आप जो कुछ भी देखते हैं उसका संग्रह मैं हूँ। मैं हर एक वस्तु में हूँ और उससे परे भी। मैं सभी रिक्त स्थान को भरता हूँ। मैं डगमगाता नहीं हूँ। यदि कोई अपना पूरा समय मुझमें लगाता है और ईश्वर के शरण में आता है तो उसे अपने शरीर या आत्मा के लिए कोई भय नहीं होना चाहिए क्योंकि उसके शरीर का निर्वाह और उसके आत्मा का उद्धार निश्चित ही हो जाता है। लेकिन विपरीत परस्थितियों में कुछ लोग टूट जाते हैं इसलिए कि उन्हें मुझ पर भरोसा कम और सांसारिक लोगों पर भरोसा ज्यादा होता है। मैं तो यह कहूंगा कि कृत्रिम सुख की बजाय ठोस उपलब्धियों के पीछे समर्पित रहिये। ईश्वर जो हमसबका निर्माता हैं उन्होंने हमसबके मष्तिष्क और व्यक्तित्व में असीमित शक्तियां और क्षमताएं दी हैं। इसलिए हम केवल उसी ईश्वर की प्रार्थना करें क्योंकि ईश्वर की प्रार्थना हमें इन शक्तियों को विकसित करने में मदद करती है - आदिश्री अरुण
आदिश्री अरुण का सन्देश केवल आपके लिए
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