नन्ही: आदि श्री के चरणों में प्रणाम स्वीकार हो। आदि श्री जी मैं पड़ेशानियों में दब चुकी हूँ। मैं अपने परिवार को अच्छा बनाना चाहती हूँ। मैं इसके लिए क्या करूँ कृप्या मार्गदर्शन कीजिये।
आदि श्री अरुण : संयम का अर्थ है संतुलन। संतुलन अर्थात बैलेंस बाहर से नहीं अंदर से आता है। यदि हम चाहें तो हमारा जीवन संतुलित और व्यवस्थित हो सकता है। यदि न चाहें तो कभी नहीं हो सकता है। बिना ब्रेक की गाड़ी जैसे किसी गड्ढे में ले जाकर पटक देती है, ठीक ऐसे ही बिना ब्रेक का जीवन पतन के गर्त में पहुंचा देता है। यदि हम अपना कल्याण चाहते हैं तो हम व्यक्तिगत स्तर पर अपने आप को सुधार कर अच्छा बनाएँ । सबसे पहले अपने आपको अच्छा बनाने के लिए आगे बढ़ें तभी हम अपने परिवार को अच्छा बना सकते हैं ।