सौंदर्य



सौंदर्यके संबंध में आदि श्री की 17बातें

*सुंदरता का सृजन कला है।

*सौंदर्य शक्ति है; मुस्कान उसकी तलवार है।
*जीवन के दो प्रमुख उपहार हैं - सौंदर्य और सत्य 
*प्यार आत्मा का सौंदर्य है।
*आत्म की सुंदरता किसी भी रेफरेंस लेटर से एक बड़ा सिफारिश है।
* जब सत्य खुद अपना चेहरा एक उत्तम दर्पण में देखता है तो उसे पता चलता है कि सौंदर्य सत्य की मुस्कराहट है
*तीक्ष्ण बुद्धि  व्यक्ति  का एक खजाना है और तीक्ष्ण बुद्धि सौंदर्य का एक शक्ति है।
*सुंदरता का सबसे अच्छा हिस्सा वह  है जिसे कोई तस्वीर व्यक्त नहीं कर सकती।
*कभी - कभार लोग सुन्दर होते हैं। दिखने में नहीं। इसमें नहीं कि वे क्या कहते हैं।  बस इसमें जो कि वह  हैं।
* आसपास की जो सुंदरता बची है उसके बारे में आप भी सोचिये और खुश रहिये।
*हर एक चीज में खूबसूरती होती है, लेकिन हर कोई उसे नहीं देख पाता है। 
*एक चेहरा जिस पर मुस्कान खिली  हुई है और जिसके भाव खुशनुमा हैं उसमें  एक तरह की सुंदरता है फिर चाहे वो जैसे भी कपड़े पहने।

*कभी भी कोई सुन्दर चीज देखने का अवसर मत गँवाइये , क्योंकि सुंदरता ईश्वर की लिखावट है।

*आंतरिक सौंदर्य आत्म सुधार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।

*सुंदर होना आसान है परन्तु सुंदर दिखना मुश्किल है।

*शिक्षा सौंदर्य और यौवन दोनों को परास्त कर देती है


*सत्य हमेशा सुन्दर नहीं होता , लेकिन सुन्दरता सत्य की भूख होती है

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