अपना भाग्य कैसे बदलें ?
How to change your Fate ?
(Aadishri Arun)
अच्छे कर्म और बुरे कर्म के मिश्रण से भाग्य बनता है। यदि आपने अपने सम्पूर्ण
जीवन काल में 70 % अच्छे कर्म किये
हैं और 30 % बुरे कर्म किये हैं तो आपके जीवन में जीवन काल का 70
% अच्छा
या सुख में जीवन बीतेंगे और आपके जीवन में जीवन काल का 30 % दुःख, वीमारी, चिंता एवं
पड़ेशानी में जीवन बीतेंगे । यदि आपने अपने जीवन काल में 100 % अच्छे कर्म किये हैं और 00 % बुरे कर्म किये हैं तो आपके जीवन में जीवन काल
का 100 % अच्छे से या सुख में जीवन बीतेंगे । आपके जीवन में दुःख,
वीमारी, चिंता एवं पड़ेशानी आएगी ही नहीं । यदि आपने अपने जीवन में 100
% बुरे कर्म किये हैं और 00 % अच्छे कर्म किये
हैं तो आपके जीवन में जीवन काल का 100 % दुःख, वीमारी, चिंता एवं पड़ेशानी में जीवन बीतेंगे, आप कभी भी सुख नहीं भोगेंगे । यदि आप कर्म फल का ही त्याग कर दीजिये तो आप
जन्म और मृत्यु के चक्र से छूट जाएँगे । क्योंकि कर्म से ही जीव शरीर से बांधता है - " कर्मणा जीव
वध्यते " । गीता 18 : 12 में ईश्वर ने यह
कहा कि " कर्मफल का त्याग न करने वाले मनुष्यों के कर्मों का तो अच्छा, बुरा और मिला हुआ - ऐसा तीन प्रकार का फल मरने के पश्चात्
अवश्य होता है, किन्तु कर्म फल
का त्याग कर देने वाले मनुष्यों के कर्मों का फल किसी काल में भी नहीं होता ।
अब प्रश्न यह उठता है कि कर्म कैसे बनता है ? कर्म बनता है सोच से (Thought से), और सोच (Thought) बनता है सूचना से, Information से ।
कर्म का स्रोत सोच है (Thought है )। आप जो बोलते हो, जो कर्म करते हो, जो खाते हो, जो पीते हो, जो दान देते हो, जो सुनते हो जो देखते हो, जो पढ़ते हो - यह सब सोच का ही (Thought का ही ) परिणाम है । आपके कर्म, बोल, विचार, आचरण, व्यवहार और स्वाभाव आपके सोच (Thought) की क्वालिटी पर निर्भर करता है । जैसा आपका सोच होगा, जैसा आपके सोच की क्वालिटी होगी वैसा ही आपका आचरण, कर्म, बोल, विचार, व्यवहार और स्वाभाव होगा । लोग खराब सोच के ही कारण लड़ते हैं - झगड़ते हैं या कड़वे बोल बोलते हैं या गलत काम करते हैं या छिना - झपटी करते हैं, और अच्छे सोच के ही चलते लोग मीठे बोल बोलते हैं, अच्छे काम करते हैं, दया करते हैं , गरीबों को दान देते हैं । और जैसा आपका कर्म होगा वैसा ही आपका भाग्य होगा । तो भाग्य कहाँ से बना ? सोच से, Thoughts से। पिछले 20 वर्षों से यदि आप टेंसन से डिप्रेशन में पहुंचे हैं तो उसका बहुत बड़ा कारन है सूचना, Information. और सोच किससे बनते हैं ? सूचना से , Information से । जब हम और आप student life में थे तब सूचना के , Information के स्रोत क्या थे ? न्यूज पेपर, सिनेमा और रेडियो । तब लोगों में प्रेम था, लोगों में Honesty थी, लोगों में सेवा करने का भाव था, लोग माँ - बाप को सम्मान देते थे, लोग माँ - बाप को बुढ़ापे में सहारा देते थे, लोग माँ - बाप का कहना मानते थे , बहु सास - ससुर की सेवा करती थी , बहु सास - ससुर की आज्ञा में रहती थी, बहु सास - ससुर का इज्जत करती थी । आज के समय में लोगों का सोच का समीकरण साफ उल्टा है। आज के समय में बुढ़ापे में बेटा और बहु ही माँ - बाप से अपनी सेवा करवाता है । भले माँ लांगरी क्यों न हो, बाप जानलेवा वीमारी का शिकार क्यों न हो । बेटा माँ - बाप के चरित्र पर ही दोष लगता है, बुढ़ापे में बेटा और बहु से सेवा का तो उम्मीद ही छोड़ दे । ऊँची आवाज में बोलना, बात - बात पर गुस्सा करना, बात - बात पर इरिटेट हो जाना, माँ - बाप से लड़ना, माँ - बाप को दोषी साबित करना इत्यादि को उनका Culture हो गया है। क्यों ऐसा हुआ ? क्योंकि आज के समय सूचना Information का स्रोत ही ऐसा है । स्रोत से सोच Thoughts बनाते हैं और Thoughts से कर्म बनते हैं । तो आज के समय में सूचना व् Information का स्रोत क्या है ? T .V , Computer , मोबाईल, Whats app, Web Sight, Google, Internet, Twitter, Face book, अश्लील Cinema , kitty party , क्लब इत्यादि।
कर्म का स्रोत सोच है (Thought है )। आप जो बोलते हो, जो कर्म करते हो, जो खाते हो, जो पीते हो, जो दान देते हो, जो सुनते हो जो देखते हो, जो पढ़ते हो - यह सब सोच का ही (Thought का ही ) परिणाम है । आपके कर्म, बोल, विचार, आचरण, व्यवहार और स्वाभाव आपके सोच (Thought) की क्वालिटी पर निर्भर करता है । जैसा आपका सोच होगा, जैसा आपके सोच की क्वालिटी होगी वैसा ही आपका आचरण, कर्म, बोल, विचार, व्यवहार और स्वाभाव होगा । लोग खराब सोच के ही कारण लड़ते हैं - झगड़ते हैं या कड़वे बोल बोलते हैं या गलत काम करते हैं या छिना - झपटी करते हैं, और अच्छे सोच के ही चलते लोग मीठे बोल बोलते हैं, अच्छे काम करते हैं, दया करते हैं , गरीबों को दान देते हैं । और जैसा आपका कर्म होगा वैसा ही आपका भाग्य होगा । तो भाग्य कहाँ से बना ? सोच से, Thoughts से। पिछले 20 वर्षों से यदि आप टेंसन से डिप्रेशन में पहुंचे हैं तो उसका बहुत बड़ा कारन है सूचना, Information. और सोच किससे बनते हैं ? सूचना से , Information से । जब हम और आप student life में थे तब सूचना के , Information के स्रोत क्या थे ? न्यूज पेपर, सिनेमा और रेडियो । तब लोगों में प्रेम था, लोगों में Honesty थी, लोगों में सेवा करने का भाव था, लोग माँ - बाप को सम्मान देते थे, लोग माँ - बाप को बुढ़ापे में सहारा देते थे, लोग माँ - बाप का कहना मानते थे , बहु सास - ससुर की सेवा करती थी , बहु सास - ससुर की आज्ञा में रहती थी, बहु सास - ससुर का इज्जत करती थी । आज के समय में लोगों का सोच का समीकरण साफ उल्टा है। आज के समय में बुढ़ापे में बेटा और बहु ही माँ - बाप से अपनी सेवा करवाता है । भले माँ लांगरी क्यों न हो, बाप जानलेवा वीमारी का शिकार क्यों न हो । बेटा माँ - बाप के चरित्र पर ही दोष लगता है, बुढ़ापे में बेटा और बहु से सेवा का तो उम्मीद ही छोड़ दे । ऊँची आवाज में बोलना, बात - बात पर गुस्सा करना, बात - बात पर इरिटेट हो जाना, माँ - बाप से लड़ना, माँ - बाप को दोषी साबित करना इत्यादि को उनका Culture हो गया है। क्यों ऐसा हुआ ? क्योंकि आज के समय सूचना Information का स्रोत ही ऐसा है । स्रोत से सोच Thoughts बनाते हैं और Thoughts से कर्म बनते हैं । तो आज के समय में सूचना व् Information का स्रोत क्या है ? T .V , Computer , मोबाईल, Whats app, Web Sight, Google, Internet, Twitter, Face book, अश्लील Cinema , kitty party , क्लब इत्यादि।
आज मोबाईल बहुत जरुरी का साधन हो चुका है ।
लेकिन जरा सोचो कि आपने तो मोबाईल से खराब बातों को Delete कर दिया लेकिन मोबाइल का जो सूचना, जो Information दिमाग ने खा लिया क्या आपने उसको Delete किया ? इसी तरह
जो सूचना, जो Information दिमाग ने T .V , Computer , Whatsapp, Web Site, Google, Internet,
Twitter, Facebook, अश्लील Cinema , kitty party , क्लब इत्यादि से खा लिया क्या आपने उसको Delete किया ? नहीं । तो इसका परिणाम क्या हुआ ? जो सूचना, जो Information आपके दिमाग ने खा
लिया वही आपके चित पर बैठ गया और जो आपके चित पर बैठ गया वही आपका सोच व् आपका Thoughts बन गया और जो आपका
सोच आपका ,Thoughts बन गया
वही आपका कर्म बन गया । तो आप बताओ कि आपका भाग्य कैसा बनेगा ? खराब या अच्छा ? बहुत खराब । यही कारण है कि लोगों के जीवन से
सुख - चैन, प्रेम, शांति, अच्छे संस्कार इत्यादि चले गए। इसके जगह पर क्या आगया ? वीमारी, डिप्रेशन, हार्ट एटैक, B .P, मानसिक रोग,
लड़ाई - झगड़ा, कलह - क्लेश, Separation , हिंसा, चुगली, ईर्ष्या - द्वेष, दुश्मनी, बेईमानी, झूठ, मार - पीट,
दंगा - फसाद इत्यादि ।
बड़ों का Respect खतम, पांच आदमी के बातों को मानना खतम, उम्र का लिहाज करना खतम । तो अब आपका भाग्य कैसा होगा ? दुःख से भरा हुआ, वीमारी से तो कभी छुटकारा मिलेगा नहीं, अशांति, पड़ेशानी, तकलीफ देने वाली इत्यादि - इत्यादि।
अब आप बताइये कि आप अपना कैसा भाग्य लिखना चाहते हैं - दुःख से भरा हुआ, पड़ेशानी से भरा हुआ या सुखमय जीवन और शांतिमय जीवन ? सुखमय जीवन और शांतिमय जीवन । किस - किस आदमी को सुखमय जीवन और शांतिमय जीवन चाहिए जरा हाथ ऊपर उठाइए ?
तो आज से 6 महीने के लिए आप उपवास कीजिये, Fasting कीजिये , अन्न का नहीं, सूचना Information के स्रोत का।
मोबाईल से आप जरुरी का काम कीजिए और फालतू का चीज छोड़ दीजिए। इसी तरह T .V , Computer , Whats app, Web Sight, Google, Internet,
Twitter, Face book इत्यादि से आप
जरुरी का काम कीजिए और फालतू का चीज छोड़ दीजिए। अश्लील Cinema , kitty party , क्लब इत्यादि से नाता तोर लीजिए । इसके जगह पर आप सत्संग, पूजा, ध्यान, संकीर्तन , सेवा इत्यादि में रूचि अधिकतम रूप से रुची लीजिए और खाली समय में सभी धर्मशास्त्र
जैसे - वेद, गीता, महा पुराण , बाइबल, कुरान एवं गुरुग्रंथ साहिब इत्यादि श्रद्धा एवं
निष्ठा से पढ़िए क्योंकि सभी धर्म ग्रन्थ ईश्वर की ही प्रेरणा से लिखी गई है । यदि
आप इस रास्ते पर चलेंगे तो जिस तरह बालक ध्रुव को 6 महीने में ईश्वर का दर्शन
प्राप्त हो गया था ठीक उसी तरह आपको भी 6
महीने में सुखमय जीवन और शांतिमय जीवन प्राप्त होजाएगा बल्कि आपका भाग्य बदल जाएगा । अर्थात जब आप अच्छा स्रोत, अच्छा Information से आप जुड़ेंगे तो आपके अच्छे सोच व् Thoughts बनेंगे, अच्छे Thoughts, अच्छे सोच बनेंगे तो अच्छे कर्म बनेंगे, अच्छे कर्म होंगे तो आपका भाग्य भी अच्छा बनजाएगा । यानि कि आपके सोच व् Thoughts बदलने से आपका भाग्य भी बदल जाएगा।