ईश्वर में विश्वास रखने के लिए क्या है 7 जरुरत की चीजें ?
(ईश्वर पुत्र अरुण )7 चीज जरुरत है ईश्वर में विश्वास रखने के लिए:
(1) स्वयं पर निर्भर नहीं रहिए बल्कि केवल ईश्वर पर ही निर्भर रहिए :
आप में से अधिकतर लोगों को निराशा का सामना करना पड़ता है इसका कारण यह है कि आपको समाज में यह सिखाया गया है कि केवल स्वयं पर भरोसा करो । लेकिन मैंने आपको यह बताने के लिए बुलाया है कि एक अच्छी जिंदगी जीने के लिए स्वयं से ज्यादा ईश्वर पर विश्वास करने की जरुरत है; क्योंकि ईश्वर मनुष्य से ज्यादा सामर्थ्यवान है, मनुष्य से ज्यादा शक्तिशाली है और जो काम मनुष्य के वश की बात नहीं है वह काम भी ईश्वर सहज से, बड़ी आसानी से कर सकते हैँ । जो पहले बिता गया मनुष्य उसको भूल जता है, वर्तमान में क्या होना है उसे मालूम नहीं और भविष्य में क्या होगा उसको पता नहीं । इसलिए जितना अच्छा हमारे लिए ईश्वर सोच सकते हैं उतना अच्छा मनुष्य या आप नहीं सोच सकते । इसलिए आप प्रतिदिन अपने लिए जो योजना बनाते हैँ, आप अपनी योजना से जो उम्मीद करते हैं उसको छोड़कर भगवान की योजाना में चलिए तो आप कभी भी निराश नहीं होंगे ।
2.अंतः ह्रदय में ईश्वर में विश्वास होना चाहिए :
अधिकतर आदमी दिखावा करते हैँ और ईश्वर के प्रति उनका विश्वास या तो बाहरी होता है या फिर स्वार्थ से जुड़ा होता है । ईश्वर में विश्वास शारीरिक रूप से स्वयं को इकट्टा करना नहीं होता बल्कि स्वयं को ईश्वर में स्थिर करना और ईश्वर से किए वादे में स्थिर अडिग रहना ही अंतर ह्रदय से ईश्वर में विश्वास रखना है । किसी मनोकामना को प्राप्त करने के लिए ईश्वर में विश्वास, विश्वास नहीं होता है बल्कि विश्वास के लिए अंतःकरण में विश्वास का होना जरुरी होता है । इसलिए ईश्वर ने मनुष्य से कहा कि तुम मुझको अपना दो चीज दो - मन और बुद्धि । ऐसा करने से जब तुम संकट में घिर जाओगे और ईश्वर से प्रार्थना करोगे तो ईश्वर तुम्हारी सुनेंगे।
3. तुम्हारे ह्रदय में ईश्वर के लिए पूर्ण विश्वास हो :
चुकि तुम्हारा ह्रदय - मन, भावना और इच्छा का प्रतिबिम्ब है इसलिए ईश्वर के लिए पूर्ण विश्वास ह्रदय, मन, भावना और स्वतः इच्छा से होना चाहिए । जो इसके विपड़ीत है उसको संदेह कहते हैँ । जो ईश्वर में विश्वास करते हैँ वे उनकी चुनौतियाँ को मानते हैँ और पूर्ण मन से उनके पास आते हैँ । जिसने ईश्वर में पूर्ण विश्वास किया है उसने गवाही दी है कि "ईश्वर ने कहा - तुम मुझे ढूंढ़ोगे और पाओगे भी क्योंकि तुम अपने सम्पुण मन से मेरे पास आओगे ।"
4. आपका विश्वास अर्थपूर्ण (expressive) होना चाहिए :
Ways या साधन या तरीका यात्रा अथवा जीवन के यात्रा को सूचित करता है । ईश्वर में आपके जीवन का अर्थ है फेथ-जर्णी (faith-journey) ईश्वर के आश्रय में रहकर जो मनुष्य चलता है उसको अंततः महीनों में, साल में अथवा युगों में उसका परिणाम मिलता है। विश्वास यात्रा अथवा फेथ-जर्णी (faith-journey) ध्रुव और प्रह्लाद के विश्वास - यात्रा की तरह काफी शक्तिशाली है, अडिग रहने वाला है ।
5. ईश्वर में आपका विश्वास अनन्य (exclusive) होना चाहिए :
समाज में अधिकतर लोग अपनी समझ के अनुसार चालते हैँ और हर कार्य को अपनी समझ के अनुसार करते हैँ । वे ईश्वर की योजनाओं के अनुसार नहीं चलते हैँ । इसी करण वे दुष्टता करते हैँ, वे अन्याय करते हैँ और झूठ का फल खाते हैँ । वे ईश्वर के मार्ग को छोड़कर अपनी समझ के अनुसार अकेले नहीं चलते या फिर झूठ का फल अकेले नहीं खाते हैँ बल्कि ऐसे मार्ग पर वे अनेक योद्धाओं के साथ चलते हैँ । इस मार्ग पर चलने वालों को ईश्वर ने चेतावनी दिया कि - सावधान हो जा कहीं तुम गिर न पड़ो। नीतिवचन यह कहता है कि जो अपने आप पर भरोसा करता है वह मुर्ख है और जो ईश्वर पर भरोसा करता है वह हृष्ट-पुष्ट हो जाता है।
6. अपने जीवन में सबसे पहले ईश्वर की प्रधानता दीजिए :
समाज में अधिकतर लोग अपने आप की सबसे पहले प्रधानता देते हैँ । जब कभी भी कुछ अच्छा होता है तो इनाम में अपने आप को धन्यवाद देते हैँ और सबके आगे कहते हैँ कि यह काम मैंने किया है । जब कोई खराब या बहुत ख़राब होता है तो दूसरों पर दोष लगते हैँ या फिर संतोष कर लेते हैँ और कहते हैँ कि ईश्वर को ऐसा नहीं करना चाहिए । यानि कि शुरू का जगह "मैं " है (“me-centric” starting place) और जब रुपये की बात आती है तब तो संघर्ष कठिन हो जाता है । लेकिन सच्चाई यह है कि धन का स्वामी ईश्वर हैँ, खेतों में पहली उपज का भोक्ता या हकदार ईश्वर हैँ । जब आप ऐसा सोच कर व्यावहारिक रूप से करते हैँ तब आपके घर रुपयों कि कमी नहीं होती और आपके घर धन - धन्य से भर जाता है।
7. पवित्र आत्मा कि सुनिए :
जब आप पवित्र आत्मा कि सुनेंगे तब जिस समय आप कहीं जा रहे होंगे उस समय वे आपका मार्ग दर्शन करेंगे । आपके जीवन के ऊँचे - निचे रास्ते को समतल कर देंगे, आपके पड़ेशानियों व् संकटों को हटाकर आनंदमय जीवन देंगे ।