क्या है खुश रहने का 9 तरीका ?
ईश्वर पुत्र अरुण
क्या है खुश रहने का 9 तरीका ?
प्रत्येक व्यक्ति खुश रहना चाहता है। जीवन में कहीं न कहीं हम खुशियों की तलाश करते हैं । जो भी करते हैं, जो भी करना चाहते हैं, उसमें अपनी खुशी तलाशते हैं । अगर सच पूछा जाए तो खुशी ही हमारे जीने का मकसद होता है । जीवन की जिस राह में खुशी नहीं है, हम उस राह पर ज्यादा देर तक, ज्यादा दूर तक नहीं चल पाते । यदि चलते भी हैं, तो उदास होकर या किसी मजबूरी में । खुशी के बिना जीवन में नीरसता आजाती है और जीवन बुझा हुआ-सा प्रतीत होता है । खुशी के आते ही जीवन में चहल-पहल होने लगता है और प्रकाश की तरंगें छा जाती हैं । खुशी के पल जीवन को खिला देता है तथा जिस्म में एक नई ऊर्जा व उमंग भर देता है । ऊर्जावान और प्रेरित बने रहने के लिए व्यक्ति का खुश रहना बहुत जरूरी है ।
मनुष्य जब खुश रहता है तो वह अंदर से बहुत हल्का महसूस करता है। लेकिन जब वह खुश नहीं रहता है तब उसके मन में तनाव होता है, परेशानी की लकीरें उसके चेहरे पर आ जाती हैं । मन में तरह-तरह के विचार चलने लगते हैं, नकारात्मकता अर्थात निगेटिव थाउट हावी होने लगती है और वह व्यक्ति अपने भविष्य के लिए चिंता करने लगता है, दुर्घटनाओं की आशंका करने लगता है और ऐसे दृश्यों की कल्पना करने लगता है जिसमें उसका नुकसान हो रहा हो। ऐसे वक्त में वह सोच ही नहीं पाता कि उसके साथ कुछ अच्छा भी हो सकता है ।
ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो मानते हैं कि जिन्दगी को सही से और ख़ुशी से जीने के लिए बस बहुत सारा पैसा होना चाहिए। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है क्योंकि ऐसे बहुत सारे लोग हैं जिनके पास दुनिया भर का पैसा है लेकिन जिदंगी सही मायने में उनके पास भी नहीं है । पैसे से मनुष्य अपनी जरुरत की चीज़ को खरीद सकता है लेकिन खुशियाँ उसके जीवन में होती ही नहीं है। मैंने आपके लिए 9 उपाय ढूंढा हैं जिसको अपना कर आप खुशियाँ प्राप्त कर सकते हैं ।
खुशी पाने का वह उपाय निम्नलिखित हैं :
(1) हमेशा मुस्कुराते रहिए । खुशियाँ आपको भूल जाए परन्तु आप खुशियों को कभी मत भूलिए ।
(2) बिना शर्तों का प्यार कीजिए।
(3) जो आपके पास है उसके लिए जश्न मनाइए । जो नहीं है और आप उसको पाना चाहते हैँ तो उसके बारे में केवल सकारात्मक तरीके से सोचिए ।
(4) कभी - कभी आप अपने भावनाओं को बाहर आने दीजिए।
(5) जब आपको किसी से जलन हो या किसी के लिए आप नफरत महसुस करें तो इसको तुरन्त रोक दीजिए। क्योंकि ऐसा करके आप केवल स्वयं को ही तकलीफ में डाल रहे हैँ।
(6) अच्छा या बुरा जो भी हो रहा है उसे होने दीजिए । आप निरन्तर अच्छा और बुरा में सम रहिए क्योंकि अच्छा या बुरा कुछ भी स्थाई नहीं है।
(7) मंहगी, आकर्षक, नयी चीजें आपको यह महसूस करवा सकती है कि आप एक बेहतर इंसान है पर दुख, भय या जरुरत को मिटाने के लिए ये सुन नहीं सकती और न आपका साथ दे सकती हैं । इसलिए प्राथमिकताओं का निर्धारण सोच समझ कर कीजिए।
(8) दूसरों का ताना, बीते दिनों की समस्याएं और घटनाएँ जिन पर आपका नियंत्रण नहीं है, उस पर समय देना खुद को व्यर्थ दुःख पहुँचाना है। इससे आपको खुशी कभी भी नहीं मिल सकती है ।
(9) अपनी खुशियों की तुलना दूसरों की खुशियों से करना छोड़ दीजिए । जो आपके पास है उसमें खुश रहिए । दुसरे के चहरे पर मुस्कुराहट लाइए तो वह मुस्कुराहट दूगुनी होकर आपके चहरे पर खिलेगी।