बीस साल की उम्र में इंसान अपनी इच्छा से चलता है, तीस साल में बुद्धि से और चालीस साल में अपने अनुमान से । यदि मानव जाति को जीवित रखना है तो हमें बिलकुल नयी सोच की आवश्यकता होगी । एक आसान जीवन के लिए तुम प्रार्थना मत करो बल्कि ऐसी शक्ति के लिए तुम प्रार्थना करो जिससे एक कठिन जीवन जी सको। यदि तुम किसी चीज के बारे में सोचने में बहुत अधिक समय लगाते हो , तो तुम उसे कभी कर नहीं पाओगे । हालात की चिंता तुम मत करो, तुम केवल अवसरों के निर्माण लग जाओ। जानना काफी नहीं है, तुम्हें उसको लागू करना जरूरी है । इच्छा रखना काफी नहीं है, उसको करना जरूरी है । अगर तुम कल फिसलना नहीं चाहते हो तो आज सच मुच कर दो। जो इस बात से अनभिज्ञ हैं कि वे अँधेरे में चल रहे हैं तो ऐसा आदमी कभी भी प्रकाश की तलाश नहीं करेंगे। तुम यह सत्य जान लो कि कल की तैयारी आज का मुश्किल काम है। इसलिए अतिरिक्त प्रयास करने वाली आदत को तुम अपनी दैनिक का हिस्सा बना लो .......... आदिश्री अरुण
मानव जाति को किस प्रकार जीवित रखें - आदिश्री अरुण
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