Your liking is Anger or Love
आपकी पसन्द क्या है - क्रोध या प्रेम ?
(आदिश्री अरुण)
* क्रोध दूसरे में गलती देखता है ; प्रेम दूसरे में गलती नहीं देखता है
* क्रोध में घर उजार देने की कला है; प्रेम में घर को बसाने का गुण है
* क्रोध मानव जीवन का कब्र है; प्रेम मानव जीवन का नीव है
* क्रोध को व्यक्त व्यक्त करने के लिए ऊँची आवाज, भद्दी - भद्दी गालियां और कठोर शब्द हैं; प्रेम को व्यक्त करने के लिए सर्वोत्तम भाषा मौन है
* क्रोध कभी भी सुखमय जीवन नहीं दे सकता; सुखमय जीवन की कल्पना प्रेम से ही शुरू होती है
* क्रोध का परिणाम अन्त है; प्रेम का परिणाम आरम्भ है
* क्रोध असहनीय पीड़ा देता है; प्रेम सुखद मल्हम का एहसास है
* क्रोध विनाशकारी एटम बम्ब है; प्रेम जीवन प्रदान करने वाला अमृत
* क्रोध इन्तजार नहीं करता है; प्रेम कई युगों तक इन्तजार करता है
* क्रोध कभी कम हो जाता है और कभी बहुत बढ़ जाता है; प्रेम कभी भी बढ़ता - घटता नहीं है
"घड़ी चढ़े, घड़ी उतरे, वह तो प्रेम न होय। अघट प्रेम ही ह्रदय बसे, प्रेम कहिए सोय।।"
* कामना या डिमाण्ड पूरा नहीं होने पर क्रोध का जन्म होता है; प्रेम में कोई डिमाण्ड नहीं होता है
* क्रोध हरा - भरा घर उजार देता है; प्रेम वह अनमोल चीज है जिससे प्रकृति निरन्तर पल्लवित, पुष्पित और फलित होती है
* क्रोध व्यक्ति के सोच में पलता है; प्रेम व्यक्ति के आत्मा में पलता है
* क्रोध को जुवान होता है; प्रेम बेजुवान होता है
* क्रोध दर्द को एहसास करता है; प्रेम सुख एवं आनन्द के मिठास का पान कराता है
* क्रोध तोड़ने में विश्वास करता है; प्रेम केवल जोड़ने में विश्वास करता है
* जहाँ नम्रता, समर्पण तथा भावना नहीं होती वहाँ क्रोध जन्म लेता है; जहाँ नम्रता, समर्पण तथा भावना होती है वहाँ प्रेम जन्म लेता है
* क्रोध बल पूर्वक छीनने के लिए महाभारत रचता है; प्रेम एक दूसरे पर सब कुछ न्योछावर करता है
* क्रोध दर्द बिखेड़ने वाला वाण है; प्रेम एक सुखद एहसास है
* स्वार्थ क्रोध का बाप है; निःस्वार्थ प्रेम का बाप है
* जब कामना पूर्ण न हो तो क्रोध जन्मता है; जहाँ कामना और भय का अन्त हो वहाँ प्रेम जन्मता है
* क्रोध दर्द देने वाला घाव है; प्रेम सुख से सींचने वाली स्प्रे है
* क्रोध की वाणी कर्कश और कठोर होती है; प्रेम की वाणी मौन होती है
* क्रोध दुःख पहुँचने वाला कैंसर है; प्रेम दर्द मिटने वाली औषधि है
* क्रोध दो व्यक्ति के बीच में दूरियाँ पैदा करता है; प्रेम दूरियाँ मिटा कर दो व्यक्ति को पास लता है
* क्रोध मिटने वाला है; प्रेम शाश्वत है, वह कल्ह भी था, आज भी है और कल्ह भी रहेगा
* क्रोध में बहुत अच्छा रूप भी बहुत डरावनी और विकराल दिखने लगता है; प्रेम में सामान्य रूप भी बहुत ही सुन्दर दिखने लगता है