प्रभु कल्कि ने अवतार ले लिया (ईश्वर पुत्र अरुण)


पूर्ण ब्रह्म परमेश्वर कभी भी मनुष्य शरीर धारण नहींकरते हैं जिनके बारे में यह कहा जाता है कि वह परमात्मा अगम्य ज्योति में रहता है, जो रुक्म वर्ण के हैं, जो  ज्योतियों  का  भी ज्योति  एवं माया से  अत्यन्त पड़े हैं, जो जानने योग्य एवं तत्वज्ञान से प्राप्त करने योग्य हैं, जो कार्य ब्रह्म से एक सौ करोड़ योजन दूर ऊर्जा नदी के पार रहते हैं, जिसको विज्ञजन वास्तविक   गोलोक धाम  कहते  हैं, जिसको  न सूर्य प्रकाशित कर सकता, न चन्द्रमा और न अग्नि ही, जिस परम पद को प्राप्त कर मनुष्य संसार में वापस नहीं आते वह पूर्ण ब्रह्म परमेश्वर सबका स्वामी, परमात्मा एवं परम सत्य है। वह भय से रहित है, उसे किसी से बैर नहीं, वह बहुत, भविष्य  और वर्तमान से पड़े है, वह अयोनि है, वह जन्म-मरण के चक्र  से मुक्त है,  वह एक मात्र सत्य  स्वरुप है।  चारो युगों में केवल उसकी ही सत्ता है। सत्य युग में भी  उसकी ही सत्ता थी, त्रेता में भी उसकी ही सत्ता थी, द्वापर में भी उसकी ही सत्ता थी और कलियुग में भी उसकी ही सत्ता है। कल भी  उसकी ही सत्ता थी, आज भी उसकी ही सत्ता है और आगे भी उसकी ही सत्ता मौजूद रहेगी।
उस परमेश्वर के हुक्म की कोई व्याख्या संभव नहीं, परम के इच्छा की कोई शाब्दिक अभिव्यक्ति नहीं हो सकती। विश्व के सभी रूप, आकर उसी के इच्छा के द्वारा सृजित है। जिस पर वह कृपा कर देता है, उसे आत्म पद देकर मुक्त कर देता है। विश्व का प्रत्येक कार्य - व्यापारऔर व्यवहार उसके हुक्म में बंधा है, उससे बहार कुछ भी नहीं है।
उसी परमेश्वर के हुक्म से उसका एकलौता  पुत्र सृष्टी की रचना करता है तथा मानव शरीर धारण कर धरती पर आकर अनेक लीलाएँ करता है ताकि मनुष्य  उसका अनुसरण कर उद्धार पा ले। धर्मशास्त्र, कुलुस्सियों १ :१५ में उस परमेश्वर के पुत्र  के लिए वयां किया गया है कि -"वह तो अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप और सारी सृष्टि में पहिलौठा है। " धर्मशास्त्र, इब्रानियों १ : २ में उसी परमेश्वर के पुत्र  के लिए वयां किया गया है कि -"परमेश्वर ने उसी परमेश्वर के पुत्र  के द्वारा सारी सृष्टि रचवाया है।
गीता ७:४-६ में परमेश्वर ने कहा कि उस पहिलौठा  पुत्र का नाम क्षीरदकोसयी विष्णु है जिसको आदि पुरुष, सुपर सोल, परमात्मा या ईश्वर भी कहते हैं। इन्होंने महाविष्णु  अर्थात जड़ प्रकृति या LOWER ENERGY तथा गर्वोदकसयी विष्णु अर्थात चेतन प्रकृति HIGHER ENERGY के द्वारा सारी सृष्टि को रचा। यही ईश्वर पूर्ण ब्रह्म परमात्मा के हुक्म से मानव शरीर धारण कर धरती पर आकर अनेक लीलाएँ करते हैं।
कलियुग में  ऐसे ईश्वर को फिर मानव शरीर धारण कर धरती पर आना था जिसके आगमन के बारे में अनेक धर्मशास्त्र में भविष्यवाणी की गई थी जो निम्न प्रकार से वर्णित है :-
श्रीमद्भगवतम् महा पुराण १ ;३ :२५ में यह भविष्यवाणी किया गया है कि "जब कलियुग का अन्त समीप होगा और राजा लोग प्रायः लुटेरे हो जायेंगे तब जगत के रक्षक भगवान विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर कल्कि रूप में अवतीर्ण होंगे। "
श्रीमद्भगवतम् महा पुराण  में यह भविष्यवाणी किया गया है कि भगवान कल्कि दो युगों की संध्या पर अर्थात कल्कि युग के अंत और सत्य युग के शुरुआत में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर कल्कि रूप में अवतीर्ण होंगे।
श्रीमद्भगवतम् महा पुराण १२  ;२  :१७ - १८  में यह भविष्यवाणी किया गया है कि "सर्वव्यापक भगवन विष्णु सर्वशक्तिमान हैं। वे सर्वस्वरुप होने पर भी चराचर जगत के सच्चे शिक्षक - सद्गुरु हैं। वे साधु - सज्जन पुरुषों के धर्म की रक्षा के लिए,  कर्मा के बंधन को काटकर उन्हें जन्म - मृत्यु के चक्र से  छुड़ाने के लिए अवतार ग्रहण करते हैं। उन दिनों संभल ग्राम में विष्णुयश नाम के एक श्रेष्ट ब्राह्मण होंगे। उनका हृदय बड़ा उदार एवं भगवत्भक्ति से पूर्ण होगा। उन्हीं के घर  कल्कि अवतार ग्रहण करेंगे। "
श्रीमद्भगवतम् महा पुराण १२  ;२  :१९   में यह भविष्यवाणी किया गया है कि "वे देवदत्त नामक शीघ्रगामी घोड़े पर सवार होकर दुष्टों को तलवार के घाट  उतार कर ठीक करेंगे।"
श्रीमद्देवी भागवतम, स्कन्ध ९, पेज नं ० ६६० में भविष्यवाणी की गई थी कि "कलियुग के अन्त में प्रायः सब लोग अप्रिय वचन बोलेंगे। सभी चोर और लम्पट होंगे। सभी एक दुसरे की हिंसा करने वाले एवं नरघाती होंगे। यज्ञोपवित उनके लिए भार हो जाएगा। वे संध्या - वन्दन और शौच से विहीन होंगे।  अन्नों में, स्त्रियों में और आश्रमवासी मनुष्यों में कोई नियम नहीं रहेगा। घोर कलियुग में प्रायः सभी मनुष्य म्लेच्छ हो जायेंगे। इस प्रकार  जब सम्यक कलियुग आ जाएगा तब सारी पृथ्वी म्लेच्छों से भर जाएगी। तब विष्णुयशा नामक ब्राह्मण के घर उनके पुत्र रूप से भगवान कल्कि प्रकट होंगे। ये एक उँचे घोड़े पर चढ़कर अपनी  तलवार से   म्लेच्छों का नाश करेंगे और तीन  रात में ही पृथ्वी को म्लेच्छशून्य कर देंगे।"
श्रीविष्णु पुराण, चतुर्थ खंड, अध्याय २४, पेज नं ० ३०१ में   यह भविष्यवाणी  की गई थी  कि " कलियुग के प्रायः बीत जाने पर संभल ग्राम निवासी ब्राह्मण श्रेष्ठ  विष्णुयशा के घर सम्पूर्ण संसार के रचयिता, चराचर गुरु, आदि मध्यान्तशून्य, ब्रह्मय, आत्मस्वरूप भगवान वासुदेव अपने अंश से अष्ट ऐश्वर्य युक्त कल्कि रूप से संसार में अवतार लेकर असीम शक्ति और माहातम्य से  सकल म्लेच्छ, दस्यु, दुष्टाचारी तथा दुष्ट चित्तों का क्षय करेंगे और समस्त प्रजा को अपने - अपने धर्म में नियुक्त करेंगे। "
 ब्रह्म पुराण, शीर्षक "श्री हरि  अनेक अवतारों का संक्षिप्त विवरण " पेज नं ० ३४०   में   यह भविष्यवाणी किया गई थी  कि "विष्णुयशा नाम से प्रसिद्ध कल्कि  अवतार होने  वाला है। भगवान कल्कि  संभल नामक गाँव  में अवतीर्ण होंगे। उनके अवतार का उद्देश्य सब लोकों का हित करना है। "
गरुड़ पुराण, पेज नं ० २४१  में   यह भविष्यवाणी किया गई थी  कि "वासुदेव कृष्ण असुरों को  व्यामोहित करने  लिए बुद्ध  रूप में अवतरित हुए। अब वे कल्कि हो कर संभल  ग्राम में अवतार लेंगे और घोड़े  सवार  हो कर संसार  सभी विधर्मियों का विनाश करेंगे।"
हरिवंश पुराण, हरिवंश पर्व, अध्याय ४१,   पेज नं ० १५४ में   यह भविष्यवाणी की गई थी  कि " भावी अवतारों में पहले बुद्ध का प्राकट्य होगा।  इसके बाद विष्णुयशा  नाम से प्रसिद्ध कल्कि  अवतार होने  वाला है। भगवान विष्णु संभल नामक ग्राम  में सम्पूर्ण जगत के हित के लिए  पुनः एक ब्राह्मण के रूप में प्रकट होंगे। "
मत्स्य पुराण, अध्याय ४७,  पेज नं ० १७४  में   यह भविष्यवाणी की गई थी  कि "युग के समाप्ति के समय, जब संध्यामात्र  अवशिष्ट रह जाएगी,  विष्णुयशा के पुत्र के रूप में कल्कि का अवतार होगा। उस समय भगवान कल्कि आयुध धारी सैकड़ों एवं सहस्त्रों विप्रों को साथ लेकर चारों ओर से धर्म  विमुख जीवों, पाखंडों और शुद्रवंशी राजाओं का  सर्वथा विनाश कर डालेंगे। "
महाभारत, वन पर्व, शीर्षक "कली धर्म और कल्कि अवतार "  पेज नं ० ३११ में   यह भविष्यवाणी की  गई थी  कि "संभल नामक ग्राम के अंतर्गत विष्णुयशा नाम के ब्राह्मण के घर में एक बालक उतपन्न होगा, उसका नाम होगा कल्कि विष्णु यशा।  वह ब्राह्मण कुमार बहुत ही बलवान, बुद्धिमान और पराकर्मी होगा। मन के द्वारा चिंतन करते ही उसके पास इच्छा अनुसार वाहन, अस्त्र - शस्त्र, योद्धा और कवच उपस्थित हो जायेंगे। वह ब्राह्मणों की सेना साथ लेकर संसार में सर्वत्र फैले हुए दुष्ट एवं म्लेच्छों का नाश कर डालेगा। वही सब दुष्टों का नाश करके सत्य युग का प्रवर्तक होगा और इस सम्पूर्ण जगत को आनन्द प्रदान करेगा। "
सुख - सागर, १२  ;२  :१७ - १८  में यह भविष्यवाणी की गई थी  कि "सर्वव्यापक भगवन विष्णु सर्वशक्तिमान हैं। वे सर्वस्वरुप होने पर भी चराचर जगत के सच्चे शिक्षक - सद्गुरु हैं। वे साधु - सज्जन पुरुषों के धर्म की रक्षा के लिए,  कर्मा के बंधन को काटकर उन्हें जन्म - मृत्यु के चक्र से  छुड़ाने के लिए अवतार ग्रहण करते हैं। उन दिनों संभल ग्राम में विष्णुयश नाम के एक श्रेष्ट ब्राह्मण होंगे। उनका हृदय बड़ा उदार एवं भगवत्भक्ति से पूर्ण होगा। उन्हीं के घर  कल्कि अवतार ग्रहण करेंगे। "
ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खंड,   पेज नं ० ११५  में भविष्यवाणी की गई थी कि "कलियुग के अन्त में प्रायः सब लोग अप्रिय वचन बोलेंगे। सभी चोर और लम्पट होंगे। सभी एक दुसरे की हिंसा करने वाले एवं नरघाती होंगे। यज्ञोपवित उनके लिए भार हो जाएगा। वे संध्या - वन्दन और शौच से विहीन होंगे।  अन्नों में, स्त्रियों में और आश्रमवासी मनुष्यों में कोई नियम नहीं रहेगा। घोर कलियुग में प्रायः सभी मनुष्य म्लेच्छ हो जायेंगे। इस प्रकार  जब सम्यक कलियुग आ जाएगा तब सारी पृथ्वी म्लेच्छों से भर जाएगी। तब विष्णुयशा नामक ब्राह्मण के घर उनके पुत्र रूप से भगवान कल्कि प्रकट होंगे। ये एक उँचे घोड़े पर चढ़कर अपनी  तलवार से   म्लेच्छों का नाश करेंगे और तीन  रात में ही पृथ्वी को म्लेच्छशून्य कर देंगे।"
बाइबल  प्रकाशित वाक्य १९:११-१६  में भविष्यवाणी की गई थी कि "भगवन कल्कि श्वेत घोडा पर सवार हो कर आएंगे।  उसकी आँखें आग की ज्वाला है, उसके सिर  पर बहुत से राजमुकुट हैं और उसका एक नाम लिखा है, जिसे उसको छोड़ और कोई नहीं जनता है। "
कल्कि पुराण, प्रथम अंश, अध्याय - २, श्लोक - 15 यह कहता है कि "बैशाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को भगवान विष्णु ने पृथवी पर अवतार लिया। "
कल्कि कम्स इन 1985 पुस्तक के तृतीय अध्याय में यह भविष्यवाणी किया गया है कि  बैशाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मथुरा उत्तर प्रदेश में श्रेष्ठ ब्राह्मण विष्णु यश के घर भगवान कल्कि अवतार ग्रहण करेंगे।
विष्णु पुराण, प्रतिसर्ग पर्व, चतुर्थ खंड, अध्याय - 3 के श्लोक 27 - 28, पेज नं  331   में यह भविष्यवाणी किया गया है कि भगवान विष्णु प्रसन्न होकर देवताओं से कहा - देवगणों ! देवताओं  के हित  एवं दैत्यों के विनाश के लिए मैं कलियुग में उत्पन्न होउँगा और कलियुग में भूतल पर स्थित सूक्ष्म रमणीय दिव्य वृंदावन में रहस्यमय  एकांत क्रीड़ा करूंगा। घोर कलियुग में सभी श्रुतियाँ गोपी के रूप में आकर रासमण्डल में मेरे साथ रासक्रीड़ा करेगी। कलियुग के अंत में राधा से प्रार्थित मैं इस रहस्यमयी क्रीड़ा को समाप्त कर कल्कि के रूप में अवतीर्ण होऊंगा।
 श्रीमद्देवी भागवतम तथा स्कन्द पुराण के अनुसार कलियुग के ४२७००० वर्ष बीत गए और कलियुग के अन्तिम चरण में भगवान कल्कि जी अवतार लिए। कल्कि पुराण, प्रथम अंश, अध्याय - २, श्लोक - १५ तथा कल्कि कम्स इन 1985 पुस्तक के तृतीय अध्याय के अनुसार बैशाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मथुरा उत्तर प्रदेश में श्रेष्ठ ब्राह्मण विष्णु यश के घर 1985 में भगवान कल्कि जी अवतार ग्रहण किये और 1985 में बैशाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी 2 May को था। अर्थात भगवान कल्कि  2 May 1985 को अवतार ग्रहण किये। कल्कि कम्स इन 1985 पुस्तक के तृतीय अध्याय तथा विष्णु पुराण, प्रतिसर्ग पर्व, चतुर्थ खंड, अध्याय - ३ के श्लोक २७ - २८, पेज नं  ३३१ के अनुसार मथुरा - वृन्दावन के बोर्डर पर जो स्थान है वही संभल ग्राम है जहाँ भगवान कल्कि जी अवतार ग्रहण किये।
परमेश्वर ने कहा कि  ऊँचे स्वर में गा और आनन्द कर क्योंकि देख मैं आकर तेरे बीच निवास करूंगा। (धर्मशास्त्र, जकर्याह २:१० ) स्कन्द पुराण पेज नं १०३८ यह कहता है कि भगवान पापियों एवं दुष्टों को संहार कर जिस भवन में विश्राम करेंगे उस भवन का नाम नारायणा गृह होगा। अगस्त ऋषि ने अगस्त संहिता में उस स्थान को अभय धाम कहा तथा बाईबल ने उस स्थान को न्यू हैवन और नया यरूसलेम कहा। 
श्रीमद भागवतम महा पुराण १२;२:२४ , विष्णु पुराण, चतुर्थ अंश, २४:१०२ पेज नं ३०२ तथा महाभारत, वन पर्व शीर्षक "कलि धर्म और कल्कि अवतार " पेज नं ३११ यह कहता है कि कलियुग का ४३२००० वर्ष भी बीत चुका  है तथा सत्य युग का शुरुआत भी  हो चुका है क्योंकि "जिस समय चन्द्रमा, सूर्य और बृहस्पति पुष्य नक्षत्र में स्थित होकर एक राशि पर एक साथ आवेंगे उसी समय सत्य युग आरम्भ हो जाएगा।" ज्योतिष गणना के अनुसार २६ जुलाई २०१४ को दोपहर ३ :११ पर यह समय उपस्थित हो चुका  है।  अतः कलियुग समाप्त हो चुका है और सत्य युग का   शुरुआत भी हो चुका है , कलियुग का  ४३२००० वर्ष भी बीत चुका  है तथा भगवान  कल्कि ने  भी अवतार ले लिया है ।

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