हे
पृथ्वी पर रहने
वाले ! तू आसक्ति (Attachment) को छोड़ दो और तू जो
कर्म करता है,
जो खाता है,
जो हवन करता है,
जो दान देता
है और
जो तप करता
है, उसे
तू भगवान
को अर्पण करता
चल। ऐसा करने
से तुम सदा
जीवन-मुक्त का आनंन्द अनुभव करेगा। क्योंकि
जिस चीज को
खाने से बीमारी
हो जाती है
वैद्द्य बीमारी को ठीक
करने के लिए
उसी वस्तु को
दवा के रूप
में देते हैं
और वैक्सीन भी
इसी सिद्धांत पर
बना है। इसलिए जो
कुछ भी तू
करता है, उसे
सदा भगवान को
ही अर्पण करता
चल। मैं तो
यह कहूंगा कि
तुम अपने अापको
भी भगवान के
आश्रय में कर
लो । यही
सबसे उत्तम सहारा
है। जो इसके
सहारे को जानता
है वह जन्म,
मृत्यु, भय, चिन्ता, शोक
से सर्वदा मुक्त
है.... आदिश्री अरुण
जीवन मुक्ति पाने का रहस्य
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