फ अपने मन को ही
सुकून नहीं दिया, केवल रिश्तों में
ही प्यार नहीं दिया, केवल प्रकृति को
ही प्रदुषण से मुक्त नहीं किया, बल्कि आप पुरे विश्व को सुन्दर बनाने के लिए सेवा किये
। तो क्या आप सेवा करने के लिए तैयार हैं ? अब आप हमें यह
बताइये कि कौन - कौन आदमी अपने मन को, अपने घर को, अपने परिवार को और पूरे विश्व को सुन्दर बनाने के लिए तैयार
हैं ?
आपने सुना होगा कि जो
त्याग करता है वह पूज्यनीय है । तो आप
अपने क्रोध का त्याग कर दीजिये । क्रोध तो कोई अच्छी चीज
है नहीं जिसके लिए आप सोच - विचार करें ।
गीता 16 :21 में तो
क्रोध को नर्क का द्वार कहा गया है । तो क्रोध की बुलेट ट्रेन पर बैठ कर आप नर्क में क्यों जाना चाहते हैं ? गीता 2 : 63 में ईश्वर ने
कहा कि क्रोध से अत्यन्त मूढ़भाव उत्पन्न
हो जाता है । तो फिर आपको क्रोध क्यों अच्छा लगता है ?
क्रोध का त्याग, ईर्ष्या का त्याग, अहंकार का त्याग, शांति देना, सुख देना, प्यार देना तो सर्व श्रेष्ट सेवा है । मेरा मानना है कि यह सेवा कलियुग
को सत्य युग बना देगा ।
छोटी - छोटी बातों में
चिरचिरापन, अचानक इरिटेट हो
जाना, ऊँची आवाज में
बात करना, दूसरे का गलती
निकालना, दूसरे को ताने
मारकर अपनी आत्मा को और दूसरे की आत्मा को नीचे गिराना, ये प्रदुषण हैं, ये Pollution हैं । पिछले महीने दिल्ली और दिल्ली NCR में आये Pollution से भी यह ज्यादा खतरनाक Pollution है ।
दिल्ली और दिल्ली NCR के Pollution से बचने के लिए
आपलोगों ने मास्क पहनने का सुझाव दिया, हेलीकाप्टर से पानी का छिड़काव करने का सलाह दिया परन्तु आप
जो ऊँची आवाज में बोलकर, छोटी - छोटी
बातों में गुस्सा कर, ताने मार कर और
छोटी - छोटी बातों में इरिटेट होकर जो Pollution उत्पन्न कर चुके हैं - इस खतरनाक Pollution से बचने के लिए आपके पास क्या Solution है ?
मेरे पास इस खतरनाक Pollution से बचने के लिए Solution है जो निम्न
प्रकार वर्णित है -
(१) आप समबुद्धि रूप योग को अपनाइए । आप समबुद्धि रूप योग
में ही अपनी रक्षा का उपाय ढूढ़िये ।
(२) आप मान में अपमान में, हानि में लाभ में, सर्दी में गर्मीं
में हमेशा सम रहिए ।
(३) मतभेद का करण उपस्थित होने पर किसी के मत को खंडण नम्रता
पूर्वक क्षमा प्रार्थना करके ऐसी चतुराई से कीजिये कि विरुद्ध मत वालों को बुरा न लगे
।
आप क्रोध को त्याग कर ऐसी
वाणी बोलिये कि आपके मन का क्रोध शांत हो जाय और दूसरे को भी शीतल और ठंढक पहुंचे
।
"ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय । औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय
।।"
मैं आपसे सच कहता हूँ कि
क्रोध सबसे बड़ा विषैला, जानलेवा Pollution है जो आपके रिश्ते, मर्यादा, सुख - शांति, घर - परिवार, गाउँ - समाज, देश तथा पूरे
विश्व को नष्ट कर रहा है । इस Pollution को रोकिए । मन, रिश्ते, समाज, विश्व, पूरे वातावरण और प्रकृति को और अधिक Polluted मत कीजिए। क्रोध
का Vibration जब पूरे विश्व
में फैलती है तब पूरे विश्व में अशांति फैल जाती है । तब घंटी बजती है Nuclear war की और घंटी बजती है Atomic war की जिसमें पूरे विश्व को नष्ट हो जाने का खतरा उत्पन्न हो जाता है । इस Pollution को केवल हम और आप
रोक सकते हैं । इसके लिए हम और आप सभी को अपनी स्वभाविक स्थिति में वापस आना होगा
। Come back to Origin . आपकी स्वभाविक
स्थिति क्या है ? आपकी स्वभाविक स्थिति है - प्यार, शान्ति, देना, सेवा करना, क्षमा करना,
100 % ईमानदारी (Honesty), 100 % Truth इत्यादि । आज
आपके वास्तविक सोच की लिस्ट ही बदल चुकी है।
क्या आपने कभी सोचा है कि हम अपनी स्वभाविक स्थिति में कैसे वापस आएंगे ? इसके लिए आप (१) क्रोध वाली संस्कार को त्याग दें तथा
(२) नफरत और क्रोध में आकर भोजन तैयार करने वाले व्यक्ति का भोजन न करें - क्योंकि जैसा खाए अन्न वैसा होए मन।
क्या आपने कभी सोचा है कि हम अपनी स्वभाविक स्थिति में कैसे वापस आएंगे ? इसके लिए आप (१) क्रोध वाली संस्कार को त्याग दें तथा
(२) नफरत और क्रोध में आकर भोजन तैयार करने वाले व्यक्ति का भोजन न करें - क्योंकि जैसा खाए अन्न वैसा होए मन।
अगर आप मेरा कहना मानें और मेरे बताये गए बातों को आप अपने
व्यवहारिक जीवन में उतारें तो आपके मन में 100 % शांति आ जाएगी, आपके घर में 100 % शांति आ जाएगी, आपके गाँउ, देश तथा पूरे विश्व में 100 % शांति आ जाएगी ।