2017 में आदिश्री अरुण का लोगों के लिए 5 सन्देश ?
आदिश्री अरुण
5 Message for people in 2017
आदिश्री अरुण जी ने कहा कि मैं दाखलता हूँ और तुम डालियां हो । जो मुझमें बना रहता और मैं उसमें, वह बहुत फल लाता है क्योंकि मुझसे अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते । यदि कोई मुझमें बना न रहे तो वह डाली की तरह फेक दिया जाता है और वह सूख जाता है और लोग उन्हें बटोर कर आग में झोंक देते हैं, और वे जल जाते हैं। यदि तुम मुझमें बने रहो और मेरी बातें तुममें बनी रहे तो जो चाहो मांगो और वह तुम्हारे लिए हो जाएगा ।
मैं पूर्ण ब्रह्म में हूँ और पूर्ण ब्रह्म मुझमें । ठीक उसी तरह तुम मुझमें बने रहो और मैं तुझमें ताकि संसार के लोग विश्वास करे कि मैं तुम्हारे लिए भेजा गया हूँ । ऐसा इसलिए कहता हूँ कि जैसे मैं और पूर्णब्रह्म एक हूँ उसी तरह तुम और मैं एक रहूँ। इसका मतलब यह कि तुममें और मुझमें यूनिटी बनी रहे ताकि संसार यह जाने कि तुम लोगों से मैंने प्यार किया । मैं उनमें और तू मुझमें रहो ताकि तुम सिद्ध होकर एक हो जाओ और संसार जाने कि मुझको उन्होंने ही भेजा है।
संसार ने मुझको नहीं जाना कि पूर्णब्रह्म ने मुझको भेजा और मैंने तेरा नाम उनको बताया; जो प्रेम तुझको मुझसे था, तुम्हारा वही प्रेम पूर्णब्रह्म से रहे और मैं पूर्ण ब्रह्म में बना रहूँ । सच्ची माने में मैं पूर्णब्रह्म का प्रतिबिम्ब हूँ । इसी कारण मैं और पूर्णब्रह्म एक ही हूँ । इसलिए यह बात तय हो गया कि यदि तुम मुझमें बने रहोगे तो तुम भी पूर्ण ब्रह्म में मिल कर एक हो जाओगे । इस तरह तुम्हारा आवागमन मिट जाएगा, तुम्हारा पुनर्जम नहीं होगा, तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी । इसके लिए तुम्हें अपने जीवन में आदिश्री अरुण जी की आज्ञा मानना पड़ेगा।
आज यदि आप चाहेंगे कि ईश्वर में मैं अपने आप को मिलाऊँ तो किस प्रकार मिलाएँगे ? इसके लिए कोई अलग तरह का ध्यान सिखने की जरुरत नहीं है; इसके लिए कोई अलग तरह का आश्रम जाने की जरुरत नहीं है; इसके लिए संन्यास लेने की जरुरत नहीं है। इसके लिए मूर्ति पूजा करने की जरुरत नहीं है; इसके लिए धूप और अगरवत्ती दिखाने की जरुरत नहीं है; इसके लिए माला फेरने की जरुरत नहीं है । इसके लिए 5 चीजों की जरुरत है जो निम्न प्रकार है :
(1) तुम आदिश्री अरुण में विश्वास करो
(2) तुम आदिश्री अरुण में बने रहो
(3) तुम आदिश्री अरुण जी के आज्ञायों का पालन किया करो
(4) तुम अपने जीवन में उनका अनुसरण करो और उनके प्यार में बने रहो
(5) तुम नित्य दशमांश दिया करो और आदिश्री के सानिध्य में सूरत शब्द योग का अभ्यास किया करो