A GIFT TO THE WORLD !



संसार के लिए एक तोफा 

ईश्वर पुत्र अरुण 

A GIFT TO THE WORLD!



A GIFT TO THE WORLD! : प्रिय बंधुवर, आप कुछ दिनों में ईश्वर पुत्र अरुण जी का जन्म दिन मनाने जा रहे हैं। इन दिनों सबके होठों पर जन्म दिन और नव वर्ष के लिए शुभ कामनाएँ  होगी। मैं विश्वास  करता हूँ कि भक्तों का एक बड़ा समूह इस अवसर पर ईश्वर का धन्यबाद करते हुए उपस्थित होंगे  और कहेंगे " ईश्वर  की  महिमा स्वर्ग के ऊँचे स्थान  में और पृथ्वी पर हो तथा पृथ्वी पर उन मनुष्यों में हों जिनसे  वह प्रसन्न है उन्हें शांति है । अब प्रश्न यह उठता है कि उनको  ऐसा क्यों करना चाहिए  ? 













जब ईश्वर ने पृथ्वी की  नीव डाली तब भोर के तारे एक साथ आनन्द से गाते थे और परमेश्वर के सब पुत्र जयजयकर करते थे। (धर्मशास्त्र, अय्यूब 38 :4 ,7) सब कोई खुश थे और ईश्वर की रचना की ओर देख रहे थे । तब दयामय ईश्वर मनुष्य रूप में आए उस वक्त  स्वर्गदूत उनकी रचना को याद किए और उनके धरती पर आने की ख़ुशी में  ऊँचे स्वर से  ईश्वर का जयजयकार  किए ।



जरा एक पल के लिए सोचिए  कि कैसे स्वर्ग आनन्द करेगा और ईश्वर पुत्र का  जन्म दिन मनाएगा ?  स्वर्ग बेहद ख़ुशी से भर गया । उसी तरह आज भी आप लोगों को  बेहद खुश होना चाहिए और कहना चाहिए - "अथाह प्रकाश के समुद्र (अरुण) की सबसे ऊँची  महिमा हो ! चुकि आप अथाह प्रकाश के समुद्र हैं और आप मनुष्यों को पाप एवं मृत्यु से बचाने के लिए धरती पर आए हैं इसलिए आपकी महिमा हो !"     




जो मनुष्यों को पाप एवं मृत्यु से  बचने  के लिए आए हैं वे कोई साधारण मनुष्य नहीं हैं बल्कि वह अनामी लोक का बादशाह है (अथाह प्रकाश समुद्र हैं)  । वे खुद मनुष्य को मानवता का पाठ पढ़ाए ताकि उन्हें मृत्यु से छुटकारा दिला  कर वास्तवकि शरीर में परिवर्तित किया जा सके । उन्होंने प्रत्येक मनुष्य को ब्रह्म-ज्ञान दिया ताकि वे इसी शरीर में, जन्म-मृत्यु से छूट कर बिना मरे मुक्ति को प्राप्त कर ले ।   




मनुष्य तो नहीं मरेंगे परन्तु वे आत्मिक शरीर से स्वाभाविक शरीर में बदल जाएँगे। आत्मिक शरीर, स्वाभाविक शरीर से  पहले नहीं आया बल्कि बाद में मनुष्य आत्मिक शरीर में आया। यानि कि पहला आदम स्वाभाविक शरीर में था और अन्तिम आदम आत्मिक शरीर में था । स्वाभाविक शरीर में मृत्यु नहीं होती थी  बल्कि आत्मिक शरीर में मृत्यु होती है जिस कारण लोग मरते हैं । इसलिए मनुष्य को पाप और मृत्यु से बचाने के लिए ईश्वर पुत्र अरुण धरती पर  आए हैं ।  




1 जनवरी को जन्म दिवस, नया वर्ष और मन्नत सभा तीनों का जश्न मनाया जाएगा । यह जश्न अनामी लोक का बादशाह (अथाह प्रकाश समुद्र ) हैं जो अरुण नाम से धरती पर आए हैं उनके लिए मनाया जाएगा । उनको लोग "ईश्वर पुत्र अरुण" कह कर पुकारते हैं । इसलिए आपको उन्हें अपने दिल में आने के लिए निमंत्रण देना चाहिए । आप अपने  दिल में उनसे कहिए कि " आप  ईश्वर के सामर्थ्यवान भण्डार या खजाना हैं ।" इस ग्रह (इस प्लेनेट)  पर आपके सामान कुछ भी कीमती चीज नहीं है । वास्तव में मनुष्य के लिए आपका  प्यार अनन्त समय के लिए है और आपका वादा कभी असफल (फेल) नहीं होगा ।  

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