कहाँ और कब से कल्कि जी
की पूजा होने लगी ?
स्कन्द पुराण में बताया गया है कि कलियुग का अंत करने भगवान
कल्कि शम्भल ग्राम में विष्णु यशा के घर अवतरित होंगे । वे एक सफेद घोड़े पर बैठ कर आएंगें । जब सब पापियों, म्लेच्छों
और दुष्टों का संहार कर डालेंगे तब वे नारायणा गृह में विश्राम करेंगे । नारायणा गृह
भारत के इन्द्रप्रस्थ (अर्थात दिल्ली ) की पूण्य भूमि पूठ खुर्द में स्थित है
। इसे लोग अभय धाम अथवा न्यू हैवन के नाम से भी पुकारा जाता
है । ऐसा
माना जाता है कि जब भगवान कल्कि पापियों, म्लेच्छों और दुष्टों का संहार कर धर्म की
स्थापना कर डालेंगे तो धर्म में बढ़ोतरी होगी और तभी से धर्म चारों चरण में आजायेगा
और सत्य युग पूर्ण रूप से पृथ्वी को अपने प्रभाव में ले लेगी ।
सत्य युग तो उसी समय शुरू हो गया जिस समय चन्द्रमा, सूर्य और
बृहस्पति पुष्य नक्षत्र के प्रथम पल में प्रवेश
कर एक राशि कर्क राशि पर आये थे अर्थात 26 जुलाई 2014 को सत्य युग शुरू
हो गया । युग परिवर्तन न तो राम जी के उपस्थिति में हुआ और न कृष्ण जी के उपस्थिति
में हुआ लेकिन भगवान कल्कि जी के उपस्थिति में युग परिवर्तन होगा
।
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान कल्कि
भारत के पूण्य भूमि पर अवतार लिए । (कल्कि पुराण 1;2:15
तथा कल्कि कम्स इन नाइनटीन एट्टी फाइव पुस्तक, अध्याय -3) कल्कि कम्स
इन नाइनटीन एट्टी फाइव पुस्तक, अध्याय
- 3 के अनुसार सन 1985 में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को उत्तर भारत के शम्भल ग्राम में, विष्णु यश के घर
भगवान कल्कि / Lord Kalki जी ने अवतार ग्रहण किया । सन 1985 में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 2 मई को पड़ता
है (अर्थात 2 May 1985), इस कारण भगवान कल्कि 2 May 1985 को भारत के पूण्य भूमि शम्भल ग्राम में अवतार ग्रहण किए । और आदिश्री अरुण
ने भारत के इन्द्रप्रस्थ (अर्थात दिल्ली ) की पूण्य भूमि पूठ खुर्द में नारायणा गृह
2007 में स्थापित किया । तभी से श्रद्धालुओं ने भगवान कल्कि की पूजा करना शुरू
कर दिया । सच पूछा जाय तो भगवान कल्कि जी की
पूजा 2 May 1985 से ही शुरू हो गई थी
और आदिश्री अरुण ने 14 अक्टूबर
1989 से लोगों में कल्कि नाम के सुमिरन एवं संकीर्तन की
भावना को जगाने लगे थे । लेकिन भगवन कल्कि जी के विश्राम के लिए किसी ने भी पूरे पृथ्वी
पर घर नहीं बनाया था इसी उद्देश्य से आदिश्री अरुण जी ने नारायण गृह बनवाकर उसे विश्व
स्तर पर पेटेन्ट करवाया ताकि इस नाम से कोई भी आदमी भगवान कल्कि जी के लिए भवन बनवा
नहीं पाए । तब से इसी स्थान पर होने लगी भगवान कल्कि जी की पूजा और तब से श्रद्धालु नारायणगृह में भगवान
कल्कि जी को आने का इन्तजार कर रहे हैं ।
जिस समय सत्य युग पूर्ण रूप से पृथ्वी को अपने प्रभाव में ले
लेगा उसी वक्त भगवान कल्कि जी नारायणगृह में
प्रकट हो जायेंगे । वे वर्तमान समय में भी ज्योति रूप में उपस्थित हैं लेकिन लोगों को इन आँखों से नजर नहीं आते हैं
क्योंकि उन्होंने कहा कि चुकि लोगों ने मेरे नाम को जान लिया है इसलिए नारायणगृह के
बीच में मैं ज्योति रूप से प्रकट होऊँगा और नारायणगृह
में आने वाले श्रद्धालुओं की प्रार्थना को सुना करूँगा
।