हमसबका धर्म बहुत सरल है वह है प्रेम एवं दयालुता। तुम्हारे शरीर में
तेरा मस्तिष्क और तेरा
हृदय ही है तुम्हारा मंदिर । मंदिर क्या है ? मंदिर है ईश्वर के रहने का स्थान । इसलिए तुम्हारे मस्तिष्क और तुम्हारे
हृदय में किसको विराजमान होना चाहिए ? केवल ईश्वर को। अगर तुम ईश्वर के मंदिर में से ईश्वर को निकाल कर चिंता को बैठाओगे, दुश्मनी को बैठाओगे और बदले की भावना को बैठाओगे तो तुम्हारा सर्वनाश हो जायेगा । अगर यदि तुम ईश्वर के मंदिर में ईश्वर को बैठाओगे तो तुम्हारा कल्याण हो जायेगा । तुम
बाहरी दुनिया में कभी भी शांति एवं आनन्द नहीं पा सकते हो । शांति एवं आनन्द पाने के लिए तुम्हें अपने
मस्तिष्क और हृदय रूप मंदिर में विराजमान ईश्वर से स्वयं को जोड़ना पड़ेगा । तुम जिस चीज को करने से डरते हो उसे करते
रहो क्योंक ईश्वर के दर पर विजय पाने का यही सबसे उत्तम और आसान तरीका है जिसको आज तक तुमने खोया है ......... आदिश्री अरुण
विजय, शांति एवं आनन्द पाने का सबसे उत्तम और आसान तरीका क्या है ? - आदिश्री अरुण
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