क्या है विभिन्न धर्म ग्रन्थों की भविष्यवाणी ?
आदिश्री अरुण
भिन्न - भिन्न धर्म ग्रन्थों के अनुसार भगवान कल्कि के अवतार लेने की भविष्यवाणी:
1.श्रीमद्भागवतम महा पुराण: श्रीमद्भागवतम महा पुराण 12;2:17-18 में महर्षि वेद व्यास जी ने यह भविष्यवाणी किया गया है कि "सर्वव्यापक भागवान विष्णु सर्वशक्तिमान हैं । वे सर्वस्वरूप होने पर भी चराचर जगत के सच्चे शिक्षक - सद्गुरु हैं । वे साधु-सज्जन पुरुषों के धर्म की रक्षा के लिए, उनके कर्म का बंधन काटकर उन्हें जन्म - मृत्यु के चक्र से छुड़ाने के लिए अवतार ग्रहण करते हैं । उन दिनों शम्भल ग्राम में विष्णु यश नाम के श्रेष्ट ब्राह्मण होंगे, उनका ह्रदय बड़ा उदार एवं भगवत भक्ति से पूर्ण होगा। उन्हीं के घर कल्कि भगवान अवतार ग्रहण करेंगे ।
2. श्रीमद्देवीभागवत : श्रीमद्देवीभागवत, स्कन्ध - 2, पेज नम्बर 660 में यह भविष्यवाणी किया गया है कि " कलियुग के अन्त में प्रायः सभी लोग अप्रिय बोलेंगे । सभी चोर और लम्पट होंगे । सभी एक दूसरे की हिंसा करने वाले एवं नरघाती होंगे । ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य सबके वंशजों में पाप प्रेवेश कर जाएगी । पंचयज्ञ करने में द्वीजों की प्रवृति न होगी । यग्योपवीत पहनना उनके लिए भार हो जाएगा। वे संध्या वन्दना और शौच से विहीन रहेंगे । अन्नों में, स्त्रियों में और आश्रमवासी मनुष्यों में कोई नियम नहीं रहेगा । घोर कलियुग में सभी लोग म्लेच्छ हो जाएँगे । तब विष्णुयशा नामक ब्राह्मण के घर उनके पुत्र रूप से भगवान् कल्कि प्रकट होंगे । ये बहुत ऊँचे घोड़े पर चढ़कर अपनी विशाल तलवार से म्लेच्छों का नाश करेंगे और तीन रात में ही पृथ्वी को म्लेच्छ शून्य कर देंगे । "
3. श्री विष्णु पुराण: श्री विष्णु पुराण अध्याय 24, चतुर्थ अंश पेज नम्बर 301 में यह भविष्यवाणी किया गया है कि " कलियुग के प्रायः बीत जाने पर शम्भल ग्राम निवासी ब्राह्मण श्रेष्ट विष्णु यशा के घर सम्पूर्ण संसार के रचैता, चराचर गुरु, आदि मध्यान्त शून्य ब्रह्मय, आत्मरूप भगवान् वासुदेव अपने अंश से ऐश्वर्ययुक्त कल्कि रूप से संसार में अवतार लेकर, असीम शक्ति और माहात्म्य से संपन्न हो सकल म्लेच्छ, दस्यु, दुष्टाचारी, तथा दुष्टचितों का क्षय करेंगे और समस्त प्रजा को अपने - अपने धर्म में नियुक्त करेंगे । "
4. ब्रह्म पुराण : ब्रह्म पुराण, शीर्षक "श्री हरि के अनेक अवतारों का संक्षिप्त वर्णन" पेज नम्बर 340 में यह भविष्यवाणी किया गया है कि "विष्णुयशा नाम से प्रसिद्द कल्कि अवतार होने वाला है । भगवान कल्कि शम्भल ग्राम नामक ग्राम में अवतीर्ण होंगे। उनके अवतार का उद्देश्य सब लोगों को हित करना है ।"
5. गरुड़ पुराण : गरुड़ पुराण, पेज नंबर 241 में यह भविष्वाणी किया गया है कि "वासुदेव कृष्ण असुरों को व्यामोहित करने के लिए बुद्ध रूप में अवतरित हुए । अब वे कल्कि हो कर फिर शम्भल ग्राम में अवतार लेंगे और घोड़े पर सवार हो कर वे संसार के सभी विधर्मियों का नाश करेंगे ।"
6. हरिवंश पुराण : हरिवंश पुराण, हरिवंश पर्व, अध्याय 47, पेज नम्बर 154 में यह भविष्वाणी किया गया है कि "भावी अवतारों में पहले बुद्ध का प्राकट्य होगा। इसके बाद विष्णु यशा नाम से प्रसिद्ध अवतार होने वाला है । भगवान विष्णु शम्भल नामक ग्राम में सम्पूर्ण जगत के हित के लिए पुनः एक ब्राह्मण के रूप में प्रकट होंगे । "
7. मत्स्य पुराण: मत्स्य पुराण, अध्याय 47, पेज नम्बर 147 में यह भविष्वाणी किया गया है कि " युग के समाप्ति के समय, जब संध्या मात्र अवशिष्ट रह जाएगी, विष्णुयशा के पुत्र के रूप में कल्कि अवतार होगा । उस समय भगवान कल्कि आयुध धारी, सैकड़ों एवं सहस्त्रों विप्रों को साथ लेकर चारों ओर से धर्म विमुख जीवों, पाखण्डों, और शुद्र वंशी राजाओं का सर्वथा विनाश कर डालेंगे ।"
8. महाभारत : महाभारत, वन पर्व, शीर्षक "कलि धर्म और कल्कि अवतार" , पेज नम्बर 311 में यह भविष्वाणी किया गया है कि " शम्भल ग्राम के अन्तर्गत विष्णु यशा नाम के ब्राह्मण के घर में एक बालक उत्पन्न होगा । उसका नाम होगा कल्कि विष्णु यशा । वह ब्राह्मण कुमार बहुत ही बलवान, बुद्धिमानऔर पराक्रमी होगा । मन के द्वारा चिंतन करते ही उसके पास इच्छानुसार वाहन, अस्त्र-शस्त्र, योद्धा और कवच उपस्थित हो जाएँगे । वह ब्राह्मणों की सेना साथ लेकर संसार में सर्वत्र फैले हुए म्लेच्छों का नाश कर डालेंगे । वही सब दुष्टों का नाश करके सत्य युग का प्रवर्तक होंगे और सम्पूर्ण जगत को आनन्द प्रदान करेंगे ।"
9. सुख सागर : सुख सागर 12;2:17-18 में यह भविष्यवाणी किया गया है कि " कलियुग के अन्त में प्रायः सभी लोग अप्रिय बोलेंगे । सभी चोर और लम्पट होंगे । सभी एक दूसरे की हिंसा करने वाले एवं नरघाती होंगे । ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य सबके वंशजों में पाप प्रेवेश कर जाएगी । पंचयज्ञ करने में द्वीजों की प्रवृति न होगी । यग्योपवीत पहनना उनके लिए भार हो जाएगा। वे संध्या वन्दना और शौच से विहीन रहेंगे । अन्नों में, स्त्रियों में और आश्रमवासी मनुष्यों में कोई नियम नहीं रहेगा । घोर कलियुग में सभी लोग म्लेच्छ हो जाएँगे । तब विष्णुयशा नामक ब्राह्मण के घर उनके पुत्र रूप से भगवान् कल्कि प्रकट होंगे । ये बहुत ऊँचे घोड़े पर चढ़कर अपनी विशाल तलवार से म्लेच्छों का नाश करेंगे और तीन रात में ही पृथ्वी को म्लेच्छ शून्य कर देंगे । "
10. कल्कि पुराण : कल्कि पुराण, प्रथम अंश, द्वितीय अध्याय, श्लोक 15 ने यह भविष्यवाणी किया गया है कि "वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अवतार लिया ।"
11. Kalki Comes in 1985, 3rd Chapter: "Kalki will be born in a Brahmin family in Mathura City in Uttar Pradesh of North India in the first half of 1985, i.e. on Baishakh Shukla Dwadashi Tithi 1392, Bengali Year. "
12. स्कन्द पुराण: स्कन्द पुराण, माहेश्वर खण्ड-कुमारिका खण्ड, शीर्षक "महाकाल द्वारा करंधम के प्रश्नानुसार, श्राद्ध तथा युग व्यवस्था का वर्णन" पेज नम्बर 129 के अनुसार " सम्पूर्ण जगत के स्वामी साक्षात् भगवान विष्णु शम्भल ग्राम में विष्णुयशा के पुत्र होकर अवतार लेंगे ।"
13. भविष्यपुराण: भविष्यपुराण 4;5:27-28 ; प्रतिसर्ग पर्व, चुतुर्थ खंड पेज नो 331 के अनुसार भगवान श्री विष्णु ने कहा कि मैं देवताओं के हित और दैत्यों के विनाश के लिए कलियुग में अवतार लूंगा और कलियुग में भूतल पर स्थित सूक्ष्म रमणीय दिव्य वृन्दावन में रहस्यमय एकांत - क्रीड़ा करूँगा। घोर कलियुग में सभी श्रुतियाँ गोपी के रूप में आकर रासमंडल में मेरे साथ रासक्रीड़ा करेगी। कलियुग के अंत में राधा जी के प्रार्थना को स्वीकार करके मैं रहस्यमयी क्रीड़ा को समाप्त कर के कल्कि के रूप में अवतीर्ण होऊंगा ।
14. इस्लामिक धर्म ग्रन्थ के अनुसार : इस्लामिक धर्म ग्रन्थ में यह भविष्यवाणी किया गया है कि कल्कि अवतार सारे इन्सानियत के लिए रहमत बना कर भेजा जाएगा । कुरान, सूरः अल अहमिया अध्याय 21 ,आयत 107 में अल्लाह ताला फरमाते हैं कि हमने सारे आलमों के लिए, सारे इन्सानियत के लिए, सारे जहाँ के लिए "कल्कि अवतार " को भेजा है । कल्कि अवतार को सफ़ेद घोडा दिया जाएगा । वे घोडा चलाएँगे और सीधे हाथ में (यानि कि दाहिने हाथ में) तलवार को लेकर लोगों को अंधकार से रोशनी में ले जाएँगे । जंग के मैदान में देवता उनकी मदद करेंगे । कुरान, सूरः आले इमरान अध्याय 3, आयत 123 - 125)
15. सिख धर्म के अनुसार : सिख धर्मग्रन्थ में यह भविष्यवाणी किया गया है कि गरीबों को बचाने के लिए परम पुरुष इस संसार में आते हैं । कलयुग के अन्त में सत्य युग आएगा । पाप शक्तियों के विनाश के लिए वे आएँगे ।
"दीनन की रक्षा निमत कर है आप उपाय । परम पुरुष पवन सदा आप प्रगट है आई ।
आप प्रगट है आई, दीन रक्षा के कारनन । अवतारीज अवतार धरा के भार उतारन । (139)
कलियुग के अन्त समय सत्ययुग लगत आद । दीनन की रक्षा लिए धरि है रूप अनादि ।
धरि है रूप अनादि कलेह कब तक केह भारी । शतरण के नासार्थ नमित अवतार अवतारी । 'Sri Dasam Granth Sahib' (140)." {page 581}
पापियों के विनाश करने के कारण वे कल्कि नाम से पुकारे जाएँगे । वे पापियों को तलवार से मारेंगे । भारत का शम्भल शहर भाग्यवान है ।
" पाप समूह विनाशन को कल्कि अवतार कहावेंगे ।
तुरकच्छ तुरंग सापच्छ बडो कर कारद्ध कृपाण खपावेंगे ।
निकासे जीभ कहर पर्बत ते तस सोभ दिवाली पावेंगे ।
भल भाग भय यह शम्भल के हर जू कल्कि अवतार आवेंगे ।"
16. धर्मशास्त्र, प्रकाशित वाक्य: धर्मशास्त्र, प्रकाशित वाक्य 19:11,14 -16 में यह भविष्यवाणी किया गया है कि " मैंने स्वर्ग को खुला हुआ देखा और देखता हूँ कि एक श्वेत घोड़ा है, जो विश्वास के योग्य है और सत्य कहलाता है और वह धर्म के साथ न्याय और लड़ाई करता है । स्वर्ग की सेना श्वेत घोड़े पर सवार, श्वेत और शुद्ध मलमल पहने हुए उसके पीछे - पीछे है । जाती - जाती को मारने के लिए उसके मुँह से एक ची तलवार निकलती है । वह लोहे का राज दण्ड लिए हुए उन पर राज्य करेगा । उसके वस्त्र और जाँघ पर यह नाम लिखा है - राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु ।
कल्कि नाम की महिमा
महर्षि वेद व्यास जी ने श्रीमद्भागवतम महा पुराण में यह भविष्यवाणी किया है कि जो फल सत्य युग में धयान करने से, त्रेता में यज्ञ करने से और द्वापर में विधि पूर्वक पूजा करने से मिलता है वह फल कलियुग में केवल श्री हरि के नाम के संकीर्तन से ही मिल जाता है । (श्रीमद्भागवतम महा पुराण 12;3:52)
श्री नरसिंह पुराण अध्याय 54 पेज नंबर 239 में भविष्यवाणी किया गया है कि "सत्य युग में ध्यान, त्रेता में यज्ञों के द्वारा यजन और द्वापर में पूजन करने से जो फल मिलता है,उसे ही कलियुग में केवल भगवान का कीर्तन करने से मनुष्य प्राप्त कर लेता है ।"
श्रीविष्णु पुराण, षष्ठ अंश, अधयाय 2, श्लोक 17 पेज नंबर 428 में भविष्यवाणी किया गया है कि जो फल सत्य युग में धयान, त्रेता में यज्ञ और द्वापर में देवार्चन करने से मिलता है वही फल कलियुग में श्री कृष्ण चंद्र जी का जो नाम होगा उस नाम के केवल संकीर्तन करने से ही मिल जाता है ।
श्री नरसिंह पुराण अध्याय 54, शीर्षक "कल्कि-चरित्र और कलि-धर्म " पेज नंबर 239 में भविष्यवाणी किया गया है कि "सत्य युग में दस वर्षों तक तप करे से जो फल मिलता है, वही त्रेता में एक ही वर्ष के प्रयत्न से सिद्ध होता है, द्वापर में एक ही मास की साधना से सुलभ होता है और कलियुग में केवल एक दिन - रात प्रयत्न करने से प्राप्त हो जाता है ।"
पद्मपुराण, पातालखंड, शीर्षक "नाम कीर्तन की महिमा ,भगवान के चरण चिन्हों का परिचय तथा प्रत्येक मास में भगवान की विशेष आराधना का वर्णन" पेज नंबर 565 में भविष्यवाणी किया गया है कि "कलियुग में केवल हरि नाम ही संसार समुद्र से पार लगाने वाला है ।"
श्री तुलसी दास जी ने रामचरित मानस में यह भविष्यवाणी किया है कि कलियुग में केवल नाम ही आधार है । मनुष्य केवल नाम सुमिरन करके ही भव से पार हो जाएँगे।
रामचरित मानस में यह भी भविष्यवाणी किया गया है कि कलियुग में न तो योग और यज्ञ है और न ज्ञान ही है । कलियुग में श्री राम जी का जो नाम होगा केवल उसी नाम का गुणगान ही एक मात्र आधार है। जो प्रेम सहित उनके गुण समूह नाम को गाता है वह भव सागर से तर जाता है । कलियुग में नाम की एक महिमा है कि मानसिक पूण्य तो होते हैं पर मानसिक पाप नहीं होते।
रामचरित मानस में यह भी भविष्यवाणी किया गया है कि "जैसे स्वामी के पीछे - पीछे सेवक चलता है, उसी प्रकार नाम के पीछे - पीछे नामी चलता है।" (रामचरित मानस, बालकांड 20:1) रूप नाम के आधीन है परन्तु नाम के बिना रूप का ज्ञान नहीं हो सकता है । (रामचरित मानस, बालकांड 20:2) बिना नाम जाने हथेली पर रखा हुआ कोई सा विशेष रूप पहचा नहीं जा सकता और रूप को बिना देखे नम जप विशेष प्रेम के साथ किया जाय तो वह रूप हदय में आ जाता है । (रामचरित मानस, बालकांड 20:3)
सभी धर्मशास्त्र केवल यही भविष्यवाणी करता है कि कलियुग में केवल श्रीहरि के नाम के सुमिरन तथा संकीर्तन से लोग भाव से हो जाएंगे तो कलियुग में श्रीहरि का नाम जानिए और उनके नाम का सुमिरन तथा संकीर्तन किजिये; कहाँ दौड़ लगा रहे हैं आप ? यदि आप भगवान कल्कि के शरण में आकर अनन्य प्रेम, बिना शर्त के प्रेम और कामना रहित प्रेम से उनके नाम का सुमिरन तथा संकीर्तन करेंगे तो आप तुरत मोक्ष को प्राप्त करेंगे ।