Who can bring great happiness and who can introduce from friend & enemy?

Who can bring great happiness and who can introduce from friend & enemy?

कौन ला सकता है क्षण भर में परम आनंद और कौन करवा सकता है दोस्त और दुश्मन मित्र की पहचान ?

ईश्वर पुत्र अरुण 

Who can bring great happiness and who can introduce from friend & enemy?

कौन ला सकता है क्षण भर में परम आनंद और कौन करवा सकता है दोस्त और दुश्मन मित्र की पहचान ?

निर्भयता ही है जो क्षण भर में परम आनंद लाती है इसलिए किसी चीज से डरो मत तब तुम अद्भुत काम कर सकोगे| मन में भय से अधिक भयंकर और कोई पाप नहीं है। भय ही पतन और पाप का निश्चित कारण है। मनुष्य अपने दुश्मनों से तब तक नहीं बच सकता जब तक उसके पास भय है । यदि मनुष्य के साथ उसके मित्र हों तो वह अपने दुश्मनों से बच सकता है । मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र “विचार (thoughts)” है, और उसका सबसे बड़ा दुश्मन भी विचार (Thoughts) ही है। मनुष्य के मित्रों को सकारात्मक विचार (Positive Thoughts) कहते है और मनुष्य के दुश्मनों को नकारात्मक विचार (Negative Thoughts) कहते हैं। मनुष्य दिन में 60, 000 से 90, 000 विचारों (Thoughts) के साथ रहता है। यानि कि मनुष्य हर पल एक नए दोस्त (Positive Thought) या दुश्मन (Negative Thought) का सामना करता है। मनुष्य को यह पहचानना होता है कि कौनसा विचार उसका दुश्मन है और कौन सा विचार उसका दोस्त है । और फिर मनुष्य को निर्भय होकर अपने दोस्त को चुनना होता है। हरएक दोस्त (One Positive Thought) अपने साथ कई अन्य दोस्तों (Positive Thoughts) को लाता है और ठीक उसी तरह हरएक दुश्मन भी (One Negative Thought) अपने साथ अनेक दुश्मनों (Negative Thoughts) को लाता है। मनुष्य जब निरंतर दुश्मनों (Negative Thoughts) को चुनता है तो उसे निरंतर दुश्मनों को चुनने की आदत पड़ जाती है और अगर वह निरंतर दोस्तों (Positive Thoughts) को चुनता है, तो उसे निरंतर दोस्तों को चुनने की आदत पड़ जाती है। मनुष्य के पास जब ज्यादा मित्र रहते है तो उसके दुश्मनों की संख्या कम हो जाती है । ऐसी अवस्था में मनुष्य निरंतर जीतता ही जाता है| मनुष्य जब जीतता है तो वह अच्छे कार्य करने लगता है और सफलता उसके कदम चूमती है, सभी उसकी तारीफ करते हैं और वह खुश रहता है। लेकिन जब मनुष्य के दुश्मन, मनुष्य के मित्रो से मजबूत हो जाते हैं तब तो मनुष्य हर पल हारता ही जाता है और वह मनुष्य हर हमेशा निराश एंव क्रोधित रहने लगता है। दोस्त और दुश्मन मित्र की पहचान आपको सदगुरु ही करवा सकते हैं

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