ईश्वर आपकी हिफाजत करते हैं
(आदिश्री अरुण)
हिफाजत करने का अर्थ क्या है ? हिफाजत करने का अर्थ है एक निश्चित व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान करना या कुछ विशेष चीज देना या कुछ विशेष चीज देना जो उसके लिए जरुरी है । दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि यह एक व्यवस्था है जिसमें लोग मानसिक रूप से विमार हैं इसके बाबजूद भी उसको अस्पताल में न रख कर इलाज अथवा उपचार लेते हुए घर में रहने के लिए अनुमति देते हैं ।
मैं, आदिश्री, पूर्ण ब्रह्म का प्रतिबिम्ब, यह घोषणा करता हूँ कि ईश्वर आपके रचैता हैं । मैं इस बात की गवाही देता हूँ कि ये वही हैं जिन्होंने आपको आनन्द से रहने के लिए सब प्रकार की सुख - सुविधा प्रदान किए हैं , जिन्होंने आपको संभल करने की यानि कि हिफाजत करने की प्रतिज्ञा किया है और जिसने आपको धमकी दी है कि आपकी मृत्यु निश्चित है उसके वचन को झुठलाने ले लिए आपको मृत्यु से बचाता है । इसलिए मृत्यु से आपका भय यह दर्शाता है कि आप ईश्वर में विश्वास नहीं करते हैं अथवा आपको ईश्वर के द्वारा दिए गए वचन (प्रतिज्ञा) पर विश्वास नहीं है और यहाँ तक कि आपको अपने रचैता जो जीवन के स्रोत हैं उन पर भरोसा नहीं है कि वे आपकी हिफाजत करेंगे । जिनकी कृपा भविष्य में भी बनी रहेगी उनके ऊपर भरोसा करने की जगह आपका आत्म विश्वास कमजोर हो जाता है । इसलिए आप ठीक से नहीं सोच पते हैं क्योंकि आपको अपने बलबूते पर घमंड है, आपको अपने सामर्थ्य पर ईश्वर से ज्यादा भरोसा है ।
इस समस्या का हल क्या है ? अपने अहंकार को छोड़ कर ईश्वर के सामर्थ्य पर भरोसा करो और ईश्वर जिन्होंने भविष्य में भी हिफाजत करने का वादा किया है उनके सामर्थ्यपूर्ण वचन पर विश्वास रखो ।
धर्मशास्त्र में चिन्ता को अहंकार का रूप बताया गया है । इसलिए धर्मशास्त्र,
1 पतरस 5:6-7 में यह कहा गया है कि परमेश्वर के बलवन्त हाथ के नीचे दीनता से रहो ताकि वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए । और अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उसको तुम्हारा ध्यान है । धर्मशास्त्र, 1 पतरस 5:6 में वर्णित वचन पर जरा विचार करो । धर्मशास्त्र,
1 पतरस 5:6 में यह बात क्यों लिखा गया है - " दीनता से रहो......परमेश्वर के बलवन्त हाथ के नीचे" । धर्मशास्त्र,
1 पतरस 5:7 में वर्णित वचन पर जरा विचार करो । धर्मशास्त्र,
1 पतरस 5:7 में यह बात क्यों लिखा गया है - "अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो। " अगर यदि ध्यान पूर्वक इन दोनों वचनों को तुलनात्मक दृष्टि से पढ़ें तो आपको पता चलेगा कि दोनों वचन एक दूसरे का पूरक है । धर्मशास्त्र, 1 पतरस 5:7 में कोई नई बात नहीं कही गई है । इन दोनों का अर्थ है - " अपनी सारी चिन्ता को केवल परमेश्वर पर ही डाल कर दीनता से रहो....। "
इसका अर्थ यह हुआ कि "परमेश्वर के बलवन्त हाथ के नीचे दीनता से रहना है तो अपनी सारी चिन्ता को केवल परमेश्वर पर ही डाल दो ।
" सारी चिन्ता को केवल परमेश्वर पर ही डाल देने का अर्थ ही है - परमेश्वर के बलवन्त हाथ के नीचे दीनता से रहना । एक कहावत है कि
" मुँह बन्द करके धीरे -
धीरे आराम से चबा कर खाओ ।" या यह कहो कि - "रास्ते पर अपनी आँखें गड़ा कर गाड़ी चलाओ ।"
या यह कहो कि -
" किसी को बुला कर धन्यवाद देने से अच्छा है उदार बनो ।"
या यह कहो कि - "
दीनता से रहो और अपनी सारी चिन्ता को केवल परमेश्वर पर ही डाल दो ।"
एक रास्ता यह है कि "चिन्ता को केवल परमेश्वर पर डाल कर, दीनता से रहो।
" इसका अर्थ यह है कि अहंकार को दूर करने का उपाय है -
"अपनी सारी चिन्ता को केवल परमेश्वर पर ही डाल दो ।
" इसका अर्थ यह है कि बिना मतलब का चिन्ता करना अहंकार का कारण है । यह कोई मतलब नहीं रखता है कि ऐसा सोचना अपने को कमजोर समझने जैसा लगता है ।
अब सबाल यह उठता है कि अपने बल या सामर्थ्य पर भरोसा छोड़ कर अपनी सारी चिन्ता परमेश्वर पर क्यों डाल दूँ ? क्योंकि अहंकार या घमंड यह कभी स्वीकार नहीं करता कि
"किसी प्रकार की चिंता है, या स्वयं से स्वयं को हिफाजत नहीं कर सकते ।"
यदि आपका अहंकार इस बात को स्वीकार करता है कि भय को दूर करना आपके वश की बात नहीं है ;
तो इस बात पर विश्वास करना आसान हो जाएगा कि कोई है जो आपसे ज्यादा बुद्धिमान और बलवान है ।
दूसरे शब्दों में, यह कहा जा सकता है कि अविशवास ही अहंकार या घमंड का दूसरा रूप है और भविष्य में भी परमेश्वर हमारी हिफाजत करेंगे इस बात पर विश्वास करना ही अहंकार या घमंड को मिटाना है । विश्वास का अर्थ है मदद की आवश्यकता को स्वीकार करना । अहंकार या घमंड, मदद की आवश्यकता को स्वीकार नहीं करता । विश्वास मदद पाने की आशा से बांधता है पर अहंकार या घमंड नहीं । विश्वास सारी चिन्ता को परमेश्वर पर डाल देता है पर अहंकार या घमंड नहीं ।
यही कारण है कि अविश्वास रूपी अहंकार या घमंड का युद्ध जितने का
नाम ही विश्वास है और इस बात को स्वीकार करना कि भविष्य में परमेश्वर
हमारी हिफाजत करेंगे । तब ईश्वर आपकी हिफाजत करेंगे और आप विश्वास करके आप अपनी सारी चिन्ता को केवल ईश्वर के मजबूत कन्धा
पर ही डाल दीजिये।