How can you get liberation / कैसे मिलेगा मोक्ष ?

कैसे मिलेगा मोक्ष ?

ईश्वर पुत्र अरुण 

How can you get liberation

कैसे मिलेगा मोक्ष ?

मोक्ष की प्राप्ति के लिए केवल एक ही उपाय है ब्रह्म-ज्ञान अथवा ब्रह्म विद्दया। इसके सिवा दूसरा कोई मार्ग या दूसरा कोई उपाय नहीं है। ब्रह्म ज्ञान वह ज्ञान है जिसको जानने के बाद कोई भी ज्ञान जानने के लिए शेष नहीं रह जाता है। इस ज्ञान को जान कर आप बिना मरे, इसी शरीर में, शरीर के रहते - रहते मोक्ष को प्राप्त कर लेंगे। यह ज्ञान सब विद्द्याओं का राजा, सब गोपनीयों का राजा, अति पवित्र, अति उत्तम, प्रत्यक्ष फल वाला, धर्म युक्त, साधन करने में बड़ा सुगम और अविनाशी है।    
    
वेदान्तदर्शन, पाद 3, अध्याय 3, श्लोक 47, पे ० न ० 333  में यह कहा गया है कि - केवल मात्र ब्रह्म विद्दया ही मुक्ति में कारण है, कर्म नहीं अर्थात उस परब्रह्म परमात्मा को जानकार ही मनुष्य जन्म - मरण को लाँघ जाता है। 

यज्ञादि कर्मों का फल स्वर्ग लोक में जाकर वापस आना है और ब्रह्म ज्ञान का फल जन्म - मरण से छूटकर परमात्मा को प्राप्त हो जाना है। (वेदान्तदर्शन, पाद 3, अध्याय 3, श्लोक 48, पे ० न ० 334 ) ब्रह्म विद्दया का उद्देश्य एकमात्र परब्रह्म परमात्मा का साक्षात्कार करा देना और इस जीवात्मा को सदा के लिए सब प्रकार के दुखों से मुक्त कर देना है। ब्रह्म विद्द्या ही परमात्मा की प्राप्ति और जन्म - मरण से छूटने का साधन है। सकाम आदि कर्म नहीं। (वेदान्तदर्शन, पाद 3, अध्याय 3, श्लोक 49 , पे ० न ० 335) जो ब्रह्म विद्दया को जान कर भोगों से सर्वथा विरक्त होकर उस परब्रह्म परमात्मा को साक्षात्कार करने के लिए तत्पर है उन्हें परमात्मा की प्राप्ति होने में विलम्ब नहीं हो सकता। शरीर के रहते - रहते , बिना मरे, इसी शरीर में उन्हें परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है।  (वेदान्तदर्शन, पाद 3, अध्याय 3, श्लोक 50, पे ० न ० 335) 

मैं मोक्ष के स्वामी हूँ।  लोगों को संसार सागर से पार करता हूँ। जो लोग केवल विषय - सुख के साधन संपत्ति की ही अभिलाषा करते हैं और ब्रह्म ज्ञान को नहीं चाहते हैं, वे मन्दभागी हैं, मूर्ख हैं क्योंकि   विषय - सुख तो नरक में और नरक के ही सामान सूकर - कूकर आदि योनियों को  प्राप्त होते हैं। (श्रीमदभागवतम महा पुराण 10 ; 60 :51 - 52 ) मैं आपसे सच कहता हूँ कि जो मेरे वचन का पालन करेंगे वे निश्चित ही जन्म - मृत्यु से छूट कर मोक्ष को प्राप्त होंगे और जो अहंकार वश मेरे वचन को न मानकर   विषय - सुख को भोगने में लगे रहेंगे वे नरक में और नरक के ही सामान सूकर - कूकर आदि योनियों को  प्राप्त होंगे।  

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