Why not Lord Krishna marry with Radha ji ?


भगवान कृष्ण ने राधा से विवाह क्यों नहीं किया ?


आदिश्री अरुण 

Why not Lord Krishna marry with Radha ji ?

सब कोई जानते हैं कि भगवान कृष्ण राधा से बहुत प्यार करते थे और राधा जी भी भगवान कृष्ण से बहुत प्यार करती थी । राधा - कृष्ण की रास लीला आज तक प्रसिद्द है । जब भगवान कृष्ण और राधा एक दूसरे से इतना अधिक प्यार करते थे तो भगवान कृष्ण ने राधा से विवाह क्यों नहीं किया ?
देवी लक्ष्मी जी ने देखा कि बार - बार भगवान विष्णु जी पृथ्वी पर अवतार लेते रहते हैं । इस कारण लक्ष्मी जी की इच्छा हुई किमैं भी भगवान विष्णु जी के साथ अवतार लूँ और भगवान विष्णु जी के साथ धर्म के कार्य में सहयोगी बनूँ । इसलिए त्रेता युग में जब भगवान विष्णु ने राम नाम से अवतार लिया तो देवी लक्ष्मी जी सीता नाम से पृथ्वी पर अवतार ली । इसके बाद द्वापर युग में जब भगवान कृष्ण जी ने पृथ्वी पर अवतार लिया तो फिर देवी लक्ष्मी जी रुक्मणी नाम से पृथ्वी पर अवतरित हुई ।



देवी रुक्मणी विधर्व देश के राजा भीष्मक के यहाँ उनके पुत्री के रूप में अवतरित हुई और रुक्मणी के अवतार लेने से राजा भीष्मक बहुत खुश हुए । परन्तु रुक्मणी के अवतरित होने के कुछ महीने बाद ही एक पूतना नाम की राक्षसनी रुक्मणी को मारने के लिए राजा भीष्मक के महल में पहुँची । यह पूतना वही राक्षसनी थी जिसने कंस के कहने पर भगवान श्री कृष्ण को अपना जहरीला स्तनपान करवाकर मारने की कोशिशें की थी परन्तु वह राक्षसनी भगवान कृष्ण के स्तनपान करने से मृत्यु को प्राप्त हो गई थी ।
राक्षसनी पूतना ने रुक्मणी को अपना जहरीला स्तनपान कराने की बहुत कोशिश की परन्तु उसके बहुत कोशिश करने के बाबजूद भी रुक्मणी ने उसका स्तनपान नहीं किया । जब पूतना रुक्मणी को स्तनपान कराने का असफल प्रयास कर रही थी तभी कुछ लोग महल के अन्दर आगए । अचानक लोगों के इस तरह अन्दर आजाने के कारण राक्षसनी पूतना रुक्मणी को अपने साथ लेकर आकाश में उड़ गई । यह देख कर लोगों ने राक्षसनी का बहुत दूर तक पीछा किया परन्तु राक्षसनी पूतना ने रुक्मणी को अपने साथ लेकर आकाश में बहुत ऊपर उड़ गई । यह देखकर सभी लोगों ने रुक्मणी के जीवित रहने की आशा छोड़ दी । लेकिन जब पूतना आकाश में रुक्मणी को अपने साथ लेकर बहुत ऊपर उड़ रही थी तब रुक्मणी ने अपने आप को उस राक्षसनी पूतना से आजाद होने के लिए अपना वजन बढ़ाना शुरू कर दी । रुक्मणी ने अपना वजन इतना बढ़ लिया कि राक्षसनी पूतना को रुक्मणी का भार उठा पाना मुस्किल हो गया । इसलिए राक्षसनी पूतना ने रुक्मणी को अपने हाथ से छोड़ दिया । इस कारण रुक्मणी पूतना के हाथ से छूट कर आकाश से पृथ्वी पर आकर एक सरोवर में कमल के फूल के ऊपर आकर विराजमान हो गई ।



रुक्मणी जिस सरोवर में कमल के फूल पर गिर कर विराजमान हो गई वह सरोवर मथुरा राज्य के वरसाना गाँउ में था । इस प्रकार पूतना के कारण विधर्व राज्य के राजकुमारी रुक्मणी मथुरा राज्य के वरसाना  गाँउ में आ गई । उसी समय वरसाना के एक निवासी वृषवान अपनी पत्नी कृतिदेवी के साथ उस सरोवर के किनारे से होकर गुजर रही थी कि अचानक उन दोनों की नजर सरोवर में कमल पर विराजमान उस बच्ची रुक्मणी पर पड़ी । वृषवान और उसकी पत्नी कृतिदेवी उस बच्ची रुक्मणी को उठाकर अपने साथ अपने घर ले गए और उसको अपना बेटी बना कर उसका पालन - पोषण करने लगे । चुकि वृषवान और उसकी पत्नी को उस बच्ची का नाम नहीं मालूम था इसलिए उन दोनों ने उस बच्ची का नाम राधा रख दिया । राधा जी जब बड़ी हुई तो उनकी मुलाकात गोकुल के श्री कृष्ण से हुई । राधा जी और भगवान कृष्ण जी के अटूट प्रेम और रास लीला को तो सब जानते हैं और यह भी जानते होंगे कि एक समय भगवान कृष्ण को अचानक गोकुल और राधा जी को छोड़ कर द्वारिका पूरी जाना पड़ा । उस समय भगवान कृष्ण जी ने सोचा था कि द्वारिका पूरी से वापस आने के बाद वे अपनी राधा के साथ विवाह करके अपना पत्नी बना लेंगे । परन्तु उनके द्वारिका जाने के कुछ ही समय बाद विधर्व देश के राजा भीष्मक को यह पता चला कि राधा ही उनकी पुत्री रुक्मणी है । इसलिए राजा भीष्मक वरसाना आकर अपनी बेटी रुक्मणी को अपने साथ लेकर विधर्व देश चले गए । विधर्व राज्य भगवान कृष्ण के दुश्मनों का राज्य था । इसलिए रुक्मणी के घर के लोग रुक्मणी की शादी किसी और के साथ कर देना चाहते थे । इसी कारण भगवान कृष्ण ने रुक्मणी को जो की उनकी अपनी राधा थी, उनका हरण करके उन्हें अपना पत्नी बना लिया । रुक्मणी और राधा दो अलग - अलग लड़की नहीं थी जिससे कि रुक्मणी से शादी करने के बाद राधा से भी शादी करते । जब रुक्मणी और राधा एक ही लड़की थी तो  भगवान कृष्ण की शादी एक बार रुक्मणी से और एक बार राधा से अलग - अलग होने का प्रश्न ही नहीं उठता है । इसलिए पुराणों में जब राधा जी का नाम आता है तब रुक्मणी का कोई नाम नहीं आता है और जब भगवान कृष्ण रुक्मणी जी के साथ शादी कर लेते हैं तो उसके बाद राधा जी का कोई नाम नहीं आता है ।   

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