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Kalki Avatar - कल्कि अवतार

Kalki Avatar

  • कल्कि अवतार कौन ?

    • When is Kalki Avatar expected

    • अवतार का उद्देश्य  

  • Kalki Avatar of Lord Vishnu

     

    कल्कि अवतार कौन :
    भगवान विष्णु के कुल 24 अवतार हैं । Kalki Avatar/कल्कि अवतार भगवान विष्णु के मुख्य अवतारों  में से 10 वां अवतार हैं जो धरती पर सम्पूर्ण मानव जाति के लिए आए हैं । ये किसी एक जाति या किसी एक सम्प्रदाय के लिए नहीं आए हैं । ये सम्पूर्ण मानव जाति के उद्धारक हैं ।


    अवतार का उद्देश्य :
    अवतार शब्दअवउपसर्गपूर्वकतृधातु मेंघञ्प्रत्यय लगाकर बना है । इसका अर्थ पृथ्वी पर आना है।ईश्वर का अवतार शब्द का अर्थ है सबको संदेश देनेवाले महान अवतार  का पृथ्वी पर जन्म लेना।  कल्कि अवतार को ईश्वर का अंतिम अवतार बताया गया है। जब लोग वास्तविक धर्म से विमुख होकर अधर्म की राह पकड़ लेते हैं या धर्म को अपने स्वार्थ के लिए तोड़-मरोड़ देते हैं, तो उन्हें फिर सही मार्ग दिखाने के लिए ईश्वर अपने अवतार या पैग़म्बर भेजता है। अंतिम अवतार कल्कि की अलग विशेषता है। वे किसी एक हिस्से के लिए नहीं वरन् समग्र विश्व के लिए भेजे गए हैं ।
    गीता 4:7-8 में ईश्वर ने कहा कि "जब - जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब - तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ अर्थात साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ । साधु पुरुष का उद्धार करने के लिए, पाप कर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की अच्छी तरह से स्थापना करने के लिए मैं युग - युग में प्रकट हुआ करता हूँ ।"
    Kalki Purana / कल्कि पुराण 1,2:8 में ईश्वर ने कहा कि - " मैं फिर से सत्य युग को लाकर, पहले की तरह धर्म की स्थापना करके, कली रूपी सर्प (अधर्मियों) का नाश कर अपने लोक यानि वैकुंठम को वापस आऊंगा ।“
    महाभारत, वन पर्व, शीर्षक "कलि धर्म और कल्कि अवतार" , पेज नम्बर 311 में यह भविष्वाणी किया गया है कि " शम्भल ग्राम के अन्तर्गत विष्णु यशा नाम के ब्राह्मण के घर में एक बालक उत्पन्न होगा । उसका नाम होगा कल्कि विष्णु यशा । वह ब्राह्मण कुमार बहुत ही बलवान, बुद्धिमानऔर पराक्रमी होगा । मन के द्वारा चिंतन करते ही उसके पास इच्छानुसार वाहन, अस्त्र-शस्त्र, योद्धा और कवच उपस्थित हो जाएँगे । वह ब्राह्मणों की सेना साथ लेकर संसार में सर्वत्र फैले हुए म्लेच्छों का नाश कर डालेंगे । वही सब दुष्टों का नाश करके सत्य युग का प्रवर्तक होंगे और सम्पूर्ण जगत को आनन्द प्रदान करेंगे । जब सूर्य, चन्द्रमा और बृहस्पति एक ही राशि (कर्क राशि) में - एक ही पुष्य नक्षत्र पर एकत्र होंगे, उस समय सत्य युग का प्रारम्भ होगा। "  
    श्रीमद्भागवतम महा पुराण 12;2:19,24 और 24 में महर्षि वेद व्यास जी ने भविष्यवाणी करते हुए कहा कि “ Lord Kalki / भगवान कल्कि देवदत्त नामक शीघ्रगामी घोड़े पर सवार हो कर दुष्टों को तलवार के घाट उतार  कर ठीक करेंगे । उनके रोम - रोम में अतुलनीय तेज कि किरणें छिटकती होगी। वे अपने शीघ्रगामी घोड़े से पृथ्वी पर सर्वत्र विचरण करेंगे और राजा के वेश छिपकर रहने वाले कोटि - कोटि डाकुओं का संहार करेंगे ।“

    हिन्दू धर्म के अनुसार :
    18 महा पुराणों में श्रीमद्भागवतम महा पुराण सबसे श्रेष्ट माना गया है ।  यह केवल मोक्ष के उद्देश्य से लिखा गया है ।  श्रीमद्भगवतम महा पुराण 12 ;2:17 -20  के अनुसार  साधु - सज्जन पुरुषों के धर्म की रक्षा के लिए उनके कर्म का बंधन काट कर उन्हें जन्म - मृत्यु के चक्र से छुड़ाने के लिए कल्कि भगवान शम्भल ग्राम में विष्णु यश नाम के श्रेष्ठ ब्राह्मण के घर अवतार ग्रहण करेंगे    
    वे देव दत्त नामक शीघ्रगामी घोड़े पर सवार हो कर दुष्ट, मलेच्छों और पापियों को तलवार के घाट उतार कर ठीक करेंगे उनके रोम - रोम से अतुलनीय तेज की किरणें छिटकती होगी वे अपने शीघ्रगामी घोड़े से पृथ्वी पर सर्वत्र विचरण करेंगे और राजा के वेश में छिप कर रहने वाले कोटि - कोटि डाकुओं का संहार करेंगे।“
    कल्कि कम्स इन नाइनटीन एट्टी फाइव (1985) :
    1985 ई में संभलग्राम - मथुरा, उत्तर प्रदेश में बैशाख मास शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि को भगवान कल्कि का अवतार हुआ ।
    ईसाई धर्म के अनुसार:
    धर्मशास्त्र, प्रकाशित वाक्य 19:11,14 -16 में यह भविष्यवाणी किया गया है कि " मैंने स्वर्ग को खुला हुआ देखा और देखता हूँ कि एक श्वेत घोड़ा है, जो विश्वास के योग्य है और सत्य कहलाता है और वह धर्म के साथ न्याय और लड़ाई करता है । स्वर्ग की सेना श्वेत घोड़े पर सवार, श्वेत और शुद्ध मलमल पहने हुए उसके पीछे - पीछे है । जाति - जाति को मारने के लिए उसके मुँह से एक चोखी  तलवार निकलती है । वह लोहे का राज दण्ड लिए हुए उन पर राज्य करेगा । उसके वस्त्र और जाँघ पर यह नाम लिखा है - राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु ।“    
    इस्लाम धर्म के अनुसार :
    इस्लामिक धर्म ग्रन्थ में यह भविष्यवाणी किया गया है कि कल्कि अवतार/Kalki Avatar सारे इन्सानियत के लिए रहमत बना कर भेजा जाएगा । कुरान, सूरः अल अहमिया अध्याय 21 ,आयत 107 में अल्लाह ताला फरमाते हैं कि हमने सारे आलमों के लिए, सारे इन्सानियत के लिए, सारे जहाँ के लिए "कल्कि अवतार / Kalki Avatar " को भेजा है ।
    कल्कि अवतार को सफ़ेद घोडा दिया जाएगा । वे घोडा चलाएँगे और सीधे हाथ में (यानि कि दाहिने हाथ में) तलवार को लेकर लोगों को अंधकार से रोशनी में ले जाएँगे । जंग के मैदान में देवता उनकी मदद करेंगे । कुरान, सूरः आले इमरान अध्याय 3, आयत 123 - 125)
    इस्लाम धर्म के अनुसार हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) को कल्कि अवतार (Kalki Avatar) के रूप में आना है
    मुहम्मद (सल्ल॰) और वेद
    वेदों में नराशंस या मुहम्मद (सल्ल॰) के आने की भविष्यवाणी कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है, बल्कि धर्मिक ग्रंथों में ईशदूतों (पैग़म्बरों) के आगमन की पूर्व सूचना मिलती रही है। यह ज़रूर चमत्कारिक बात है कि हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) के आने की भविष्यवाणी जितनी अधिक धार्मिक ग्रंथों में की गई है, उतनी किसी अन्य पैग़म्बर के बारे में नहीं की गई। ईसाइयों, यहूदियों और बौद्धों के धार्मिक ग्रंथों में हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) के अंतिम ईशदूत के रूप में आगमन की भविष्यवाणियां की गई हैं।
    वेदों का ‘नराशंस’ शब्द ‘नर’ और ‘आशंस’ दो शब्दों से मिलकर बना है। ‘नर’ का अर्थ मनुष्य होता है और ‘आशंस’ का अर्थ ‘प्रशंसित’। सायण ने ‘नराशंस’ का अर्थ ‘मनुष्यों द्वारा प्रशंसित’ बताया है। यह शब्द कर्मधारय समास है, जिसका विच्छेद ‘नरश्चासौ आशंसः’ अर्थात प्रशंसित मनुष्य होगा। ‘‘इस शब्द से किसी देवता को भी न समझना चाहिए। ‘नराशंस’ शब्द स्वतः ही इस बात को स्पष्ट कर देता है कि ‘प्रशंसित’ शब्द जिसका विशेषण है, वह मनुष्य है। यदि कोई ‘नर’ शब्द को देववाचक मानें तो उसके समाधान में इतना स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि ‘नर’ शब्द न तो देवता का पर्यायवाची शब्द ही है और न तो देवयोनियों के अंतर्गत कोई विशेष जाति।’
    ‘नर’ शब्द का अर्थ मनुष्य होता है, क्योंकि ‘नर’ शब्द मनुष्य के पर्यायवाची शब्दों में से एक है। ‘नराशंस’ की तरह ‘मुहम्मद’ शब्द का अर्थ ‘प्रशंसित’ होता है। ‘मुहम्मद’ शब्द ‘हम्द’ धतु से बना है, जिसका अर्थ प्रशंसा करना होता है। ऋग्वेद में ‘कीरि’ नाम आया है, जिसका अर्थ है ईश्वर-प्रशंसक। अहमद शब्द का भी यही अर्थ है। अहमद, मुहम्मद साहब का एक नाम है।
    वेदों में ऋग्वेद सबसे पुराना है। उसमें ‘नराशंस’ शब्द से शुरू होने वाले आठ मंत्र हैं। ऋग्वेद के प्रथम मंडल, 13वें सूक्त, तीसरे मंत्र और 18वें सूक्त, नवें मंत्र तथा 106वें सूक्त, चैथे मंत्र में ‘नराशंस’ का वर्णन आया है। ऋग्वेद के द्वितीय मंडल के तीसरे सूक्त, दूसरे मंत्र, 5वें मंडल के पांचवें सूक्त, दूसरे मंत्र, सातवें मंडल के दूसरे सूक्त, दूसरे मंत्र, 10वें, मंडल के 64वें सूक्त, तीसरे मंत्र और 142वें सूक्त, दूसरे मंत्र में भी ‘नराशंस’ विषयक वर्णन आए हैं। सामवेद संहिता के 1319वें मंत्र में और वाजसनेयी संहिता के 28वें अध्याय के 27वें मंत्र में भी ‘नराशंस’ के बारे में ज़िक्र आया है। तैत्तिरीय आरण्यक और शतपथ ब्राह्मण ग्रंथों के अलावा यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद में भी ‘नराशंस’ का उल्लेख किया गया है।
    वेदों में ‘नराशंस’ की स्तुति किए जाने का उल्लेख है। वैसे ऋग्वेद काल या कृतयुग में यज्ञों के दौरान ‘नराशंस’ का आह्वान किया जाता था। इसके लिए ‘प्रिय’ शब्द का इस्तेमाल होता था।

    पापों का निवारक
    ऋग्वेद में नराशंस को ‘पापों से लोगों को हटानेवाला’ बताया गया है। यह कहने की ज़रूरत ही नहीं है कि हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) की समस्त शिक्षाएं और आप (सल्ल॰) पर अवतरित क़ुरआन समग्र जीवन को पापों से उबार देता है। यह सन्मार्ग का आईना (दर्पण) है जिसे ‘देखकर’ और उस पर अमल करके व्यक्ति को तमाम पापों से छुटकारा मिल जाता है। उसकी दुनियावी (सांसारिक) और मरने के बाद की ज़िन्दगी ख़ुशहाल हो जाती है। इस्लाम जुआ, शराब और अन्य नशीले पदार्थों के सेवन से लोगों को रोकता है तथा अवैध कमाई से प्राप्त धन को खाने, ब्याज लेने और किसी का हक़ मारने को निषिद्ध ठहराता है। वह अत्याचार, दमन और शोषण से मुक्त समाज की स्थापना करता है।
    इस्लाम धर्म में हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) को कल्कि अवतार / kalki Avatar बताया है। कल्कि और मुहम्मद (सल्ल॰) की विशेषताओं का तुलनात्मक अध्ययन करने पर पता चलता है कि कल्कि का अवतार हो चुका है और वे हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) ही हैं। इसके अनुसार —
    “वैज्ञानिक अणु विस्फोटों से जो सत्यानाश संभव है, उसका निराकरण धार्मिक एकता संबंधी विचारों से हो जाता है। जल में रहकर मगर से बैर उचित नहीं, इस कारण मैंने वह शोध किया जो धार्मिक एकता का आधार है। राष्ट्रीय एकता के समर्थकों द्वारा इस शोध पत्र पर कोई आपत्ति नहीं होगी। आपत्ति होगी तो कूपमण्डूक लोगों को, यदि वे कूप के बाहर निकलकर संसार को देखें तो कूप को ही संसार मानने की उनकी भावना हीन हो जाएगी।’’...‘‘मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस शोध पुस्तक के अवलोकन से भारतीय समाज में ही नहीं, बल्कि अखिल भूमण्डल में एकता की लहर दौड़ पड़ेगी और धर्म के नाम पर होने वाले कलह शांत होंगे।“

    सिखों के अनुसार कल्कि अवतार :
    सिख धर्मग्रन्थ में यह भविष्यवाणी किया गया है कि गरीबों  को बचाने  के लिए परम पुरुष  इस संसार में आते हैं । कलयुग के अन्त में सत्य युग आएगा । पाप शक्तियों के विनाश के लिए वे आएँगे ।    
    " दीनन की रक्षा निमत कर है आप उपाय । परम पुरुष पवन सदा आप प्रगट है आई ।
    आप प्रगट है आई, दीन रक्षा के कारनन । अवतारीज अवतार धरा के भार उतारन । (139)
    कलियुग के अन्त समय सत्ययुग लगत आद । दीनन की रक्षा लिए धरि है रूप अनादि  ।
    धरि  है रूप अनादि कलेह कब तक केह भारी । शतरण के नासार्थ नमित अवतार अवतारी । “
    'Sri Dasam Granth Sahib' (140)." (page No 581)  
    पापियों के विनाश करने के कारण वे कल्कि नाम से पुकारे जाएँगे । वे पापियों को तलवार से मारेंगे । भारत का शम्भल शहर भाग्यवान है ।  
    गुरु गोविन्द सिंह जी ने भगवान कल्कि के अवतार लेने के सम्बन्ध में लिखा कि "इनको सौ सिखों का अवतार कहा जाएगा" उन्होंने यह भी कहा कि कल्कि जी सफ़ेद घोड़े पर तलवार ले कर आएंगे ।   

    Kalki Purana / कल्कि पुराण :
    कल्कि पुराण में Lord Kalki / भगवान कल्कि से जुडी 12 बातें बताई गई है , इसके अनुसार -
    1. अवतार :- 1985 ई में संभल ग्राम - मथुरा, उत्तर प्रदेश में बैशाख मास शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि को भगवान कल्कि का अवतार हुआ  
    2. जन्म स्थान :- संभल (मथुरा - वृन्दावन के बॉर्डर पर )
    3. बाल रूप को देखने वाले :- इनको वाल्यावस्था में देखने के लिए चार लोग आये - परशुराम, कृपाचार्य, वेद व्यास  और अश्वत्थामा   
    4. माता – पिता :- सुमति तथा विष्णु यशा
    5. दादा :- ब्रह्म यश
    6. भाई:- सुमंत, प्राज्ञ और कवि
    7. गुरु: - परशुराम
    8. पत्नी :- श्री लंका के राजा बृहद्रथ की बेटी  पद्मा और भल्लाट नगर के राजा शशिध्वज की बेटी
    रमा  
    9. बच्चे :- जय, विजय, मेघमाल और बलाहक
    10. घोडा :- सफेद (देव दत्त नमक घोडा )
    11. अस्त्र :- रतनसरु नामक तलवार, करवाल और अनेक दिव्य अस्त्र
    12. विश्राम स्थान (विनाश करने के बाद रहने का स्थान) :- पापियों को नष्ट करने के बाद कल्कि जी का विश्राम करने का स्थान - पूठ खुर्द, दिल्ली - 39 में निर्मित नारायणा गृह / न्यू हैवन / अभय धाम / नया येरुसलेम ही होगा कोई अन्य स्थान कदापि नहीं (स्कन्द पुराण, धर्मशास्त्र और अगस्त संहिता)    
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