भगवान कल्कि कहाँ अवतार लिए ?
आदिश्री अरुण
मैं तुमसे सच कहता हूँ कि जैसे रात को चोर आता है वैसा ही प्रभु का दिन आने वाला है । श्रीमदभागवतम महा पुराण में महर्षि वेद व्यास जी ने कहा कि भगवान कल्कि कलियुग में छिप कर रहेंगे । धर्मशास्त्र यह भविष्यवाणी करता है कि कल्कि आवतार के आने के घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत और न पुत्र परन्तु केवल पिता जनता है। देखो, जागते रहो और प्रार्थना करते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि वह समय कब आएगा ? कल्कि अवतार कब आजायेंगे इसके बारे में तुम कुछ भी उम्मीद भी नहीं कर सकते हो । इसलिए तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं होगे, उसी घड़ी कल्कि अवतार आ जायेंगे ।
इतिहास और पौराणिक कथा को देखो, भगवान राम और भगवान कृष्ण के आने के बारे में कोई नहीं जाना। भगवान बुद्ध के बारे में कोई भी व्यक्ति ने नहीं जाना कि ये भगवान विष्णु के अवतार हैं। उसी तरह भगवान कल्कि अवतार के अवतार लेने के बारे में कोई नहीं जान सकता। धर्मशास्त्र में ईश्वर ने कहा कि "देखो, मैं चोर की तरह आऊँगा ।" धर्मशास्त्र साफ़ - साफ़ शब्दों में भविष्यवाणी करता है कि भगवान कल्कि का आविर्भाव गुप्त रूप से होगा ।
वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अवतार लिया । माता - पिता ने पुलकित होकर इस पुत्र को पैदा होते देखा । (कल्कि पुराण/Kalki Puran, प्रथम अंश, द्वितीय अध्याय, श्लोक 10 - 11, 15)
Kalki Comes in 1985 पुस्तक में यह भविष्यवाणी किया गया है कि वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को सन 1985 में भगवान विष्णु ने उत्तर भारत के शम्भल ग्राम में अवतार लिया ।
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान कल्किभारत के पूण्य भूमि पर अवतार लिए । (कल्कि पुराण 1 ; 2 :15 तथा कल्कि कम्स इन नाइनटीन एट्टी फाइव पुस्तक, अध्याय - 3 ) कल्कि कम्स इन नाइनटीन एट्टी फाइव पुस्तक, अध्याय - 3 के अनुसार सन 1985 में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को उत्तर भारत के शम्भल ग्राम में, विष्णु यश के घर भगवान कल्कि / Lord Kalki जी ने अवतार ग्रहण किया । सन 1985 में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 2 मई को पड़ता है (अर्थात 2 May 1985) , इस कारण भगवान कल्कि 2 May 1985 को भारत के पूण्य भूमि शम्भल ग्राम में अवतार ग्रहण किए ।
वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अवतार लिया । माता - पिता ने पुलकित होकर इस पुत्र को पैदा होते देखा । (कल्कि पुराण/Kalki Puran, प्रथम अंश, द्वितीय अध्याय, श्लोक 10 - 11, 15)
Kalki Comes in 1985 पुस्तक में यह भविष्यवाणी किया गया है कि वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को सन 1985 में भगवान विष्णु ने उत्तर भारत के शम्भल ग्राम में अवतार लिया ।
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान कल्किभारत के पूण्य भूमि पर अवतार लिए । (कल्कि पुराण 1 ; 2 :15 तथा कल्कि कम्स इन नाइनटीन एट्टी फाइव पुस्तक, अध्याय - 3 ) कल्कि कम्स इन नाइनटीन एट्टी फाइव पुस्तक, अध्याय - 3 के अनुसार सन 1985 में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को उत्तर भारत के शम्भल ग्राम में, विष्णु यश के घर भगवान कल्कि / Lord Kalki जी ने अवतार ग्रहण किया । सन 1985 में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 2 मई को पड़ता है (अर्थात 2 May 1985) , इस कारण भगवान कल्कि 2 May 1985 को भारत के पूण्य भूमि शम्भल ग्राम में अवतार ग्रहण किए ।
शम्भल ग्राम का अर्थ : शम्भु Shambhu – Brahm (those who knows Brahm / Brahm knowing people) is called Brahman + ल or ले (of) + ग्राम Grama (Community/Village/Group of people living at a certain Place) = शम्भल ग्राम Shambhal Grama (Village / Place / City of Brahman / Group of Brahman ब्रह्मणों का समूह ) A place where group of Brahman is living / जहाँ ब्राह्मणों का समूह निवास करता है, उसे शम्भल ग्राम कहते हैं।
धर्मग्रन्थ के अनुसार भगवान कल्कि उत्तर भारत के शम्भल ग्राम में श्रेष्ठ ब्राह्मण (Group of Brahman) विष्णुयश के घर अवतार लेंगे । उत्तर भारत में दो शम्भल ग्राम है - एक मुरादाबाद में तथा दूसरा मथुरा और वृन्दावन के बोर्डर पर (गौड़ी मठ के पास) । मुरादाबाद शम्भल में 98 % मुस्लिम हैं तथा 2 % में अन्य जातियाँ निवास करती है तथा यहाँ बहुत कम ही ब्रह्मण परिवार हैं। यहाँ के अधिकतर लोग इस्लाम धर्म को मानने वाले हैं और भगवान कृष्ण पूजा करने वाले लोग नहीं के बराबर हैं । अतः इस शम्भल में Group of Brahman की कल्पना ही नहीं किया जासकता है । मथुरा और वृन्दावन के बोर्डर पर (गौड़ी मठ के पास) जो शम्भल है वहाँ पार ब्रह्मणों की संख्या बहुत ही अधिक लोग हैं तथा यहाँ के अधिकतर लोग भगवान कृष्ण की पूजा करने वाले हैं । अतः यही शम्भल भगवान कल्कि जी का अवतार स्थान है। संक्षिप्त भविष्यपुराण 4;5:27-28 ; प्रतिसर्ग पर्व, चुतुर्थ खंड पेज नो 331 के अनुसार भगवान श्री विष्णु ने कहा कि मैं देवताओं के हित और दैत्यों के विनाश के लिए कलियुग में अवतार लूंगा और कलियुग में भूतल पर स्थित सूक्ष्म रमणीय दिव्य वृन्दावन में रहस्यमय एकांत - क्रीड़ा करूँगा। घोर कलियुग में सभी श्रुतियाँ गोपी के रूप में आकर रासमंडल में मेरे साथ रासक्रीड़ा करेगी। कलियुग के अंत में राधा जी के प्रार्थना को स्वीकार करके मैं रहस्यमयी क्रीड़ा को समाप्त कर के कल्कि के रूप में अवतीर्ण होऊंगा । तो ऐसी स्थिति में भगवान् कल्कि उस शम्भल ग्राम में अवतार लेकर आगए जो मथुरा और वृन्दावन के बोर्डर पर स्थित है । भगवान् कल्कि कभी भी मुरादाबाद के शम्भल में अवतार नहीं ले सकते क्योंकि वहाँ ब्राह्मणों की जनसंख्या नगण्य है अर्थात नहीं के बराबर है ।