पद्मा : आदि श्री अरुण जी के चरणों में मेरा सत - सत नमन स्वीकार हो । आदि श्री जी मैं यह जानना चाहती हूँ कि मुझको संसार के आश्रय में रहना चाहिए अथवा परमेश्वर के आश्रय में रहना चाहिए ? मेरे घर वाले कहते हैं कि प्रैक्टिकल बनो क्योंकि धर्मग्रन्थ की बातें केवल सुनने में ही अच्छी लगाती है । यह वास्तविकता नहीं है । कृपया मुझे स्पस्ट रूप से बताइए ।
आदि श्री अरुण :
तुम परमेश्वर से अलग रहकर जीवित नहीं रह सकती हो । जिस प्रकार डाल पेड़ से जब तक एटैचड रहता है तब तक वह हरा - भरा रहता है और वह बहुत फल लाता है । परन्तु जब पेड़ से उस डाल को अलग कर दिया जाता है तो वह सुख जाता है और भील उसे आग में झोंक देते हैं । ठीक उसी प्रकार जब तुम परमेश्वर से एटैचड रहोगी तब तुम भी जीवित रहोगी, हरा - भरा रहोगी और फलती - फूलती रहोगी । अगर तुम परमेश्वर से अलग हो जाओगी तब तुम डाल की तरह सुख जाओगी और लोग तुम्हें नष्ट कर देंगे । तुम परमेश्वर से अलग रहकर कुछ भी नहीं कर सकती हो ।परमेश्वर तुम्हारे सभी दुखों को मिटाने के लिए तैयार हैं। आज वे तुम्हें सभी विमारियों से मुक्त कर देना चाहते हैं। आज वे तुम्हें सभी पड़ेशानियों से बहार निकल देना चाहते हैं। परमेश्वर कहते हैं की क्या मेरे लिए कोई भी काम कठिन है ? (धर्मशास्त्र, यिर्मयाह ३२:२७) उन्होंने विश्वास दिलाते हुए कहा कि जवान सिंहों को तो घटी होती और वे भूखे भी रह जाते हैं ; परन्तु परमेश्वर के खोजियों को किसी भली वस्तु की घटी न होगी। (धर्मशास्त्र, भजन संहिता ३४:१०) परमेश्वर ने कहा कि कुम्हार की तरह तुम्हारे साथ क्या मैं भी काम नहीं कर सकता ? देख जैसा मिट्टी कुम्हार के हाथ में रहती है, ठीक वैसे ही तुम भी मेरे हाथ में हो। (धर्मशास्त्र, यिर्मयाह १८:६) क्या गढ़ी हुई वस्तु गढ़ने वाले से कह सकती है कि तू ने मुझे ऐसा क्यों बनाया है ? क्या कुम्हार को मिट्टी पर अधिकार नहीं कि एक ही लोदे में से एक बर्तन आदर के लिए और दूसरे को अनादर के लिए बनाए ? (धर्मशास्त्र, रोमियों ९:२०-२१) परमेश्वर ने अपना क्रोध दिखने और अपनी सामर्थ्य प्रकट करने की इच्छा से क्रोध के बर्तनों को विनाश के लिए तैयार किया और दया के बर्तनों पर जिन्हें उसने महिमा के लिए पहले से तैयार किया, उसको अपने महिमा के धन को प्रकट करने की इच्छा से की। (धर्मशास्त्र, रोमियों ९:२२-२३) परमेश्वर के पास सारी ताकत है कि वे तुमको सभी दुखों, सभी विमारियों, सभी पड़ेशानियों से बहार निकल देंगे । तुम परमेश्वर में पूर्ण विश्वास रखो, परमेश्वर के आश्रय में रहो तथा परमेश्वर से पूर्ण आशा रखो तो वे तुम्हारे ऊपर आशीष की बरसात करेंगे तथा तुम्हारा जीवन अनन्त शांति से भर जाएगा। इसलिए तुम संसार के आश्रय में रहना छोड़ दो, अज्ञानी मनुष्य की बातों में मत आओ और अभी से केवल परमेश्वर के आश्रय में रहना शुरू कर दो तो तुम्हें जीवन का हर सुख और हर आनंद मिलेगा ।