अथाह प्रेम किसी डर की वजह से
नहीं होता है । प्रेम किसी बाधा को नहीं जानता । यह अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए बाधाएं लांघ जाता है, बाड़े फांद जाता है और दीवारें बेध देता है । अगर आपके अन्दर बस एक मुस्कान बची है तो उसे उन्हें दीजिये जिनसे आप प्रेम करते हैं क्योंकि मुस्कान से शांति की शुरुआत होती है। केवल वो लोग जो कुछ भी नहीं बनने के लिए तैयार हैं वो प्रेम कर सकते हैं। आप उस तरह चलिए जिस तरह प्रेम आपको चलाये।आप उस तरह मत चलिए जिस तरह डर आपको चलाये । आप जितने लोगों को चाहें उतने लोगों से प्रेम कर सकते हैं ।
इसका ये मतलब नहीं है कि आप एक दिन दिवालिया हो जायेंगे, और कहेंगे - ” अब मेरे पास प्रेम नहीं है” । जहाँ तक प्रेम का सवाल है आप दिवालिया नहीं हो सकते। प्रेम तो वह सर्वोच्च रूप है जहाँ कुछ भी नहीं माँगा जाता - आदिश्री अरुण
प्रेम का नाप - तौल
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