आदि श्री अरुणजी के 6 महत्वपूर्ण बातें:
*1. चिकित्सक की ज़रुरत स्वस्थ व्यक्ति को नहीं बल्कि बीमार व्यक्ति को होती है । मैं पवित्र लोगों को बुलाने के लिए नहीं बल्कि पापियों को पश्चाताप करवाने के लिए आया हूँ ।
*2. ध्यान से देखो, मैं दरवाजे पर खड़ा होकर खटखटा रहा हूँ । यदि कोई मेरी आवाज़ सुनता है और दरवाज़ा खोलता है तो मैं उसके अन्दर आऊंगा औरउसके साथ में खाऊंगा और वो मेरे साथ ।
*3. जिस प्रकार पिता ने मुझसे प्रेम किया है ठीक उसी तरह मैंने भी तुमसे प्रेम किया।
*4. मनुष्य को सिर्फ रोटी के लिए ही नहीं जीना चाहिए बल्कि ईश्वर के मुख से निकले हुए हर शब्द के मुताबिक जीना चाहिए ।
*5. मार्ग मैं हूँ, सत्य मैं हूँ, और जीवन भी मैं ही हूँ । मेरे बिना कोई भी व्यक्ति पिता तक नहीं पहुँच सकता है ।
*6. मैं तुम्हें एक नया आदेश देता हूँ - तुम एक दूसरे से प्रेम करो जैसे मैंने तुमसे प्रेम किया है। ठीक उसी तरह तुम भी एक दूसरे से प्रेम करो ।
*1. चिकित्सक की ज़रुरत स्वस्थ व्यक्ति को नहीं बल्कि बीमार व्यक्ति को होती है । मैं पवित्र लोगों को बुलाने के लिए नहीं बल्कि पापियों को पश्चाताप करवाने के लिए आया हूँ ।
*2. ध्यान से देखो, मैं दरवाजे पर खड़ा होकर खटखटा रहा हूँ । यदि कोई मेरी आवाज़ सुनता है और दरवाज़ा खोलता है तो मैं उसके अन्दर आऊंगा औरउसके साथ में खाऊंगा और वो मेरे साथ ।
*3. जिस प्रकार पिता ने मुझसे प्रेम किया है ठीक उसी तरह मैंने भी तुमसे प्रेम किया।
*4. मनुष्य को सिर्फ रोटी के लिए ही नहीं जीना चाहिए बल्कि ईश्वर के मुख से निकले हुए हर शब्द के मुताबिक जीना चाहिए ।
*5. मार्ग मैं हूँ, सत्य मैं हूँ, और जीवन भी मैं ही हूँ । मेरे बिना कोई भी व्यक्ति पिता तक नहीं पहुँच सकता है ।
*6. मैं तुम्हें एक नया आदेश देता हूँ - तुम एक दूसरे से प्रेम करो जैसे मैंने तुमसे प्रेम किया है। ठीक उसी तरह तुम भी एक दूसरे से प्रेम करो ।