न्यू
हैवन
जिस प्रकार काशी, धरती पर बसा हुआ नहीं है बल्कि यह भगवान् शिव के त्रिशूल पर बसा हुआ है । ठीक उसी प्रकार न्यू हैवन धरती की भूमि पर बसा नहीं है बल्कि यह पूर्ण ब्रहम के निवास स्थान से उतर कर धरती पर आया है । (धर्मशास्त्र, प्रकाशितवाक्य 21 : 2)
कलियुग
में भगवान विष्णु जब दुष्ट, पापियों, मलेच्छों, अधर्मियों और यवनों को नष्ट करके धरती पर जिस भवन में विश्राम करेंगे, धरती पर के उस भवन का नाम नारायण गृह होगा । पूरे
विश्व में भगवान कल्कि जी को
रहने के लिए केवल एक ही घर बनेगा जो " नारायण गृह" के नाम से प्रसिद्ध होगा (स्कन्ध पुराण, पेज नम्बर 1038)
धर्मशास्त्र
ने इसको
न्यू हैवन
तथा नया यरुसलेम के नाम से सम्बोधित किया है तथा अगस्तऋषि जी ने इसको अभय
धाम के नाम से सम्बोधित किया है । (धर्मशास्त्र,
प्रकाशितवाक्य
21 : 1 - 2, यशायाह 65 :17)
परमेश्वर
ने मुझसे कहा कि तुम मेरे लिए एक पवित्र स्थान बनाओ ताकि मैं उनके बीच निवास
निवास करूँ । (धर्मशास्त्र,
निर्गमन 25 :8 ) उन्होंने यह भी कहा कि आकाश मेरा सिंहासन, और पृथ्वी मेरे चरणों की चौकी है
। तुम
मेरे लिए कैसा भवन
बनाओगे ? और मेरे विश्राम का कौन सा स्थान होगा ? (धर्मशास्त्र,
यशायाह 66:1) मैं चुप रहा, मैं सिर्फ देखता ही रहा । जब
मैं कुछ नहीं बोला तब
वे मुस्कुराते हुए मुझसे बोले - जो कुछ भी मैं तुझको दिखाता हूँ अर्थात निवास स्थान और उसके
सब समान का
नमूना यानि कि Modal, उसी के अनुसार तुम लोग उसे बनाना । मैंने
उनसे पूछा कि क्या आप सचमुच मनुष्यों के संग पृथ्वी पर निवास करेंगे ? स्वर्ग में वरन सबसे ऊँचे स्वर्ग में भी आप नहीं समाते, फिर मेरे बनाए हुए इस भवन में आप कैसे समाएँगे ?
(धर्मशास्त्र, 2
इतिहास 6 :18) मैंने फिर उस ईश्वर से पूछा कि धर्मशास्त्र यह भविष्यवाणी करता है कि - जिस परमेश्वर ने पृथ्वी और उसकी सब वस्तुओं को बनाया, वह स्वर्ग और पृथ्वी का स्वामी होकर हाथ के बनाए हुए मंदिरों में नहीं रहते । (धर्मशास्त्र,
प्रेरितों के काम 17 :24) तब उन्होंने जबाब दिया कि मैं न्यू हैवन के चारों ओर आग जैसी शरपनाह
ठहरूँगा
और उसके बीच में तेजोमय (ज्योतिर्मय) होकर दिखाई दूंगा । (धर्मशास्त्र, जकर्याह 2 :5)
उन्होंने
फिर से मुझको
कहा कि
ऊँचे स्वर से
गा और आनन्द कर, क्योंकि देख, मैं आकर तेरे बीच में निवास करूँगा । (धर्मशास्त्र, जकर्याह 2 : 10 )
तब
मैंने ईश्वर से पूछा कि हे ईश्वर ! आपका भवन किस स्थान पर बनेगा ? और लोग मुझसे
पूछेंगे तो मैं उनसे क्या कहुँगा ? तब उन्होंने मुझसे जबाब दिया कि उनसे यह कह कि ईश्वर यह कहता है कि उस पुरुष को देख
जिसका
नाम शाख है । शाख अर्थात शाखा
और शाखा का अर्थ होता है डाल ।
अर्थात
ईश्वर ने स्वयं से स्वयं के लिए एक शरीर रचा जिसका नाम ईश्वर पुत्र है, पहिलौठा , ईश्वर के सदृश , वही शाख है । वह
अपने ही स्थान में उग कर ईश्वर के लिए मंदिर बनवाएगा और महिमा पाएगा
और अपने सिंहासन पर बैठ कर प्रभुता करेगा ।
(धर्मशास्त्र, जकर्याह 6 : 12 -13)
पुनः
ईश्वर ने मुझसे कहा कि
फिर दूर - दूर के लोग आकर ईश्वर के मंदिर को बनाने में तुम्हारी
सहायता करेंगे और तुम जानोगे कि ईश्वर ने इनको तुम्हारे पास भेजा है । यदि
तुम मन लगाकर अपने परमेश्वर की आज्ञा का पालन करोगे तो यह बात
पूरी होगी । (धर्मशास्त्र,
जकर्याह 6 : 15) इसी
कारण, जिस जगह मैं दिल्ली में आकरके खड़ा हुआ और जिस घर में निवास किया; उसी निवास स्थान पर मैंने न्यू हैवन बनवाया । इसी
भवन का नाम नारायण गृह है, अभय धाम है ।
ईश्वर
के आदेशानुसार जल प्रलय के नाव की तरह ही न्यू
हैवन तीन खण्डों में बनवाया । न्यू
हैवन में कुल बारह दरवाजे हैं - तीन पूरब, तीन पश्चिम, तीन उत्तर और तीन दक्षिण - जिस पर मोती लगा है । इसमें ईश्वर का सिंहासन लगा है तथा ईश्वर के सिंहासन के एक
दाएं और एक बाएं ईश्वर के दो गवाह के लिए सिंहासन लगा है जिसके नीचे से जल की नदी निकल कर पूरब की ओर जाती है । नदी
के दोनों किनारे पर बारह प्रकार के फल के पेड़ लगे हैं जो हर महीने फल देती है
।
न्यू हैवन
निर्माण कार्य 25th सितम्बर 2005 को प्रातः 9:30 A.M. पर बनना शुरू हुआ और 31
दिसम्बर
2010 में इसका सम्पूर्ण ढांचा बनकर तैयार हो गया
। न्यू हैवन के गुम्बज के ऊपर चाँदी के कलश में
9 रत्न
लगाए गए हैं ताकि दर्शन के लिए आने वाले भक्तों का ग्रह-दोष
फल प्रभाव
नष्ट हो जाय और उन्हें
सुख - शांति की
प्राप्ति हो
।
न्यू हैवन में
अनेक तरह के
दिव्य वृक्ष
भी हैं जैसे
- कल्प वृक्ष,
वेद, पारिजात,
कदम का पेड़,
सफेद मदार इत्यादि ।
ईश्वर ने कहा कि अब से जो प्रार्थना इस स्थान में की जाएगी, उस स्थान पर
मेरी आँखें खुली और मेरे
कान लगे रहेंगे। अब मैंने इस भवन को अपनाया और पवित्र किया है ताकि मेरा नाम
सदा के लिए इस भवन में बना रहे। मैं तुमसे सच कहता हूँ कि मेरी आँखें और मेरा मन दोनों नित्य यहीं लगे रहेंगे । (धर्मशास्त्र,2
इतिहास 7 :
15 - 16 )
जब न्यू हैवन
बन कर तैयार
हो गया तब
मैं अपनी आँखें
उठाई । तब
मैंने क्या देखा
? हाथ में नापने
की डोरी लिए
हुए एक पुरुष
खड़ा है ।
तब मैंने
उनसे पूछा कि
तू कहाँ जाते
हो ? उसने मुझसे
कहा कि मैं
न्यू हैवन को
नापने के लिए
जाता हूँ ,
ताकि मैं देखूं
कि उसकी चौड़ाई
कितनी है ? और
उसकी लम्बाई
कितनी है ? तब
मैंने क्या देखा
कि जो दूत
मुझसे बातें
करता था वह
चला गया और
दूसरा दूत उससे
मिलने के लिए
आकर कहता है - दौड़
कर इस जवान
से कह कि
ये न्यू हैवन
जिसको यरूसलेम
कहते हैं मनुष्यों और घरेलु
पशुओं के बहुतायत होने के कारण
न्यू हैवन के
शरपनाह के बहार
- बहार भी न्यू
हैवन बसेगा
। ईश्वर
की यह वाणी है
कि न्यू हैवन
के चरों ओर
ईश्वर आग की
सी
शरपनाह ठहरेंगे
और उसके बीच
में ईश्वर
तेजोमय (ज्योतिर्मय
) होकर दिखाई
देंगे । (धर्मशास्त्र, जकर्याह 2 : 1 - 7)